अंदाजा लगाया जा सकता है कि अशोक गहलोत ने अपनी सरकार को बचाने के लिए बीएपी के दो विधायक राजकुमार रौत और रामप्रसाद को कितना ब्याज चुकाया होगा। कांग्रेस शासन में भ्रष्ट मगरमच्छों को पकडऩे की इजाजत नहीं थी, तब के एसीबी डीजी सोनी। खनन की लूट करने वाले राम निवास मीणा और रविंद्र मीणा पर भी कार्यवाही अब भी होनी चाहिए। विधायक जयकृष्ण पटेल का 20 लाख रुपए की रिश्वत लेते गिरफ्तार होना राजस्थान के आदिवासी के साथ विश्वासघात है।

राजस्थान के आदिवासी क्षेत्र बांसवाड़ा की बागीदौरा विधानसभा सीट से भारत आदिवासी पार्टी के विधायक जयकृष्ण पटेल को 4 मई को जयपुर में विधायक आवास के निकट 20 लाख रुपए की रिश्वत लेते रंगे हाथों गिरफ्तार कर लिया गया। एसीबी के डीजी महरेड़ा ने बताया कि यह रिश्वत विधानसभा में सवाल वापस लेने की एवज में ली जा रही थ। यानी विधायक पटेल रिश्वतखोरी के लिए विधानसभा का इस्तेमाल कर रहे थे। बीएपी के विधायक के इस तरह गिरफ्तार होने से अंदाजा लगाया जा सकता है कि गत कांग्रेस के शासन में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अपनी सरकार को बचाने के लिए तब के बीएपी विधायक राजकुमार रौत और रामप्रसाद को कितना ब्याज चुकाया होगा। मालूम हो कि कांग्रेस में राजनीतिक अस्थिरता के समय गहलोत सरकार को जिन विधायकों ने समर्थन दिया उनमें बीएपी के रौत और रामप्रसाद भी शामिल थे। ये विधायक जब जयपुर और जैसलमेर की होटलों में बंधक थे, तब गहलोत ने सार्वजनिक तौर पर कहा था कि इस समय जो विधायक मेरे साथ हैं, उन्हें ब्याज सहित भुगतान करुंगा। राजकुमार रौत और रामप्रसाद पूरे पांच वर्ष गहलोत सरकार से राज्यसभा का चुनाव लड़ा तब भी बीएपी के इन दोनों विधायकों ने गहलोत के कहने पर कांग्रेस को वोट दिया। पांच वर्ष में तीन बार गहलोत ने राज्यसभा के चुनाव में इन दोनों विधायकों के वोट का इस्तेमाल किया। जब गहलोत ने स्वयं ब्याज सहित भुगतान की बात कही तो फिर ब्याज वसूली का अंदाजा लगाया जा सकता है। वसूली की रकम का आकलन बीएपी के मौजूदा विधायक जयकृष्ण पटेल की ताजा सौदेबाजी से किया जा सकता है। खनन से जुड़ा सवाल वापस लेने के लिए पटेल ने खान मालिक से 10 करोड़ रुपए की मांग की थी। बाद में यह सौदा ढाई करोड़ में तय हुआ। एक लाख रुपए की पहली किश्त लेने के बाद चार मई को 20 लाख रुपए की दूसरी किश्त ली जा रही थी। यानी विधानसभा से सवाल वापसी के ढाई करोड़ रुपए तो गहलोत सरकार को बचाने की एवज में कितना ब्याज लिया गया होगा, इसका अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता है। 

भ्रष्ट मगरमच्छों को पकडऩे की इजाजत नहीं थी:
अशोक गहलोत के मुख्यमंत्री रहते हुए करीब दो वर्ष तक बीएल सोनी एसीबी के डीजी थे। सेवानिवृत्ति के बाद सोनी ने कहा कि कांग्रेस सरकार में बड़े और प्रभावशाली भ्रष्टाचारियों को पकडऩे की इजाजत नहीं थी। यह सही है कि जब सरकार का मुखिया ही ब्याज सहित भुगतान की बात कह रहा हो तो फिर बड़े और प्रभावशाली भ्रष्टों को कैसे पकड़ा जा सकता है? यहां उल्लेखनीय है कि गहलोत ने पूरे पांच वर्ष गृह विभाग अपने पास रखा।किसी भी बड़े भ्रष्टाचारी को पकड़ने से पहले गृहमंत्री मुख्यमंत्री से अनुमति लेनी होती है। पूर्व डीजी सोनी का बयान बताता है कि जब बड़े भ्रष्टों को पकडऩे के लिए अनुमति मांगी गई तो गृह विभाग की ओर से ऐसी जरूरी अनुमति नहीं मिली। मौजूदा समय में गृह विभाग मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के पास ही है, लेकिन बीएपी के विधायक पटेल को पकड़ने की इजाजत एसीबी को तुरंत मिल गई। मगरमच्छ के तोर पर हाल ही में पूर्व मंत्री महेश जोशी गिरफ्तार हो चुके हैं। जांच एजेंसियों की नजर अब पूर्व मंत्री प्रमोद जोशी पर भी लगी हुई है। कांग्रेस के शासन में महेश जोशी जलदाय मंत्री और प्रमोद जैन खान मंत्री रहे। इन दोनों पर ही भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप है। प्रमोद जैन पर तो करीब 10 एफआईआर दर्ज हुई है। हाईकोर्ट ने भी इन सभी एफआईआर को रद्द करने से मना कर दिया है। 

