भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष के लिए केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव का पलड़ा भारी। शिवराज सिंह, मनोहर लाल खट्टर, वीडी शर्मा के नाम की भी चर्चा।

इन दिनों देश भर में भाजपा के प्रदेश अध्यक्षों के चुनाव की प्रक्रिया चल रही है। भाजपा का राष्ट्रीय अध्यक्ष चुनने के लिए कम से कम पचास प्रतिशत राज्य इकाइयों में अध्यक्ष का होना जरूरी है। देश भर में भाजपा की 37 इकाइयां हैं और भाजपा संगठन का प्रयास है कि सभी इकाइयों पर अध्यक्ष का चुनाव हो जाए। भाजपा का राष्ट्रीय अध्यक्ष कौन होगा इसका फैसला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के स्तर पर होगा। भाजपा के किसी भी नेता को यह नहीं पता कि राष्ट्रीय अध्यक्ष कौन बनेगा, जिस नेता को अध्यक्ष बनना है उसे भी पता नहीं है। अब मीडिया भी भाजपा के पदाधिकारियों, मुख्यमंत्रियों, केंद्रीय मंत्रियों के नाम चलाने में संकोच करता है, क्योंकि हर बार मीडिया के कयास गलत साबित होता है। लेकिन अब जब प्रदेश अध्यक्षों का चुनाव हो रहा है, तब राष्ट्रीय अध्यक्ष के लिए भी केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव, शिवराज सिंह चौहान, मनोहर लाल खट्टर तथा मध्य प्रदेश के प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा के नाम राष्ट्रीय मीडिया में चल रहे है। इनमें से कोई भी नेता राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने के लिए दौड़ नहीं लगा रहा। चर्चा में आने वाले नेताओं को भी पता है कि ज्यादा चर्चा होने पर नुकसान भी हो सकता है। कई मौकों पर खुद पीएम मोदी ने कहा कि मीडिया में जिन नामों की चर्चा होती है, उन पर संबंधित नेताओं को विश्वास नहीं करना चाहिए। भाजपा में काम और निष्ठा को देखकर ही चयन होता है। मीडिया में इन दिनों राष्ट्रीय अध्यक्ष के लिए जिन नेताओं के नाम चल रहे हैं, उनमें राजस्थान से अलवर के सांसद और केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव का पलड़ा सबसे भारी है। यादव पर पीएम मोदी और अमित शाह का भी भरोसा है। भाजपा की रणनीति बनाने में यादव की हमेशा सक्रिय भूमिका रहती है। अमित शाह के बाद भी राष्ट्रीय अध्यक्ष के लिए भूपेंद्र यादव का नाम चला था, लेकिन ऐन मौके पर जेपी नड्डा को बनाया गया। अब जब नड्डा के उत्तराधिकारी की चर्चा हो रही है तो एक बार फिर भूपेंद्र यादव का नाम सुर्खियों में है। यादव भले ही भाजपा के रणनीतिकार हो, लेकिन वे हमेशा लो प्रोफाइल में रहते हैं। यादव की उन नेताओं में पहचान है, जिन्हें कभी भी असंतुष्ट नहीं देखा गया। संगठन में जो जिम्मेदारी मिली, उसे सहर्ष स्वीकार किया। सब जानते हैं कि वर्ष 2023 में जब मोहन यादव को मध्यप्रदेश का मुख्यमंत्री बनाया गया, तब शिवराज सिंह चौहान की क्या प्रतिक्रिया थी। चौहान को लगता था कि उनके मुख्यमंत्री रहते ही मध्यप्रदेश में भाजपा की जीत हुई है, इसलिए मुख्यमंत्री उन्हें ही बनाया जाएगा। हालांकि बाद में चौहान ने केंद्र में कृषि मंत्री का पद भी स्वीकार कर लिया। मनोहर लाल खट्टर को भी हरियाणा से चुनाव से पहले रातों रात हटाया गया, लेकिन भूपेंद्र यादव को संगठन और सरकार में जिन हालातों में रखा गया, उन सभी में संतोष जाहिर किया । भूपेंद्र यादव में संगठनात्मक क्षमता भी जबरदस्त है। 

S.P.MITTAL BLOGGER (01-07-2025)
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