किसान के बेटे को बोलने से रोकने के लिए यह कांग्रेस का षडय़ंत्र है-मुख्यमंत्री शर्मा। तो क्या कांग्रेस के षडय़ंत्र में मंत्री किरोड़ीलाल मीणा भी शामिल हैं। राजस्थान विधानसभा में कांग्रेस विधायकों के पीछे पूर्व सीएम अशोक गहलोत की भूमिका। अब 19 जनवरी को वित्त मंत्री दीया कुमारी के बजट भाषण पर भी तलवार लटकी।

राजस्थान विधानसभा के इतिहास में संभवत: यह पहला अवसर रहा, जब राज्यपाल के अभिभाषण के धन्यवाद प्रस्ताव पर मुख्यमंत्री से पहले प्रतिपक्ष के नेता का भाषण नहीं हुआ। तय कार्यक्रम के अनुसार 7 फरवरी को मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के संबोधन से पहले प्रतिपक्ष के नेता टीकाराम जूली का संबोधन होना था, लेकिन कांग्रेस विधायकों के लगातार हंगामे के कारण जूली अपना भाषण नहीं दे सके। इसके साथ ही दो घंटे तक कांग्रेस के विधायक नारेबाजी करते रहे। मुख्यमंत्री को अपना पूरा भाषण नारेबाजी के बीच ही देना पड़ा। कांग्रेस विधायकों की नारेबाजी से खफा सीएम शर्मा ने कहा कि मैं किसान का बेटा हंू, इसलिए कांग्रेस षडय़ंत्र कर उन्हें विधानसभा में बोलने नहीं दे रही है। सीएम शर्मा के इस कथन के बाद ही सवाल उठा है कि क्या कांग्रेस के इस षडय़ंत्र में भजन सरकार के कृषि और आपदा राहत मंत्री किरोड़ीलाल मीणा शामिल हैं? असल में जिस मुद्दे पर कांग्रेस के विधायकों ने हंगामा किया वह मुद्दा मंत्री मीणा ने ही दिया। 5 फरवरी को एक सभा में मंत्री मीणा ने कहा कि उनकी ही सरकार में उनका मोबाइल फोन टैप करवाया जा रहा है। मीणा के इस बयान पर ही कांग्रेस के विधायकों ने मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा से फोन टैपिंग के मामले में बयान देने की मांग की। कांग्रेस के विधायकों का कहना रहा कि सरकार के ही एक मंत्री का फोन टैप करवाना गंभीर मामला है। सवाल उठता है कि विधानसभा चलने के दौरान ही मंत्री मीणा ने फोन टैपिंग वाला बयान क्यों दिया? क्या मंत्री मीणा और कांग्रेस के बीच पहले ही कोई सांठ गांठ हो गई थी? मालूम हो कि किरोड़ी मीणा मंत्री बनने के बाद से ही असंतुष्ट चल रहे है। इससे पहले भी मीणा ने अपनी ही सरकार के खिलाफ बयानबाजी की है। मीणा ने मंत्री पद से भी इस्तीफा दे रखा है। अब तक मुख्यमंत्री शर्मा किरोड़ी मीणा के प्रति नरम रुख अपनाए हुए थे, लेकिन 7 फरवरी को सीएम शर्मा ने षडय़ंत्र वाला जो बयान दिया है उससे प्रतीत होता है कि आने वाले दिनों में किरोड़ी मीणा को मंत्रिमंडल से बाहर कर दिया जाएगा। 

अशोक गहलोत की भूमिका:
7 फरवरी को विधानसभा में हुए हंगामे के पीछे कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की भूमिका बताई जा रही है। असल में वर्ष 2020 में जब कांग्रेस शासन में मुख्यमंत्री गहलोत पर विधायकों के फोन टैप करने के आरोप लगे थे, तब भाजपा विधायकों ने खूब हंगामा किया था। तब भाजपा विधायकों ने कई बार विधानसभा को भी बाधित किया। गहलोत अपने विरुद्ध हुए हंगामे का बदला लेना चाहते थे, इसलिए 7 फरवरी को कांग्रेस विधायकों से हंगामा कराया गया। जानकारी के मुताबिक कांग्रेस विधायक दल के नेता टीकाराम जूली अपने भाषण की पूरी तैयारी करके आए थे। लेकिन गहलोत ने प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष और विधायक गोविंद सिंह डोटासरा को निर्देश देकर कांग्रेस विधायकों से सरकार के विरुद्ध नारेबाजी करवाई। खुद गहलोत ने भी सोशल मीडिया पर भाजपा सरकार की आलोचना की। 

बजट भाषण पर तलवार:
मुख्यमंत्री के संबोधन के बाद विधानसभा 19 फरवरी को प्रातः 11 बजे तक के लिए स्थगित हो गई। यानी अब बजट सत्र की शुरुआत 19 फरवरी को होगी। तय कार्यक्रम के अनुसार 19 फरवरी को ही वित्त मंत्री दीया कुमारी बजट प्रस्तुत करेंगी। चूंकि अभी विपक्ष और सरकार के प्रतिनिधियों के बीच कोई वार्ता नहीं हुई है, इसलिए माना जा रहा है कि कांग्रेस के विधायक दीया कुमारी के बजट भाषण में भी नारेबाजी करेंगे। कांग्रेस के विधायक फोन टैपिंग के मामले में सदन में मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के बयान की मांग पर अड़े हुए हैं। 

S.P.MITTAL BLOGGER (08-02-2025)
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