अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में इस बार होली का पर्व भी मनेगा। ऐसा यूनिवर्सिटी के इतिहास में पहली बार। बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक होली पर्व के समारोह में मुस्लिम छात्राओं को भी शामिल होना चाहिए।

उत्तर प्रदेश की बहुचर्चित अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में इस बार 13 व 14 अप्रैल को होली का पर्व उत्साह के साथ मनाया जाएगा। यूनिवर्सिटी के इतिहास में संभवत: यह पहला अवसर है, जब यूनिवर्सिटी के सभागार में एकत्रित होकर छात्र होली का पर्व मना सकेंगे। इसके लिए यूनिवर्सिटी प्रशासन ने लिखित में आदेश जारी कर दिए हैं। होली का पर्व मनाने की मांग हिंदू समुदाय के छात्र वर्षों से करते आ रहे थे, लेकिन किसी अप्रिय घटना की आशंका की वजह से होली का पर्व मनाने की अनुमति नहीं दी जा रही थी। प्रशासन को हमेशा आशंका रहती थी कि होली के पर्व का विरोध यूनिवर्सिटी में पढ़ने वाले मुस्लिम छात्र करेंगे। असल में कांग्रेस, समाजवादी पार्टी और बहुजन समाजवादी पार्टी की सरकारों में इस यूनिवर्सिटी को सिर्फ मुस्लिम छात्राओं के लिए ही मान लिया गया। इसलिए यूनिवर्सिटी में ईद का पर्व तो मनता रहा, लेकिन हिंदू समुदाय का कोई पर्व नहीं बनने दिया गया।जबकि यूजीसी के नियमों के तहत यूनिवर्सिटी में हिन्दू और मुस्लिम दोनों समुदायों के छात्रों के सम्मान के अधिकार है। अब जब होली का पर्व भी यूनिवर्सिटी के सभागार में मनाया जा रहा है, तब मुस्लिम छात्राओं को भी समारोह में शामिल होना चाहिए। हालांकि इन दिनों मुस्लिम समुदाय में रमजान माह में रोजे रखे जा रहे हैं। इस्लाम की रोजा परंपरा का निर्वाह करते हुए मुस्लिम छात्राओं को हिन्दू समुदाय के इस पर्व में शामिल होना चाहिए। यहां यह उल्लेखनीय है कि सनातन संस्कृति में होली के पर्व को बुराई पर अच्छाई के प्रतीक के तौर पर मनाया जाता है। सनातन संस्कृति के जानकारों के अनुसार जब असुर हिरण्यकश्यप ने अपनी बहन होलिका के माध्यम से भगवान विष्णु के भक्त प्रहलाद को जलाने का प्रयास किया तो भगवान के आशीर्वाद से भक्त प्रहलाद तो बच गया, लेकिन होलिका जल गई। होली का पर्व इंसान को बुरे काम नहीं करने की प्रेरणा देता है। क्योंकि बुरे कार्यों का परिणाम भी बुरा होता है। यदि अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में होली के समारोह में मुस्लिम छात्र भी सकारात्मक रुख अपनाते है तो देश भर में साम्प्रदायिक सौहार्द का एक अच्छा संदेश भी जाएगा। यहां यह उल्लेखनीय है कि इन दिनों रमजान माह में हिन्दू समुदाय के लोग मुस्लिम रोजेदारों के लिए इफ्तार पार्टी कर रहे है। हिन्दू समुदाय सांप्रदायिक सौहार्द के लिए ही इफ्तार पार्टी आयोजित करता है। 

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