मंत्री और विधायकों के साथ राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने भी महाकुंभ में डुबकी लगाई। यानी योगी की राह पर। दिल्ली चुनाव में सीएम और डिप्टी सीएम स्टार प्रचारक रहे, लेकिन जीत का लड्डू पूर्व सीएम वसुंधरा राजे ने भी खाया। हनुमान बेनीवाल का समर्थन भी केजरीवाल को नहीं जितवा सका।
8 फरवरी को राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने अपने मंत्रियों और भाजपा विधायकों के साथ प्रयागराज में महाकुंभ का स्नान किया। स्नान के बाद मेला क्षेत्र में बनाए गए राजस्थान मंडपम में मंत्रिमंडल की बैठक की। इस बैठक में प्रदेश के देवस्थान से जुड़े मंदिरों के पुजारियों को प्रतिमाह 5 हजार से बढ़ाकर 7500 रुपए का वेतन देने का निर्णय भी लिया गया। इसके साथ ही मंदिरों में चढ़ने वाले प्रसाद की राशि को भी तीन हजार रुपए कर दिया गया। साथ ही मंदिरों के जीर्णोद्धार के लिए 101 करोड़ रुपए आवंटित किए गए हैं। सीएम शर्मा ने यह दिखाने का प्रयास किया कि उनकी सरकार सनातन संस्कृति को मजबूत कर रही है। मालूम हो कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी मंत्रियों और विधायकों के साथ महाकुंभ में स्नान करने के बाद मंत्रिमंडल की बैठक प्रयागराज के मेला क्षेत्र में ही की थी। कहा जा सकता है कि राजस्थान के सीएम भजनलाल भी योगी आदित्यनाथ की राह पर चल रहे हैं।
जीत का लड्डू:
दिल्ली के विधानसभा चुनाव में राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा और उपमुख्यमंत्री डॉ. प्रेमचंद बैरवा भी स्टार प्रचारक रहे। शर्मा और बैरवा ने जिन विधानसभा क्षेत्रों में सभाएं की इनमें अधिकांश में भाजपा उम्मीदवारों की जीत हुई है। डॉ. बैरवा ने 7 सीटों पर प्रचार किया इनमें से 6 में भाजपा की जीत हुई। यही वजह है कि अब सीएम और डिप्टी सीएम बेहद खुश है। भाजपा के राष्ट्रीय नेतृत्व ने इन दोनों पर जो भरोसा जताया, उस पर दोनों खरे उतरे हैं। भले ही सीएम शर्मा और डिप्टी सीएम बैरवा ने प्रचार किया हो, लेकिन जयपुर में जीत का लड्डू पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने भी खाया। 8 फरवरी को दिल्ली की जीत पर जयपुर में भाजपा के प्रदेश कार्यालय पर अध्यक्ष मदन राठौड़ की मौजदूगी में भाजपा कार्यकर्ताओं ने जश्न मनाया। इस जश्न में पूर्व सीएम राजे भी शामिल हुई। राजे को मदन राठौड़ ने अपने हाथों से लड्डू खिलाया।
फिर भी नहीं मिली जीत:
आम आदमी पार्टी के संयोजक और दो बार दिल्ली के मुख्यमंत्री रहे अरविंद केजरीवाल ने नई दिल्ली विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा था। केजरीवाल भाजपा के उम्मीदवार प्रवेश वर्मा से चार हजार मतों से हार गए। असल में केजरीवाल को प्रचार के दौरान ही हार की आशंका हो गई थी, इसलिए उन्होंने राजस्थान लोकतांत्रिक पार्टी आरएलपी के संयोजक और नागौर के सांसद हनुमान बेनीवाल को प्रचार के लिए बुलाया। केजरीवाल का मानना रहा कि नई दिल्ली सीट में जाट समुदाय के जो वोट है, उन पर बेनीवाल का प्रभाव होगा। बेनीवाल ने अपनी तरफ से खूब प्रयास किए कि नई दिल्ली सीट पर केजरीवाल की जीत हो जाए। लेकिन बेनीवाल के समर्थन के बाद भी केजरीवाल चुनाव नहीं जीत सके। यहां यह उल्लेखनीय है कि नई दिल्ली सीट से कांग्रेस के उम्मीदवार और पूर्व सीएम दिवंगत शीला दीक्षित के पुत्र संदीप दीक्षित को मात्र पांच हजार वोट ही मिल पाए।
S.P.MITTAL BLOGGER (09-02-2025)Website- www.spmittal.inFacebook Page- www.facebook.com/SPMittalblogFollow me on Twitter- https://twitter.com/spmittalblogger?s=11Blog- spmittal.blogspot.comTo Add in WhatsApp Group- 9166157932To Contact- 9829071511