जिस रिफाइनरी में देश के 18 प्रतिशत कच्चे तेल की प्रोसेसिंग होगी उस पर राजनीति न हो। राजनीति के कारण पहले ही लागत में 30 हजार करोड़ की वृद्धि हो चुकी है। राजस्थान के तेज से हवाई जहाज उड़ाने वाला ईंधन भी बनेगा।

10 जनवरी को राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने बालोतरा जिले में निर्माणाधीन रिफाइनरी का जायजा लिया। कहा जा रहा है कि दस में से चार इकाइयों में अप्रैल माह में प्रोसेसिंग का काम शुरू हो जाएगा। सीएम शर्मा के दौरे से पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के नेता अशोक गहलोत ने भी राजनीतिक टिप्पणी की है। गहलोत का कहना है कि जब वे वर्ष 2018 से दिसंबर 23 तक मुख्यमंत्री थे, तब उन्होंने रिफाइनरी के निर्माण कार्य को प्राथमिकता देते हुए दिसंबर 2024 तक प्रोसेसिंग का लक्ष्य रखा था, लेकिन भाजपा सरकार ने एक वर्ष बर्बाद कर दिया और अब प्रोसेसिंग के कार्य में विलंब हो रहा है। गहलोत हर समय विकास के मुद्दे पर राजनीति करने से बाज नहीं आते हैं। मौजूदा मुख्यमंत्री शर्मा ने 10 जनवरी को जो पहल की उसका स्वागत किया जाना चाहिए। रिफाइनरी के मुद्दे पर अब किसी भी प्रकार की राजनीतिक नहीं होनी चाहिए, क्योंकि राजस्थान में पांच-पांच वर्ष भाजपा-कांग्रेस की सरकार होने का खामियाजा रिफाइनरी को भी उठाना पड़ा है। वर्ष 2013 में जब प्रदेश में कांग्रेस की सरकार थी, तब तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने रिफाइनरी की आधार शिला रखी, लेकिन इसी वर्ष वसुंधरा राजे के नेतृत्व में भाजपा की सरकार बनी तो हिंदुस्तान पेट्रोलियम कारपोरेशन लिमिटेड (एचपीसीएल) से राजस्थान सरकार का नए सिरे से एमओयू हुआ, तब कहा गया कि नए एमओयू से राजस्थान को चालीस हजार करोड़ रुपए की बचत हुई। नए सिरे से एमओयू करने से निर्माण कार्य बाधित हुआ। वसुंधरा राजे के कार्यकाल में निर्माण कार्य गति पकड़ता इससे पहले ही दिसंबर 2018 में फिर से राजस्थान में कांग्रेस की सरकार बन गई। यानी रिफाइनरी की ट्रेन में एक इंजन ही रह गया। जाहिर है कि रिफाइनरी के शिलान्यास से ही राजनीति होती रही, लेकिन अब फिर रिफाइनरी की ट्रेन में दो इंजन लग गए है, इसलिए उम्मीद की जानी चाहिए कि जल्द से जल्द कच्चे तेल की प्रोसेसिंग शुरू हो जाएगी। राजस्थान के बाड़मेर की धरती में कच्चे तेल का अपार भंडार है। तेल विशेषज्ञों के अनुसार आज बाड़मेर की धरती से देश का 18 प्रतिशत कच्चा तेल निकल रहा है। चूंकि बालोतरा की रिफाइनरी में अभी तक भी प्रोसेसिंग का काम शुरू नहीं हुआ है, इसलिए बाड़मेर के तेल की प्रोसेसिंग गुजरात में हो रही है। बाड़मेर से गुजरात के जामनगर की रिफाइनरी में कच्चे तेज को ले जाने के परिवहन पर बहुत खर्च होता है। अब जब बालोतरा की रिफाइनरी में ही तेल की प्रोसेसिंग होगी तो परिवहन का खर्च भी कम होगा। बाड़मेर की धरती से निकलने वाले कच्चे तेल से पेट्रोल, डीजल, एलपीजी गैस तो तैयार होगी ही, साथ ही हवाई जहाज को उड़ाने में काम आने वाला बेस्ट क्वालिटी का ईंधन भी बनेगा। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि बाड़मेर की धरती से कितनी बेस्ट क्वालिटी का कच्चा तेल है। रिफाइनरी में कच्चे तेल की प्रोसेसिंग होगी तो कम से कम चालीस हजार लोगों को प्रत्यक्ष तौर पर रोजगार मिलेगा। इसके साथ ही कम से कम एक लाख लोगों को अप्रत्यक्ष तौर पर रोजगार उपलब्ध होगा। कच्चे तेल से पेट्रोल, डीजल, जेट ईंधन, एलपीजी गैस तैयार करने के बाद शेष बचे पदार्थ से कई तरह के उत्पाद बनते हैं। इनके लिए बालोतरा में ही छोटे छोटे उद्योग लगेंगे। रिफाइनरी की दस इकाइयों में जब प्रोसेसिंग शुरू होगी तो प्रतिदिन 1.2 मिलियन बैरल कच्चा तेल काम आ जाएगा। सीएम भजनलाल शर्मा का प्रयास होना चाहिए कि सभी दस इकाइयों में प्रोसेसिंग जल्द से जल्द शुरू हो जाए। इससे राजस्थान की कायापलट हो जाएगी। 

S.P.MITTAL BLOGGER (11-01-2025)
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