पूर्व सीएम अशोक गहलोत को जिस बात का डर था, वही हुआ। आखिर अजमेर, कोटा, जयपुर में केंद्रीय पर्यवेक्षकों के सामने हंगामा हो ही गया। राजस्थान में अभी भी कांग्रेस के कार्यकर्ता गहलोत और पायलट के गुटों में बंटे हैं।

राजस्थान में जिला कांग्रेस कमेटियों के अध्यक्ष के चयन के लिए केंद्रीय पर्यवेक्षक चार अक्टूबर को अपने अपने जिलों में रायशुमारी कर रहे हैं। चार अक्टूबर को जब सभी तीस जिलों में पर्यवेक्षक पहुंच गए तभी कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सोशल मीडिया पर पोस्ट डालकर कहा कि केंद्रीय पर्यवेक्षकों को निष्पक्षता के साथ अपना काम करना चाहिए। गहलोत ने अपनी इस पोस्ट में कार्यकर्ताओं की गुटबाजी और पर्यवेक्षक के समक्ष हंगामे की आशंका भी प्रकट की। असल में गहलोत को पहले से ही आभास था कि केंद्रीय पर्यवेक्षकों के सामने कार्यकर्ता हंगामा करेंगे। गहलोत का यह डर सही साबित हुआ। अजमेर में 5 अक्टूबर को जब केंद्रीय पर्यवेक्षक अशोक तंवर फॉयसागर रोड स्थित एक समारोह स्थल पर रायशुमारी कर रहे थे, तब शहर कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष विजय जैन और आरटीडीसी के पूर्व अध्यक्ष धर्मेन्द्र राठौड़ के नेतृत्व में कार्यकर्ताओं ने जोरदार हंगामा किया। राठौड़ को गहलोत और विजय जैन को पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट का समर्थक माना जाता है। इन दोनों गुटों के कार्यकर्ताओं ने तंवर के समक्ष भरपूर प्रदर्शन किया। तंवर को राठौड़ के समर्थकों ने बताया कि अजमेर में संगठन का असली काम हम ही कर रहे हैं। वहीं पायलट गुट के विजय जैन ने धर्मेन्द्र राठौड़ के वजूद को ही नकार दिया। कांग्रेस के जो हाल अजमेर में देखने को मिले वो ही कोटा में केंद्रीय पर्यवेक्षक के सामने नजर आए। कोटा में पूर्व मंत्री शांति धारीवाल और पूर्व विधायक प्रहलाद गुंजल के नेतृत्व में कार्यकर्ता विभाजित रहे। धारीवाल को गहलोत का तथा गुंजल को पायलट का समर्थक माना जाता है। अजमेर और कोटा की तरह जयपुर में भी कांग्रेस के नेताओं में खींचतान देखने को मिली है। कांग्रेस के राष्ट्रीय नेतृत्व ने अपने पर्यवेक्षकों से कहा है कि वे कार्यकर्ताओं से विमर्श कर जिलाध्यक्ष के लिए पांच नामों का पैनल बनाए। यही वजह है कि केंद्रीय पर्यवेक्षक के सामने पांच नाम वाले पैनल में शामिल होने के लिए गहलोत और पायलट के समर्थक कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। बड़े नेताओं की जोर आजमाइश में पर्यवेक्षक पैनल कैसे तैयार करेंगे, यह आने वाले दिनों में पता चलेगा। सवाल यह भी है कि क्या सिर्फ कार्यकर्ताओं की राय  पर ही जिलाध्यक्ष का निर्णय होगा? मौजूदा समय में गोविंद सिंह डोटासरा प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष हैं तथा टीकाराम जूली प्रतिपक्ष के नेता की भूमिका में है, लेकिन राजस्थान में कांग्रेस के कार्यकर्ता अभी भी गहलोत और पायलट के गुटों में बंटे हैं।
S.P.MITTAL BLOGGER (06-10-2025)Website- www.spmittal.inFacebook Page- www.facebook.com/SPMittalblogFollow me on Twitter- https://twitter.com/spmittalblogger?s=11Blog- spmittal.blogspot.comTo Add in WhatsApp Group- 9166157932To Contact- 9829071511

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