विधानसभा अध्यक्ष देवनानी ने पूर्व सीएम अशोक गहलोत के झूठ की पोल खोली। अच्छा होता कि गोविंद सिंह डोटासरा से माफी मंगवाते गहलोत।
राजस्थान विधानसभा के अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने कांग्रेस के विधायक और पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बयान को आधारहीन और झूठा बताया है। गहलोत ने 19 मार्च को कहा था कि विधानसभा में कांग्रेस के विधायकों को बोलने नहीं दिया जा रहा है और कांग्रेस के विधायकों के निलंबन के बाद भी सदन की कार्यवाही जारी रखी जाती है। गहलोत ने अध्यक्ष देवनानी पर भी पक्षपात का आरोप लगाया। गहलोत के बयान के संदर्भ में अब देवनानी ने कहा कि अनुदान मांगों पर सदन में 8 दिन चर्चा हुई। इन 8 दिनों में कांग्रेस के विधायकों को 162 बार बोलने का अवसर दिया गया, जबकि भाजपा के विधायक 161 बार ही बोल पाए। देवनानी ने कहा कि सदन चलाते समय वे सत्तारूढ़ भाजपा से ज्यादा विपक्ष के विधायकों को बोलने का अवसर देते हैं। चूंकि लोकतंत्र में विपक्ष की भी भूमिका होती है, इसलिए वे लोकतांत्रिक तरीके से सदन का संचालन करते हैं। ऐसे कई अवसर आए जब उन्होंने सत्तारूढ़ दल के मंत्रियों और विधायकों को भी चेतावनी दी। देवनानी ने कहा कि अशोक गहलोत 15 वर्ष तक प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे हैं, उन्हें एक जिम्मेदार राजनेता की तरह आचरण करना चाहिए। लेकिन वे सदन की कार्यवाही को लेकर गलत बयानी कर रहे है। देवनानी ने इस बात पर अफसोस जताया कि कांग्रेस के विधायकों ने विधानसभा के संवैधानिक कार्यक्रमों का भी बहिष्कार किया है। देवनानी के बयान से जाहिर है कि पूर्व सीएम गहलोत ने जो बयान दिया वह न केवल आधारहीन बल्कि झूठा भी है।
डोटासरा ने नहीं मांगी माफी:
कांग्रेस के विधायक और प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने विधानसभा अध्यक्ष देवनानी के आपत्तिजनक बातें कही। इन से मेरा जूता मांगे माफी, तू परमानेंट चला जा जैसी टिप्पणियां भी शामिल है। इन टिप्पणियों से देवनानी विधानसभा में ही आहत दिखे। यहां तक कि उनकी आंखों में आंसू आ गए। लेकिन डोटासरा ने अपने बयान पर अभी तक भी माफी नहीं मांगी है। इतना ही नहीं जिस दिन कांग्रेस विधायक दल के नेता टीकाराम जूली ने डोटासरा की ओर से माफी मांगी, उसी दिन से डोटासरा विधानसभा नहीं आ रहे। अच्छा होता कि अशोक गहलोत अपने प्रभाव का इस्तेमाल कर डोटासरा से भी माफी मंगवाते। ऐसा प्रतीत होता है कि विधानसभा अध्यक्ष देवनानी पर पक्षपात का आरोप लगाकर गहलोत ने डोटासरा के बयान का समर्थन किया है। इसे कांग्रेस में अंतर्विरोध ही कहा जाएगा कि एक और विधायक दल के नेता टीकाराम जूली सदन में अध्यक्ष से माफी मांग रहे है, तो दूसरी ओर सदन के बाहर अशोक गहलोत पक्षपात का आरोप लगा रहे हैं। गहलोत के विधायक होने के बाद भी विधानसभा नहीं आते। 19 मार्च को भी गहलोत विधानसभा परिसर में तो आए, लेकिन सदन के अंदर नहीं गए। क्या गहलोत स्वयं को विधानसभा से बड़ा समझते हैं? गहलोत ने चालू बजट सत्र में सदन के अंदर एक बार भी अपनी उपस्थिति दर्ज नहीं करवाई है।
S.P.MITTAL BLOGGER (22-03-2025)Website- www.spmittal.inFacebook Page- www.facebook.com/SPMittalblogFollow me on Twitter- https://twitter.com/spmittalblogger?s=11Blog- spmittal.blogspot.comTo Add in WhatsApp Group- 9166157932To Contact- 9829071511