जिन महाराणा प्रताप ने घास की रोटी खाकर मेवाड़ का मान बढ़ाया, अब उनके वंशजों को संपत्तियों को लेकर लड़ना उचित नहीं। महाराणा महेंद्र सिंह के निधन के बाद पुत्र विश्व राज सिंह के पगड़ी दस्तूर कार्यक्रम का भी विरोध। विश्वराज सिंह खुद नाथद्वारा से भाजपा के विधायक है तथा पत्नी महिमा सिंह राज्यसभा की सांसद।
इतिहास गवाह है कि महाराणा प्रताप ने मेवाड़ राज्य के मान सम्मान को बचाने के लिए जंगलों में घास की रोटियां तक खाई। प्रताप ऐसे प्रतापी राजा रहे जिन्होंने मुगल शासक अकबर की अधीनता स्वीकार नहीं की, जब बड़े-बड़े राजघरानों ने अधीनता स्वीकार कर ली, ब महाराणा प्रताप ने अकबर को लगातार चुनौती दी। यही वजह है कि आज देश दुनिया में महाराणा प्रताप के त्याग और वीरता को याद किया जाता है। लेकिन इसे दुर्भाग्यपूर्ण ही कहा जाएगा कि महाराणा प्रताप के वंशज आज कुछ संपत्तियों को लेकर सार्वजनिक तौर पर लड़ रहे हैं। मेवाड़ राजघराने से जुड़े महाराणा महेंद्र सिंह जी का निधन हाल ही में हुआ है। पिता के निधन के बाद पुत्र विश्वराज सिंह (नाथद्वारा के भाजपा विधायक) ने 25 नवंबर को चित्तौड़ के फतहप्रकाश महल में पगड़ी दस्तूर का कार्यक्रम रखा। इसमें पूर्व रियासतों के प्रतिनिधियों को भी बुलाया गया है। पगड़ी दस्तूर का कार्यक्रम होता इससे पहले ही विश्वराज सिंह के चाचा और एकलिंग जी ट्रस्ट उदयपुर के चेयरमैन महाराजा अरविंद सिंह ने फतह प्रकाश महल में आम लोगों के प्रवेश को निषेध कर दिया है। ट्रस्ट की ओर से कहा गया है कि 25 नवंबर 2024 को पास धारी ही महल में प्रवेश कर सकते हैं। अखबारों में प्रकाशित नोटिस और आम सूचना में कहा गया है कि किसी भी व्यक्ति को पगड़ी दस्तूर कार्यक्रम करने का अधिकार नहीं है। नोटिस में स्पष्ट कहा है कि स्वर्गीय महाराजा भगवत सिंह जी ने जो वसीयत लिखी उसमें बड़े पुत्र महाराजा महेंद्र सिंह को परिवार से बहिष्कृत कर दिया था। इसके साथ ही छोटे पुत्र अरविंद सिंह को वसीयत का एग्जीक्यूटर नियुक्त किया। महाराजा भगवत सिंह की यह वसीयत सुप्रीम कोर्ट में भी प्रमाणित हो चुकी है। इसी सूचना में बताया गया कि महाराजा भगवत सिंह के जीवनकाल में ही बड़े पुत्र महेंद्र सिंह ने मुकदमे बाजी कर दी थी। परिवार की संपत्तियों को लेकर जो एकलिंग जी ट्रस्ट बना हुआ है उस ट्रस्ट के महेंद्र सिंह और उनके पुत्र विश्व राज सिंह कभी भी ट्रस्टी नहीं रहे। ऐसे में विश्वराज सिंह का इस ट्रस्ट से कोई सरोकार नहीं हे।
पगड़ी दस्तूर पर ऐतराज करना उचित नहीं:
एक और सपंत्तियों को लेकर मेवाड़ घराने में जंग छिड़ी हुई है तो दूसरी ओर राजपूत घरानों के इतिहासकार और प्रदेश के जाने माने समाजसेवी विक्रम सिंह टापरवाड़ा ने विश्वराज सिंह के पगड़ी दस्तूर के कार्यक्रम का विरोध किए जाने को उचित नहीं माना है। उन्होंने कहा कि राजपूत समाज में पगड़ी दस्तूर एक सामाजिक परंपरा है, जिसका हर परिवार निर्वाह करता है। महाराज भगवत सिंह के निधन के बाद ज्येष्ठ पुत्र होने के नाते महेंद्र सिंह का भी पगड़ी दस्तूर का कार्यक्रम भव्य स्तर पर हुआ। जो लोग आज विश्वराज सिंह के पगड़ी दस्तूर कार्यक्रम का विरोध कर रहे हैं उन्हें महेंद्र सिंह जी के पगड़ी दस्तूर के कार्यक्रम को याद करना चाहिए। टापरवाडा ने बताया कि आजादी के बाद महाराजा भोपाल सिंह मेवाड़ घराने के पहले उत्तराधिकारी बने। चूंकि भोपाल सिंह जी के कोई पुत्र नहीं था इसलिए भगवत सिंह जी को गोद लेकर मेवाड़ा का उत्तराधिकारी बनाया गया। महेंद्र सिंह और अरविंद सिंह, भगवत सिंह जी के ही पुत्र है। टापरवाडा ने भी माना कि परिवार के सभी सदस्यों को महाराणा प्रताप के त्याग और वीरता को याद रखना चाहिए। यहां यह उल्लेखनीय है कि विश्वराज सिंह स्वयं नाथद्वारा से भाजपा के विधायक हैं और उनकी पत्नी महिमा कुमारी राजसमंद की भाजपा सांसद हैं। प्रदेश की उपमुख्यमंत्री और जयपुर घराने की सदस्य दीया कुमारी से मेवाड़ घराने के पारिवारिक रिश्ते हैं। दीया कुमारी का समर्थन विश्वराज सिंह के परिवार को है। मेवाड़ा राज घराने के पगड़ी दस्तूर कार्यक्रम की ओर अधिक जानकारी मोबाइल नंबर 9460752009 पर विक्रम सिंह टापरवाड़ा से ली जा सकती है।
S.P.MITTAL BLOGGER (25-11-2024)Website- www.spmittal.inFacebook Page- www.facebook.com/SPMittalblogFollow me on Twitter- https://twitter.com/spmittalblogger?s=11Blog- spmittal.blogspot.comTo Add in WhatsApp Group- 9166157932To Contact- 9829071511