कार्यवाही तो अब भी होनी चाहिए:
टोडाभीम क्षेत्र में खनन का काम करने वाले रामनिवास मीणा और उनके पुत्र रविंद्र मीणा की शिकायत पर एसीबी ने बीएपी विधायक पटेल को गिरफ्तार तो कर लिया हे, लेकिन मीणा पिता पुत्र के खिलाफ अब भी अवैध खनन के मामले में कार्यवाही होनी चाहिए। एसीबी ने विधायक पटेल और रविंद्र मीणा के बीच हुई जो बातचीत टैप की है, उसके अनुसार अवैध खनन करने के लिए रविंद्र मीणा को कम से कम 10 करोड़ रुपये सरकारी खजाने में जमा कराना था। रामनिवासी मीणा और रविंद्र मीणा निर्धारित मात्रा से ज्यादा खनन कर रहे थे। टोडा भीम की पहाडिय़ों से मीणा पिता-पुत्र  अवैधखनन कर रहे थे, इसलिए तो विधानसभा में सवाल वापस लेने के लिए ढाई करोड़ में सौदा किया गया। एसीबी के पास इस बात के सबूत हैं कि मीणा भी अवैध खनन कर रहे थे। ऐसे में सरकार को अवैध खनन के मामले में सख्त कार्यवाही करनी चाहिए। इसके साथ ही उन लोगों का भी पता लगाना चाहिए जो जयकृष्ण पटेल के कंधे पर बंदूक रखकर चला रहे थे। आरोप है कि पटेल के पीछे टोडा भीम के कांग्रेसी विधायक घनश्याम महर खड़े हैं। महर के इशारे पर ही जयकृष्ण पटेल ने विधानसभा में अवैध खनन का सवाल लगाया था। सवाल यह भी है कि क्या अकेले पटेल की क्षमता ढाई करोड़ हजम करने की है? गिरफ्तारी के बाद सबसे पहले बीएपी के सांसद राजकुमार रौत ने प्रतिक्रिया दी कि राजनीतिक कारणों से हमारे पार्टी के विधायक को फंसाया गया है। सवाल उठता है कि पटेल की गिरफ्तारी पर रौत को इतनी घबराहट क्यों हो रही है?

आदिवासियों के साथ विश्वासघात:
विधायक पटेल का 20 लाख रुपए की रिश्वत लेते गिरफ्तार होना राजस्थान के आदिवासियों के साथ विश्वासघात है। राजस्थान में मौजूदा समय में बीएपी के तीन विधायक और एक सांसद हैं। इस पार्टी का जन्म आदिवासियों के हितों और आदिवासी क्षेत्र की वन संपदा को सुरक्षित रखने के लिए ही हुआ। आरोप लगाता है कि कांग्रेस और भाजपा जैसी पार्टियां आदिवासियों और क्षेत्र की वन संपदा ओं का शोषण दोहन करती है। राजस्थान के बांसवाड़ा, डूंगरपुर आदि क्षेत्रों के आदिवासियों ने भाजपा और कांग्रेस को दरकिनार कर भारत आदिवासी पार्टी पर भरोसा जताया, लेकिन अब आदिवासियों के वोट से सांसद और विधायक बने लोग ही विश्वासघात कर रहे हैं। 
S.P.MITTAL BLOGGER (05-05-2025)Website- www.spmittal.inFacebook Page- www.facebook.com/SPMittalblogFollow me on Twitter- https://twitter.com/spmittalblogger?s=11Blog- spmittal.blogspot.comTo Add in WhatsApp Group- 9166157932To Contact- 9829071511

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