सुप्रीम कोर्ट ने माना कि लोकतंत्र में जनता द्वारा बनाई सरकार ही सर्वोपरि। यानी वक्फ एक्ट संशोधन के विरुद्ध दायर याचिकाओं पर भी फैसला आ गया।
संसद के दोनों सदनों में वक्फ एक्ट संशोधन के प्रस्ताव मंजूर होने के बाद राष्ट्रपति ने भी स्वीकृति दे दी है। यानी संसद में जो प्रस्ताव स्वीकृत हुआ वह अब कानून बन चुका है। लेकिन इसके बावजूद कुछ मुस्लिम संगठनों और सांसदों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिकाएं दायर कर रद्द करने की मांग की है। इन सभी याचिकाओं पर 16 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होनी है, लेकिन इससे पहले 9 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस जेबी पादरीवाला और जस्टिस आर माधवन ने तमिलनाडु सरकार बनाम राज्यपाल के विवाद में फैसला दे दिया है कि लोकतंत्र में जनता द्वारा चुनी गई सरकार ही सर्वोपरि होती है। एक निर्वाचित सरकार ही जनता के प्रति उत्तरदायी होती है। जनप्रतिनिधियों को हर पांच वर्ष में जनता के बीच जाकर अपनी उपलब्धियों का रिपोर्ट कार्ड प्रस्तुत करना होता है। किसी को भी यह अधिकार नहीं कि विधानसभा में स्वीकृत प्रस्ताव को रोक दिया जाए। यह मूल सिद्धांत हमारे लोकतंत्र को बचाए रखने के लिए जरूरी है। इसके साथ ही दोनों जजों ने तमिलनाडु सरकार के प्रस्तावों को राज्यपाल द्वारा रोके जाने की निंदा की। इतना ही नहीं सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु सरकार ने जिस दिन राज्यपाल को प्रस्ताव भेजे उसी दिन से मंजूरी के आदेश भी दिए। यानी सुप्रीम कोर्ट ने राज्यपाल की अनुमति को भी दरकिनार कर दिया। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले पर विपक्षी दल बेहद खुश है। तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने तो इसे लोकतंत्र की जीत बताया है। सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला भले ही तमिलनाडु सरकार और राज्यपाल के विवाद के संदर्भ में आया हो, लेकिन इससे प्रतीत होता है कि वक्फ एक्ट संशोधन के विरुद्ध प्रस्तुत याचिकाओं पर भी सुप्रीम कोर्ट का नजरिया सामने आ गया है। वक्फ एक्ट में संशोधन का प्रस्ताव भी लोकसभा और राज्य सभा में स्वीकृत हुआ है। यह प्रस्ताव नरेंद्र मोदी सरकार का है, जिसे देश की जनता ने लगातार तीसरी बार चुना है।ै यानी वक्फ एक्ट में संशोधन देश की जनता की भावनाओं के अनुरूप हुआ है। जब सुप्रीम कोर्ट तमिलनाडु के प्रकरण में जनता द्वारा चुनी गई सरकार को सर्वोपरि मानता है तो फिर जनता द्वारा चुनी गई मोदी सरकार के निर्णय पर सुप्रीम कोर्ट आपत्ति कैसे जता सकता है? सुप्रीम कोर्ट का जो रुख तमिलनाडु पर लागू होता है, वही रुख केंद्र की सरकार पर भी लागू होगा। सुप्रीम कोर्ट यह नहीं कह सकता है कि तमिलनाडु और देश की जनता में फर्क ळै। जब तमिलनाडु में जनता सर्वोपरि है तो देश में भी जनता ही सर्वोपरि है। पूर्व के वक्फ एक्ट में कितनी बुराइयां है, यह अब कोई मुद्दा नहीं रहा है, क्योंकि संशोधन के बाद नया कानून बनने से पुराना वाला निरस्त हो गया है। देश के जागरूक पाठकों को पता होगा कि जब 2020 में जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाने के प्रस्ताव को संसद के दोनों सदनों में मंजूरी मिली, तब भी अनेक संगठन सुप्रीम कोर्ट गए थे। तब भी सुप्रीम कोर्ट ने लोकतंत्र में जनता द्वारा चुनी गई सरकार के फैसले को ही सर्वोपरि माना।
S.P.MITTAL BLOGGER (13-04-2025)Website- www.spmittal.inFacebook Page- www.facebook.com/SPMittalblogFollow me on Twitter- https://twitter.com/spmittalblogger?s=11Blog- spmittal.blogspot.comTo Add in WhatsApp Group- 9166157932To Contact- 9829071511