पिछले वर्ष का प्रश्न पत्र ही रिपीट हो गया इसलिए राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की 12वीं की बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन की परीक्षा रद्द। 30 हजार विद्यार्थियों और उनके अभिभावकों की परेशानी का जिम्मेदार कौन? बोर्ड इतिहास में पहली बार। शिक्षा मंत्री मदन दिलावर बताएं कि शिक्षा बोर्ड में पोपा बाई का राज कैसे चल रहा है?

इन दोनों राजस्थान भर में राज्य शिक्षा बोर्ड द्वारा आयोजित 10वीं और 12वीं के परीक्षाएं चल रही है, इन परीक्षाओं में करीब 25 लाख विद्यार्थी भाग ले रहे हैं, लेकिन इसे शिक्षा बोर्ड में पोपा बाई का राज ही होना कहा जाएगा की 12वीं कक्षा के बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन विषय की परीक्षा में पिछले वर्ष का प्रश्न पत्र ही रिपीट हो गया। यह परीक्षा 22 मार्च को प्रदेश भर में आयोजित हुई थी। प्रश्न पत्र के रिपीट होने की जानकारी मिलने के बाद बोर्ड प्रशासन ने 23 मार्च को इस परीक्षा को रद्द कर दिया। इस परीक्षा में करीब 30 हजार विद्यार्थियों ने भाग लिया। सवाल उठता है कि इस 30 हजार विद्यार्थियों और उनके अभिभावकों को होने वाली परेशानी का जिम्मेदार कौन होगा? शिक्षा बोर्ड के सचिव कैलाश चंद्र शर्मा ने एक बयान जारी कर प्रश्न पत्र रिपीट होने के लिए पेपर सेंटर को जिम्मेदार ठहराया दिया है। सचिव का कहना है कि ऐसे पेपर सेंटर को ब्लैकलिस्टेड किया जा रहा है। सवाल उठता है कि क्या प्रश्न पत्र रिपीट होने वाली भीषण गलती के लिए सिर्फ  पेपर सेंटर ही जिम्मेदार है? बोर्ड सचिव शर्मा भी पोपा बाई के उसे शासन के हिस्सेदार है जिसमें झूठ भी बोला जा सकता है। बोर्ड सचिव कुछ भी झूठ बोले, लेकिन वार्षिक परीक्षा के प्रश्न पत्र को बनाने की बोर्ड में पूरी प्रक्रिया है। बोर्ड अध्यक्ष के निर्देशों पर ही विषय विशेषज्ञों का चयन होता है। विशेषज्ञों से एक प्रश्न पत्र के चार सेट तैयार कराए जाते हैं। इन चारों प्रश्न पत्रों की जांच कॉलेज स्तर के विषय विशेषज्ञ से करवाई जाती है। यह विशेषज्ञ यह देखा है कि स्कूली शिक्षा के विशेषज्ञों ने जो प्रश्न पत्र तैयार किए हैं उनमें कोई गलती तो नहीं है। इस प्रक्रिया के बाद एक समिति प्रश्न पत्रों की बारीकी से अध्ययन करती है। इसके बाद एक प्रश्न पत्र तैयार किया जाता है। ऐसे में सवाल उठता है कि सिर्फ  एक पेपर सेंटर कैसे जिम्मेदार हो सकता है? इसे शिक्षा बोर्ड में पोपा बाई का राज ही कहा जाएगा की शिक्षा बोर्ड में निदेशक शैक्षिक के पद पर स्कूल शिक्षक राकेश स्वामी गत 3 वर्षों से कम कर रहे हैं। नियमों के मुताबिक इस महत्वपूर्ण पद पर जिला शिक्षा अधिकारी स्तर का शिक्षाविद नियुक्त होना चाहिए। पिछले कांग्रेस शासन में तत्कालीन शिक्षा मंत्री बीडी कल्ला से राकेश स्वामी की सीधी अप्रोच थी इसलिए शिक्षा बोर्ड में निदेशक शैक्षिक का पद प्राप्त कर लिया गया। यूं तो मौजूद भाजपा सरकार के शिक्षा मंत्री मदन दिलावर कांग्रेस सरकार के शिक्षा मंत्रियों को जेल भेजने के दावे करते हैं, लेकिन दिलावर के अधीन काम करने वाले शिक्षा बोर्ड में आज भी राकेश स्वामी ही निर्देशक (शैक्षिक) के पद पर कायम है। यदि पोपा बाई का राज नहीं होता तो राकेश स्वामी को तो हटाया ही जा सकता था। यहां यह उल्लेखनीय है कि प्रश्न पत्र के विषय विशेषज्ञों का चयन निदेशक शैक्षिक के द्वारा ही होता है। शिक्षा बोर्ड के इतिहास में यह पहला अवसर है जब किसी परीक्षा का प्रश्न पत्र गत वर्ष वाला ही रिपीट हो गया है। इस प्रकरण में उन सभी शिक्षाविदों और अधिकारियों के खिलाफ कार्यवाही होनी चाहिए जिन्होंने बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन विषय की परीक्षा का प्रश्न पत्र तैयार करने में भूमिका निभाई। राजस्थान में भाजपा का शासन कायम हुए सवा वर्ष गुजर गया, लेकिन अभी तक भी शिक्षा बोर्ड में स्थाई अध्यक्ष की नियुक्ति नहीं हो पाई है। अजमेर के संभागीय आयुक्त को ही बोर्ड प्रशासक के पद का अतिरिक्त काम दे रखा है बोर्ड अध्यक्ष का पद कांग्रेस शासन में तब से खाली पड़ा है जब रीट परीक्षा घोटाले में तत्कालीन अध्यक्ष डीपी जरौली को बर्खास्त किया गया था। तब भाजपा नेताओं ने शासन ने आने पर ही बोर्ड की दशा सुधारने का वादा किया था लेकिन भाजपा के शासन में भी बोर्ड अध्यक्ष की नियुक्ति नहीं हो पा रही है ।

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