होली पर सरकार की किरकिरी करवाने के बाद अधिकारियों को याद आया पुलिस का अनुशासन।
राजस्थान पुलिस के मुखिया यूआर साहू के निर्देश पर 17 मार्च को सभी जिलों के पुलिस अधीक्षकों और वरिष्ठ अधिकारियों ने पुलिस लाइन में जाकर जवानों के साथ भोजन किया। पुलिस थानों और लाइन में रह रहे जवानों को अनुशासन का पाठ पढ़ाया गया।यह कार्यवाही इसलिए की गई ताकि कोई भी जवान थानों और पुलिस लाइन में भोजन का बहिष्कार न करे। अधिकारियों ने कहा कि यदि किसी जवान ने बहिष्कार किया तो इसके विरुद्ध अनुशासनहीनता की कार्यवाही की जाएगी। जवानों को याद दिलाया गया कि पुलिस सेवा नियमों में मांगों को लेकर विरोध करने की अनुमति नहीं है। अधिकारियों ने 17 मार्च को अनुशासन का जो पाठ पढ़ाया उसी का परिणाम रहा कि अब कोई भी जवान भोजन का बहिष्कार नहीं कर रहा है। पुलिस अधिकारियों को अनुशासन तब याद आया है, जब 15 मार्च को राजस्थान में भजनलाल सरकार की किरकिरी हो गई। पुलिस जवानों ने वेतन विसंगतियों और पदोन्नति की मांगों को लेकर 15 मार्च को होली मिलन का प्रदेश भर में बहिष्कार किया। परंपरा के अनुरूप पुलिस के अधिकारी जवानों के साथ होली खेलने के लिए पुलिस लाइन पहुंच गए, लेकिन एक भी जवान होली खेलने नहीं आया। किसी भी पुलिस थाने से सिपाही निकले ही नही। राजस्थान पुलिस के इतिहास में यह पहला अवसर रहा, जब पुलिस जवानों के विरोध की जानकारी मुख्यमंत्री तक नहीं पहुंची। प्रदेश के साठ हजार पुलिस जवान होली मिलन समारोह का बहिष्कार कर रहे है, इसकी जानकारी मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा को 15 मार्च को ही सोशल मीडिया के माध्यम से हुई। सरकार के लिए यह और बुरी बात थी कि गृह विभाग का प्रभार भी मुख्यमंत्री के पास ही है। यानी प्रदेश के 60 हजार जवान एक साथ होली पर्व का बहिष्कार कर रहे है और मुख्यमंत्री को जानकारी भी नहीं है। जवानों का होली बहिष्कार सरकार के सूचना तंत्र पर भी सवालिया निशान लगाता है। कायदे से तो उन जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्यवाही होनी चाहिए जिन्होंने प्रदेश भर के जवानों को होली पर्व का बहिष्कार करने की शह दी। अधिकारियों की शह के बगैर पुलिस के जवान इतनी बड़ी अनुशासनहीनता नहीं कर सकते।