अगस्त माह के वेतन से आरजीएचएस की राशि काटने पर राजस्थान के कार्मिकों में गुस्सा। 12 लाख कार्मिकों के वेतन से प्रतिमाह 3 सौ से लेकर 1 हजार की कटौती होती है। आयुर्वेद चिकित्सा के लिए तो योजना बंद पड़ी है।

अगस्त माह के वेतन से आरजीएचएस (राजस्थान गवर्नमेंट हेल्थ स्कीम) की राशि काटने से राजस्थान के सरकारी कार्मिकों में गुस्सा है। कार्मिकों का कहना है कि जब प्राइवेट अस्पतालों में इलाज बंद कर रखा है और सरकारी अस्पतालों में मरीजों को जरूरत की दवाएं उपलब्ध नहीं है तो फिर कार्मिकों के वेतन से चिकित्सा के नाम पर राशि क्यों काटी गई। सरकारी कार्मिकों अपने वेतन से इसलिए निश्चित राशि कटवाते हैं ताकि प्राइवेट अस्पतालों में समुचित इलाज हो सके। जिस कर्मचारी का बेसिक वेतन 18 हजार रुपए है उसके 265 रुपए प्रतिमाह काटे जाते हैं। इसी प्रकार 54 हजार से अधिक बेसिक वेतन वाले कर्मचारी के हजार रुपए तक काटे जाते हैं। प्रदेश में राज्य सरकार और सरकारी उपक्रमों के करीब 12 लाख कर्मचारी है। एक अनुमान के अनुसार कार्मिकों के वेतन से सरकारी प्रतिमाह सौ करोड़ रुपए से भी ज्यादा की कटौती चिकित्सा सुविधा देने के नाम पर करती है। यदि कार्मिकों का इलाज प्राइवेट अस्पताल में आरजीएचएस के तहत कैशलेस हो रहा हो, तो कर्मचारियों को वेतन से राशि कटवाने पर कोई ऐतराज नहीं है, लेकिन सरकार और प्राइवेट अस्पतालों के बीच चल रहे झगड़े के कारण राजस्थान के पंजीकृत प्राइवेट अस्पतालों ने कार्मिकों का इलाज करने से मना कर दिया है। सरकारी कर्मचारी एक और अपने वेतन से एक हजार रुपए की कटौती करवा रहा है तो दूसरी ओर अपनी बीमारी का इलाज प्राइवेट अस्पतालों में नगद पैसे देकर करवाना पड़ रहा है। यही वजह है कि जब अगस्त माह के वेतन से चिकित्सा राशि की कटौती की गई तो कार्मिकों  ने गुस्से का इजहार किया है। कार्मिकों का कहना है कि जब तक प्राइवेट अस्पतालों में इलाज शुरू नहीं होता, तब तक वेतन से कटौती न की जाए। जहां तक सरकारी अस्पताल का सवाल है तो कार्मिकों को उनकी बीमारी से जुड़ी दवाएं उपलब्ध नहीं हो रही है। ऐसे में दवाएं बाजार से खरीदनी पड़ रही है। यहां उल्लेखनीय है कि करीब एक हजार करोड़ रुपए का बकाया होने के कारण प्रदेश के प्राइवेट अस्पतालों ने सरकारी कर्मचारियों का कैशलेस इलाज करना बंद कर रखा है। प्राइवेट अस्पतालों के संचालकों का कहना है कि सरकार अपने कार्मिकों का इलाज तो करवा लेती है, लेकिन इलाज की राशि का भुगतान नहीं करती। 

आयुर्वेद चिकित्सा में तो इलाज बंद:
अपने कार्मिकों का इलाज एलोपैथी पद्धति से करवाने की अनुमति सरकार ने दे रखी है, लेकिन आयुर्वेद चिकित्सा से इलाज को सरकार ने खुद ही बंद कर रखा है। सरकार की रोक के बाद जब कोई भी कार्मिक अपनी बीमारी का इलाज आयुर्वेद के प्राइवेट अस्पतालों में नहीं करवा पा रहा है। जबकि प्रदेश के हजारों मरीज आयुर्वेद पद्धति से अपना इलाज करवाना चाहते हैं। 
S.P.MITTAL BLOGGER (03-09-2025)Website- www.spmittal.inFacebook Page- www.facebook.com/SPMittalblogFollow me on Twitter- https://twitter.com/spmittalblogger?s=11Blog- spmittal.blogspot.comTo Add in WhatsApp Group- 9166157932To Contact- 9829071511

Print Friendly, PDF & Email

You may also like...