देश भर के युवाओं को राजस्थान की तर्ज पर मिले ईडब्ल्यूएस आरक्षण का लाभ। ओबीसी आरक्षण की विसंगतियों को भी दूर करने के लिए आरटीडीसी के पूर्व अध्यक्ष धर्मेन्द्र राठौड़ ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखा।
आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) के युवाओं को राजस्थान की तर्ज पर आरक्षण का लाभ देने तथा ओबीसी वर्ग में आरक्षण की विसंगतियों को दूर करने के लिए आरटीडीसी के पूर्व धर्मेंद्र राठौड़ ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा है। राठौड़ ने पत्र में कृषक वर्ग की जाट, बिश्नोई समेत राज्य की 671 ओबीसी जातियों पर ध्यान भी केंद्रित किया, जो केंद्र स्तर पर जनरल और ईडब्ल्यूएस श्रेणी में आती हैंए लेकिन इनमें महिला प्रतिनिधित्व बेहद कम होने को बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ वाले राष्ट्र के लिए चिंताजनक बताया है। राठौड़ ने बताया कि केंद्र सरकार ने 12 जनवरी 2019 को ईडब्ल्यूएस के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान कर सामाजिक न्याय की नई नींव रखी थी। कई राज्य सरकारों ने इसे अपनाया भी, लेकिन ईडब्ल्यूएस में मौजूद असंगतियां विशेष रूप से कृषक समुदाय और महिलाओं को पूर्ण लाभ से वंचित कर रही हैं। कठोर प्रावधानों के कारण यह आरक्षण खोखला साबित हो रहा है। उदाहरणस्वरूप संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) में ईडब्ल्यूएस आवेदकों की संख्या एससी/एसटी से 2.5 से 3.5 गुना कम है, जबकि एसएससी की प्रमुख भर्तियों में यह अनुपात 4 से 4.4 गुना कम दर्ज किया गया है। यह दर्शाता है कि केंद्र की ईडब्ल्यूएस प्रमाण-पत्र जारी करने की शर्तें व्यावहारिक नहीं हैं। । इसके विपरीत, राजस्थान सरकार ने 20 अक्टूबर 2019 को ईडब्ल्यूएस आरक्षण को सरलीकृत कर राहत प्रदान की, जिसके परिणामस्वरूप पिछले छह वर्षों में राज्य स्तर की भर्तियों में क्रांति आ गई। सामान्य वर्ग की राजपूत, ब्राह्मण, वैश्य सहित तमाम जातियां अब सरकारी नौकरियों की ओर मुड़ रही हैं, जिससे सामाजिक पुनरुत्थान हुआ है। यह लहर जैसलमेर, बाड़मेर जैसे शैक्षणिक रूप से पिछड़े इलाकों में क्रांतिकारी साबित हुई है। राजस्थान में केवल 8 लाख रुपये की वार्षिक आय सीमा है, जबकि केंद्र में आय के साथ भूमि और भूखंड संबंधी शर्तें जोड़ी गई हैं, जो निरर्थक हैं। किसी अन्य आरक्षण प्रणाली में ऐसी शर्तें नहीं हैं, तो ईडब्ल्यूएस में क्यों? राठौड़ ने मांग की कि केंद्र सरकार राजस्थान मॉडल अपनाकर ईडब्ल्यूएस आरक्षण को प्रभावी बनाए, ताकि कृषक और महिला वर्ग को न्याय मिल सके। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि मांगें नहीं मानी गई तो ईडब्ल्यूएस आंदोलन और मुखर होगा।
केंद्र सरकार में ईडब्ल्यूएस आरक्षण प्रावधान:
परिवार की आय 8 लाख रुपये से अधिक न हो। परिवार के पास 5 एकड़ से अधिक कृषि भूमि न हो। 1000 वर्ग फुट या इससे अधिक आवासीय फ्लैट न हो। नगरपालिका क्षेत्र में 100 वर्ग गज या इससे अधिक आवासीय प्लॉट न हो। नगरपालिका क्षेत्र से बाहर ग्रामीण क्षेत्रों में 200 वर्ग गज या इससे अधिक आवासीय प्लॉट न हो।
राजस्थान सरकार में ईडब्ल्यूएस आरक्षण प्रावधान:
परिवार की आय 8 लाख रुपये से अधिक न हो। भूमि और भूखंड का उल्लेख होने से केंद्र में ईडब्ल्यूएस प्रमाण.पत्र जारी करने में कठिनाई आती है। अधिकारी लाभार्थी की अन्य शहरों या जिलों में संपत्ति की जांच नहीं कर पाते जिससे लाखों पात्र व्यक्ति लाभ से वंचित रह जाते हैं। राजस्थान में कुल आय की शर्त होने से प्रक्रिया सरल और प्रभावी है। इन 6 सालों में ईडब्ल्यूएस आरक्षण के कारण लाखों परिवारों और कई जातियों के जीवन स्तर में आमूलचूल परिवर्तन आया है। इस पत्र से देश में शांत पड़े ईडब्ल्यूएस आरक्षण में हलचल शुरू होगी, क्योंकि धर्मेंद्र राठौड़ को क्षत्रिय समाज सहित ईडब्ल्यूएस के पात्र समाज ईडब्ल्यूएस वर्ग का चलता फिरता मंडल आयोग कहते हैं और राठौड़ के प्रयास से गहलोत ने म्ॅै का सरलीकृत किया वह पूरे देश में मिसाल बन गई। इन विसंगतियों के बारे में और अधिक जानकारी मोबाइल नंबर 9571684444 पर धर्मेन्द्र राठौड़ से ली जा सकती है।
S.P.MITTAL BLOGGER (01-09-2025)Website- www.spmittal.inFacebook Page- www.facebook.com/SPMittalblogFollow me on Twitter- https://twitter.com/spmittalblogger?s=11Blog- spmittal.blogspot.comTo Add in WhatsApp Group- 9166157932To Contact- 9829071511
