अजमेर के सौहार्द को बनाए रखने के लिए सभी धर्मों के लोगों को आगे आना चाहिए। 1991 का कानून और संभल पर सुप्रीम कोर्ट के मद्देनजर अजमेर की दरगाह में मंदिर होने के मामले में हाईकोर्ट में जनहित याचिका पेश करने पर विचार।
राजस्थान पर्यटन विकास निगम (आरटीडीसी) के अध्यक्ष रहे और अजमेर में कांग्रेस की राजनीति में सक्रिय धर्मेन्द्र राठौड़ ने कहा है कि अजमेर का माहौल सौहार्द पूर्ण बना रहे इसके लिए सभी धर्मों के लोगों को आगे आना चाहिए। राठौड़ ने कहा कि आज जो लोग ख्वाजा साहब की दरगाह में मंदिर होने का दावा कर रहे हैं उन्हें ख्वाजा साहब के इतिहास को समझने की जरूरत है। ख्वाजा साहब का इंतकाल अजमेर में 1236 ई० में हुआ और तभी से ख्वाजा साहब की मजार बनी हुई है। देश में मस्जिदों को लेकर जो विवाद चल रहे है उनसे अजमेर की दरगाह का मामला बिल्कुल अलग है। पिछले 850 सालों में अजमेर के किसी व्यक्ति ने दरगाह में मंदिर होने की बात नहीं की। जिस विष्णु गुप्ता ने अजमेर की अदालत में मंदिर होने वाला जो वाद दायर किया है, वह विष्णु गुप्ता दिल्ली का रहने वाला है। उस पर कई आपराधिक मामले हैं। अजमेर के लोगों को बाहरी व्यक्ति के दावे पर भरोसा करने के बजाए सौहार्दपूर्ण माहौल का ख्याल रखना चाहिए। देश में भले ही कैसा भी माहौल हो, लेकिन अजमेर में हमेशा अमन चैन कायम रहा है। इसके पीछे यहां ख्वाजा साहब की दरगाह का होना भी है। दरगाह के साम्प्रदायिक सौहार्द का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि नरेंद्र मोदी भी प्रधानमंत्री की हैसियत से पिछले 11 सालों से उर्स में चादर पेश कर रहे है। पीएम मोदी भी मानते हैं कि ख्वाजा साहब की दरगाह दुनिया भर में सांप्रदायिक सौहार्द का संदेश देती है। राठौड़ ने कहा कि अब जब कुछ लोग सौहार्द बिगाड़ने चाहते हैं तब अजमेर के सभी धर्मों के लोगों को आगे आना चाहिए। मेरा प्रयास होगा कि मैं सभी धर्मों के लोगों को एकजुट करने और अजमेर के अच्छे माहौल को बनाए रखूं। मेरे इस अभियान में जो लोग जुड़ना चाहते हैं, वे मोबाइल नंबर 9571684444 पर मुझ से संपर्क कर सकते हैं।
हाईकोर्ट में याचिका पर विचार:
राठौड़ ने बताया कि वे दरगाह में मंदिर होने के प्रकरण में हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर करने पर वरिष्ठ वकीलों से राय ले रहे हैं। प्राथमिक जानकारी में आया है कि कोई सिविल अदालत किसी धार्मिक स्थल में सर्वे या भौगोलिक स्थिति में बदलाव के निर्देश नहीं दे सकती है। इसका ताजा मामला संभल मस्जिद प्रकरण में सुप्रीम कोर्ट के दिशा निर्देश हैं। सुप्रीम कोर्ट ने विगत दिनों संभल कोर्ट की कार्यवाही पर तो रोक लगाई ही है, साथ ही पूरे प्रकरण को हाईकोर्ट में ले जाने के निर्देश दिए है। वैसे भी 1991 के द प्लेस ऑफ वर्शिप एक्ट के अंतर्गत 1947 के बाद सभी धार्मिक स्थलों में यथा स्थिति बनी रहेगी। राठौड़ ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के ताजा निर्देश और 1991 के कानून के मद्देनजर ही अजमेर के लोगों की ओर से हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की जाएगी।
S.P.MITTAL BLOGGER (05-12-2024)Website- www.spmittal.inFacebook Page- www.facebook.com/SPMittalblogFollow me on Twitter- https://twitter.com/spmittalblogger?s=11Blog- spmittal.blogspot.comTo Add in WhatsApp Group- 9166157932To Contact- 9829071511