अजमेर में वकील की बलि लेने के बाद अब तो मॉडिफाइड वाहनों के डीजे पर रोक लगे। वकील के शव का अंतिम संस्कार भी हो। आखिर कहां है पुष्कर के विधायक कैबिनेट मंत्री सुरेश रावत?

पुष्कर के वकील पुरुषोत्तम जाखेटिया की हत्या के विरोध में 8 मार्च को अजमेर शहर सहित जिले के पुष्कर, नसीराबाद, केकड़ी, ब्यावर आदि बंद रहे। जाखेटिया की मौत 7 मार्च को इलाज के दौरान अजमेर के जेएलएन अस्पताल में हो गई थी। 2 मार्च की रात को जाखेटिया ने पुष्कर में अपने निवास के बाहर बज रहे डीजे का विरोध किया था। इस विरोध से गुस्साए युवकों ने वकील जाखेटिया को इतना बुरी तरह पीटा की 7 मार्च को उनकी मौत हो गई। यह सही है कि यदि डीजे का हुड़दंग नहीं होता तो वकील जाखेटिया की मौत भी नहीं होती। अब जब डीजे ने एक वकील की बलि ले ही ली है तो मॉडिफाइड वाहनों पर लगे डीजे पर रोक लगनी चाहिए। कुछ लोग पैसा कमाने के लालच में छोटे वाहनों पर ऊंची आवाज वाले ध्वनि प्रसारण यंत्र स्थापित कर लेते हैं। एक वाहन पर कई बड़े स्पीकर लगा देने से 200 से लेकर 500 डेसिबल तक ध्वनि निकलती है। सामान्य इंसान अधिकतम 80 डेसिबल ध्वनि बर्दाश्त कर सकता है, लेकिन जब 500 डेसिबल ध्वनि सुनाई देती है तो कान के साथ साथ हार्ट और मस्तिष्क पर भी असर होता है। लगातार तेज आवाज सुनने से बहरापन और हार्ट अटैक हो सकता है। सरकार के किसी भी कानून में मॉडिफाइड वाहनों पर डीजे स्थापित करने की अनुमति नहीं है। लेकिन इसके बाद भी ऐसे डीजे वाले वाहन ग्रामीण क्षेत्रों में धड़ल्ले से चल रहे है। कायदे से ऐसे डीजे वाले वाहनों पर पुलिस के साथ साथ परिवहन विभाग को भी कार्यवाही करनी चाहिए, लेकिन ऐसा प्रतीत होता है कि इन दोनों विभागों के संरक्षण में ही अवैध वाहन चल रहे है। ऐसे डीजे वाहनों की वजह से आए दिन झगड़े होते हैं। 

शव का अंतिम संस्कार हो:
वकील साथी की मोत के बाद अजमेर जिले के वकीलों में भारी रोष है, इसलिए 8 मार्च को अजमेर बंद करवाया गया जो पूरी तरह सफल रहा। वकीलों की मांग है कि सभी आरोपी गिरफ्तार हो तथा मृतक के परिजन को एक करोड़ रुपए के मुआवजे के साथ साथ सरकारी नौकरी दी जाए। साथ ही वकीलों के लिए प्रोटेक्शन एक्ट लागू किया जाए। वकीलों की इन मांगों पर प्रशासन और सरकार को प्रभावी कार्यवाही करनी चाहिए, लेकिन यह भी जरूरी है कि वकील जाखेटिया के शव का सम्मान पूर्वक अंतिम संस्कार हो। जाखेटिया का शव अभी भी जेएलएन अस्पताल के मुर्दाघर में रखा हुआ है। परिजन और वकीलों का कहना है कि जब तक मांगे पूरी नहीं होगी, तब तक शव का अंतिम संस्कार नहीं किया जाएगा। सब जानते हैं कि वकील समुदाय संगठित है और अदालतों के बहिष्कार का दबाव भी सरकार पर पड़ता है। वकील समुदाय में सत्तारूढ़ भाजपा और प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस के वकील भी शामिल हैं। शव के अंतिम संस्कार के बाद भी मांगों को लेकर सरकार पर दबाव डाला जा सकता है। परिजन की प्राथमिकता भी जाखेटिया के शव का अंतिम संस्कार करने की होनी चाहिए। निधन के बाद किसी व्यक्ति का शव लंबे समय तक मुर्दाघर में न रहे, इसकी जवाबदेही सरकार की भी है। हालांकि जिला प्रशासन के अधिकारी पूरी संवेदनशीलता के साथ विवाद को सुलझाने में लगे हुए हैं, लेकिन सभी वगों का प्रयास होना चाहिए कि कम  से कम शव का अंतिम संस्कार हो ही जाए। 

कहां है कैबिनेट मंत्री:
दो मार्च की रात को हुई घटना के बाद से ही अजमेर जिले के वकील आंदोलन कर रहे है। घायल वकील जाखेटिया की मौत के बाद तो वकील समुदाय उग्र हो गया है। अजमेर बंद और वकीलों के बड़े आंदोलन के बाद भी पुष्कर के विधायक और कैबिनेट मंत्री सुरेश सिंह रावत की सक्रियता देखने को नहीं मिली। अजमेर उत्तर के विधायक और विधानसभा के अध्यक्ष वासुदेव देवनान ने तो इस मामले में मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा तक से बात की है और अजमेर के अधिकारियों को आरोपियों के विरुद्ध सख्त कार्यवाही करने के निर्देश दिएह ैं। लेकिन जिस पुष्कर में वकील की हत्या हुई, उस पुष्कर क्षेत्र के विधायक सुरेश सिंह रावत ने अभी तक भी आरोपियों के खिलाफ कार्यवाही करने का कोई दबाव नहीं डाला। सुरेश रावत की चुप्पी वकील समुदाय की नाराजगी को और बड़ा रहा है। सुरेश रावत चाहे तो अपने राजनीतिक प्रभाव का इस्तेमाल कर वकील समुदाय की मांगों पर समझौता करवा सकते हैं। सवाल उठता है कि जब विधानसभा अध्यक्ष देवनानी सक्रिय है तो फिर कैबिनेट मंत्री सुरेश रावत चुप क्यों है?

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