अडानी और सोरोस से भी बड़ा मुद्दा बांग्लादेश में हिंदुओं पर अत्याचार का है। तो फिर भारत में भी हिंदू सुरक्षित नहीं रह पाएंगे।

अमेरिका की एक अदालत में भारत के उद्योगपति गौतम अडानी की कंपनियों पर लगे आरोपों के मद्देनजर संसद में पहले कांग्रेस ने हंगामा किया तो अब अमेरिकी अरबपति जॉर्ज सोरोस के साथ सोनिया गांधी और राहुल गांधी के संबंधों को लेकर भाजपा हंगामा कर रही है। ऐसे में आरोप प्रत्यारोप के कारण ही संसद के दोनों सदन चल नहीं पा रहे है। कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों के सांसद राज्यसभा में सभापति जगदीप धनखड़ के विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव लाने की तैयारी कर रहे हैं। पूरा देश न्यूज चैनलों पर राजनीतिक दलों के सांसदों का तमाशा देख रहा है, लेकिन किसी को भी पड़ोसी बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचारों की चिंता नहीं है। आज बांग्लादेश में हजारों हिंदुओं का रहना मुश्किल हो गया है। मंदिरों में आग लगाई जा रही है तो महिलाओं को घरों से निकाल कर बदसलूकी हो रही है। गंभीर बात तो यह है कि मुस्लिम कट्टरपंथी संगठनों के ऐसे अत्याचारियों को पुलिस का भी संरक्षण मिला हुआ है। हिंदुओं का देश माने जाने वाले भारत में बांग्लादेश में हो रहे अत्याचारों पर चिंता तो है, लेकिन हिंदुओं को बचाने के लिए कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो रही है। जिस संसद में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचार पर चर्चा होनी चाहिए उस संसद में अडानी और सोरोस को लेकर हंगामा हो रहा है। राजनीतिक दल अपने निहित स्वार्थों के खातिर भले ही संसद में हंगामा करे, लेकिन यदि बांग्लादेश के हिंदुओं को नहीं बचाया गया तो एक दिन भारत में भी हिंदू सुरक्षित नहीं रह पाएगा। झारखंड के हाल ही के विधानसभा चुनाव में खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बांग्लादेशी घुसपैठियों के संदर्भ में कहा कि आदिवासियों की रोटी और बेटी को छीना जा रहा है। पीएम के इस कथन के बाद भी झारखंड में हेमंत सोरेन के नेतृत्व वाली जेएमएम की ही जीत हुई। उत्तर प्रदेश के संभल की हिंसा की तुलना मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बांग्लादेश में हो रहे अत्याचारों से की है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि देश के हालातों में किस तेजी के साथ बदलाव हो रहा है। नरेंद्र मोदी भले ही लगातार तीसरी बार प्रधानमंत्री बन गए हो, लेकिन देश के हालात बहुत चिंताजनक है। देश के दस राज्यों में पहले ही हिंदू समुदाय अल्पसंख्यक हो गया है। यदि ऐसे ही हालात रहे तो फिर देश में हिंदुओं का रहना मुश्किल हो जाएगा। देश के राजनेताओं को पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश के हालात देखने चाहिए। अफगानिस्तान पर पहले ही कट्टरपंथी संगठन तालिबान का कब्जा है। तो पाकिस्तान में सेना के दम पर कट्टरपंथी संगठन फलफूल रहे है। अगस्त में शेख हसीना के तख्तापलट के बाद बांग्लादेश ने भी भारत के राजनेता माने या नहीं, लेकिन हमारा देश कट्टरपंथी विचारधारा से घिर चुका है। 

S.P.MITTAL BLOGGER (10-12-2024)
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