संभल के दंगाइयों के साथ खड़े होने वाले राहुल, अखिलेश और ओवैसी एक बार पाकिस्तान और बांग्लादेश के हालात देख लें। बांग्लादेश में हिंदू धर्म गुरु चिन्मय कृष्णदास की गिरफ्तारी बहुत मायने रखती है।

उत्तर प्रदेश के संभल में जामा मस्जिद परिसर में अदालत के आदेश के बाद हुए सर्वे के दौरान 24 नवंबर को जो दंगा हुआ, उसमें अब कांग्रेस के सांसद राहुल गांधी, सपा के अध्यक्ष अखिलेश यादव, एआईएमआईएम के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी जैसे नेता दंगाइयों के साथ खड़े हो गए हैं। भले ही डिप्टी कलेक्टर के हाथ पैर तोड़कर वाहनों को आग लगा दी गई हो और छतों से पत्थर फेंक  कर दर्जनों पुलिस कर्मियों को जख्मी कर दिया गया हो, लेकिन फिर भी राहुल, अखिलेश की जोड़ी प्रशासन पर हालात बिगाड़ने का आरोप लगा रहे हैं। गंभीर बात तो यह है कि मुस्लिम लोगों को उकसाने में संभल के सांसद जियाउर रहमान बर्क की भूमिका भी सामने आई है। आरोप है कि सांसद बर्क 22 नवंबर को जामा मस्जिद में गए और योजना बनाई। संभल में जिस तरह दंगाइयों के साथ राहुल गांधी अखिलेश और ओवैसी खड़े हुए हैं, उन्हें एक बार पड़ौसी मुस्लिम देश पाकिस्तान और बांग्लादेश के हालात देख लेने चाहिए। पाकिस्तान तो पूरी तरह मुस्लिम राष्ट्र है, लेकिन इसके बाद भी वहां सांप्रदायिक हिंसा हो रही है। खैबर पख्तून में शिया मुसलमानों को खुलेआम मौत के घाट उतारा जा रहा है। संभल में दंगाइयों की पैरवी करने वाले नेता बताए कि पाकिस्तान में शिया मुसलमानों को कौन मार रहा है। क्या शियाओं की हत्याओं के पीछे किसी हिंदू नेता का हाथ है? सब जानते हैं कि पाकिस्तान सुन्नी बाहुल्य देश है और वहां आए दिन शियाओं की हत्या होती है। जबकि भारत में ऐसा नहीं है। विपक्ष के नेता भले ही कुछ भी कहे, लेकिन भारत में हिंदुओं के कारण आम मुसलमान सुरक्षित है। पाकिस्तान की तरह बहुसंख्यक हिंदू मुसलमानों पर कोई ज्यादती नहीं करता। जबकि पाकिस्तान में कम संख्या वाले शियाओं पर ज्यादती होना आम बात है। विपक्षी नेताओं को भारत में मुसलमानों को उकसाने के बजाए शांतिपूर्ण तरीके से रहने की समझाइश करनी चाहिए। संभल में जिस सुनियोजित तरीके से हमला हुआ उसे किसी भी दृष्टि से उचित नहीं माना जा सकता। जहां तक संभल की जामा मस्जिद के विवाद का मामला है तो उसे संवैधानिक तरीके से सुलझाया जाना चाहिए। भारत में जिला न्यायालय के बाद उच्च न्यायालय और सुप्रीम कोर्ट तक की व्यवस्था है। मस्जिद के प्रतिनिधियों को लगता है कि जिला न्यायालय ने सर्वे के आदेश गलत तरीके से दिए है तो उच्च न्यायालय में अपील दायर की जा सकती है, लेकिन सर्वे के विरोध में हिंसा करना अच्छी बात नहीं है। भारत में लोकतंत्र भी है। गत लोकसभा के चुनाव में समाजवादी पार्टी ने उत्तर प्रदेश में 80 में से 37 सीटें जीती है। जिस पार्टी के पास एक राज्य में 37 सांस दहो, उस पार्टी का एक सांसद यदि अपनी जमात के लोगों को उकसाने का काम करे तो यह लोकतंत्र के लिए भी खतरा है। जियाउर रहमान बर्क मस्जिद के मामले को संसद में भी उठा सकते थे। सांसद होने के नाते बर्क को पता था कि संसद का शीतकालीन सत्र 25 नवंबर से शुरू हो रहा है। बर्क के पास सांसद के विशेषाधिकार सुरक्षित है, लेकिन बर्क ने जामा मस्जिद जाकर उकसाने का काम किया।

हिंदू धर्म गुरु गिरफ्तार:
पड़ोसी बांग्लादेश में भी हिंदुओं पर लगातार अत्याचार हो रहे है। 25 नवंबर को ही इस्कॉन प्रबंधन से जुड़े हिंदू धर्म गुरु चिन्मय कृष्णदास को देशद्रोह के आरोप में गिरफ्तार किया गया है। जबकि चिन्मय दास ने तो हिंदुओं की सुरक्षा के लिए आवाज उठाई थी। राहुल गांधी, अखिलेश यादव जैसे नेता संभल में तो स्थानीय प्रशासन पर आरोप लगाते हैं, लेकिन बांग्लादेश में हो रहे हिंदुओं पर अत्याचारों पर चुप रहते हैं। चिन्मय दास की गिरफ्तारी बहुत मायने रखती है। बांग्लादेश में बड़ी संख्या में हिंदू रहते हैं। 

S.P.MITTAL BLOGGER (26-11-2024)
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