आईएएस राजेंद्र विजय तो भ्रष्टाचार के सागर की छोटी मछली भी नहीं है। अभी तो बड़े बड़े मगरमच्छ बैठे हैं। राजस्थान की भजन सरकार आईएएस के साथ साथ आईपीएस अफसरों की संपत्तियों की भी जांच करवाए।

2 अक्टूबर को राजस्थान के कोटा के संभागीय आयुक्त राजेंद्र विजय (आईएएस) पर भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो ने छापामार कार्यवाही की। एसीबी के सूत्रों का कहना है कि विजय ने सरकारी सेवा में रहते हुए अकूत संपत्ति एकथ्त्रत की है। इसमें जयपुर में एक बड़ा शोरूम शामिल है। संभागीय आयुक्त स्तर के आईएएस पर कार्यवाही होने के लिए मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा की प्रशंसा की जानी चाहिए। चूंकि गृह विभाग मुख्यमंत्री के पास ही है इसलिए आईएएस पर छापामार कार्यवाही की अनुमति भजनलाल शर्मा ने ही दी। अब आईएएस विजय को संभागीय आयुक्त के पद से हटा दिया गया है। जानकार सूत्रों के अनुसार राजेंद्र विजय तो भ्रष्टाचार के सागर की छोटी मछली भी नहीं है। राजस्थान में ऐसे कई आईएएस और आईपीएस हैं जो मगरमच्छ की भूमिका में है। ऐसे अफसरों ने शेयर मार्केट के साथ साथ शिक्षा, चिकित्सा, खान, शराब, होटल आदि के कारोबार में मोटा निवेश कर रखा है। एसीबी के अधिकारी ईमानदारी के साथ राजस्थान के आईएएस और आईपीएस की संपत्तियों की जांच पड़ताल करें तो चौंकाने वाले भ्रष्टाचार सामने आएगा , जो अधिकारी आरएएस और आरपीएस से पदोन्नत होकर आईएएस व आईपीएस बने हैं उनमें से कईयों ने भ्रष्टाचार के सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए है। इसे दुर्भाग्यपूर्ण ही कहा जाएगा कि जो युवा सीधे तौर पर आईएएस और आईपीएस बने उनमें से भी कईयों ने पहली दूसरी नियुक्ति में ही धन बटोरना शुरू कर दिया। जिन लोगों का प्रशासन से काम पड़ता है उन्हें पता है कि आईएएस और आईपीएस किस तरह से रिश्वतखोरी करते है। जमीन से जुड़े मामलों में तो प्रति बीघा के हिसाब से रिश्वत ली जाती है। मुख्यमंत्री भजनलाल को राजस्ािान में नियुक्त सभी आईएएस और आईपीएस की संपत्तियों की विस्तृत जांच करवानी चाहिए। इन अफसरों के रिश्तेदारों की भी जांच होनी चाहिए। कई अफसरों ने तो अपने नौकरों के नाम भी संपत्ति ले रखी है। सरकार को इसके लिए एसीबी में एक अलग से सेल बनाना चाहिए। इस में ईमानदार पुलिस अधिकारियों के साथ साथ इनकम टैक्स के अधिकारियों की भी नियुक्ति होनी चाहिए। यह ध्यान रखा जाए कि जांच करने वाले अधिकारी ही लूट खसोट में न लग जाए। आम लोगों से भ्रष्टाचार की शिकायत मुख्यमंत्री को खुद अपने पास मंगवानी चाहिए। जागरूक लोग एसीबी में जो शिकायतें देते हैं उन पर ईमानदारी से काम नहीं होता। 

S.P.MITTAL BLOGGER (03-10-2024)

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