आनासागर के भराव क्षेत्र में बने पक्के निर्माणों ने जिन लोगों ने राजस्थान हाई कोर्ट से स्टे ले रखा है, क्या सुप्रीम कोर्ट ऐसे स्टे आडरों को खारिज करवाएगा? सेवन वंडर, फूड प्लाजा आदि इमारतों को तोड़ने का मामला।

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) और सुप्रीम कोर्ट के आदेश निर्देश के बाद अजमेर में आनासागर के भराव क्षेत्र में स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट में बने सेवन वंडर, फूड प्लाजा, गांधी स्मृति उद्यान को तोड़ने का काम लगातारी जारी है। इस तोडफ़ोड ़की कार्यवाही  केबीच सवाल उठता है कि जिन लोगों ने आनासागर के भराव क्षेत्र में अपने पक्के निर्माणों पर राजस्थान हाईकोर्ट से स्टे ले रखा है, क्या सुप्रीम कोर्ट ऐसे स्टे आर्डरों को खारिज करवा देगा? सुप्रीम कोर्ट चाहता है कि एनजीटी ने सेवन वंडर, प्लाजा आदि को आनासागर के भराव क्षेत्र से हटाने का जो आदेश पारित किया है उस पर प्रशासनिक कार्यवाही करे। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद प्रशासन ने बुलडोजर चला कर कुछ इमारतों को तोड़ा भी है, लेकिन आनासागर के भराव क्षेत्र में एक हजार से भी ज्यादा पक्के निर्माण हो रखे हैं। कुछ लोगों ने हाईकोर्ट से स्टे आदेश ले रखा है ताकि प्रशासन तोडफ़ोड की कार्यवाही न कर सके। यह सही है कि स्मार्ट सिटी प्रोजेक्टर के अधिकारियों ने नियमों का उल्लंघन कर सेवन वंडर, फूड प्लाजा जैसे निर्माण आनासागर के भराव क्षेत्र में कर दिए। जबकि इन स्थानों पर पर्यावरण की दृष्टि से पेड़ पौधे लगाए जाने चाहिए थे? चूंकि सेवन वंडर जैसी इमारतें सरकारी है, इसलिए इन्हें तोड़ा जा रहा है, लेकिन आनासागर झील को बचाने का काम तभी सफल होगा, जब सभी पक्के निर्माण हटाए जाए। इसके लिए जरूरी है कि पहले हाईकोर्ट के स्टे आर्डर खारिज हो। ऐसा नहीं होना चाहिए कि सुप्रीम कोर्ट एनजीटी के आदेशों की पालना के अंतर्गत सरकारी इमारतें तुड़वादे और हाईकोर्ट के स्टे आदेश से प्रभावशाली लोगों के पक्के निर्माण आनासागर में बने रहे। आनासागर के साथ न्याय तभी होगा जब हाईकोर्ट वाले स्टे आदेश भी खारिज हो। सुप्रीम कोर्ट को अपने विशेषाधिकारों का उपयोग करते हुए हाईकोर्ट के स्टे आदेश खारिज करवाने चाहिए। 

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