ऐसी घटनाओं के कारण ही राजस्थान में पांच-पांच वर्ष के लिए भाजपा-कांग्रेस का शासन।
पांच अक्टूबर की रात को साढ़े ग्यारह बजे जयपुर के सरकार एसएमएस अस्पताल के ट्रामा सेंटर के आईसीयू में अचानक आग लग गई। आग इतनी भीषण थी कि आईसीयू में भर्ती आठ मरीजों की मौत हो गई। 15 मरीज अभी भी गंभीर अवस्था में हैं। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार आग शॉट सर्किट से लगी लेकिन आग लगाने के बाद अस्पताल का कोई स्टाफ मौके पर नहीं आया। परिजनों ने ही अपने मरीजों को बाहर निकालने का काम किया। आग के कारण वार्ड में धुंआ हो गया, लेकिन धुएं को बाहर निकलने का रास्ता भी नहीं मिला। मरीजों के परिजनों ने कांच वाली दीवार तोड़कर धुएं को निकालने का प्रयास किया। आग में वार्ड के अधिकांश उपकरण भी जल गए। चूंकि घटना के समय अस्पताल का कोई स्टाफ नहीं आया, इसलिए फायर सिस्टम का उपयोग नहीं हो सका। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार यदि शॉट सर्किट होते ही फायर सिस्टम का उपयोग हो जाता तो आठ मरीजों की जान बच सकती थी। घटना के समय अस्पताल का स्टाफ क्यों नहीं आया, इस सवाल का जवाब अस्पताल प्रबंधन की ओर से नहीं दिया जा रहा है अलबत्ता घटना की जांच के लिए पांच सदस्यीय उच्चस्तरीय कमेटी का गठन कर दिया गया है। आग की इस घटना पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने भी दुख जताया है। घटना की जानकारी मिलने पर मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने अस्पताल पहुंच कर हालात जाने पूर्व सीएम अशोक गहलोत, प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा, प्रतिपक्ष के नेता टीकाराम जूली ने भी अस्पताल पहुंचकर मृतक मरीजों के परिजन से बात की, लेकिन छह अक्टूबर की दोपहर 12 बजे तक प्रदेश के चिकित्सा मंत्री गजेंद्र सिंह खींवसर अस्पताल नहीं आ सके। जानकारों की मानें तो एसएमएस अस्पताल में आग लगने की सूचना रात को ही मंत्री खींवसर को दी गई थी, लेकिन उन्होंने अपने निर्वाचन क्षेत्र लोहावट से जयपुर आना उचित नहीं समझा। खींवसर अपनी सुविधा से दोपहर को ही जयपुर आए। सवाल उठता है कि जिस घटना पर प्रधानमंत्री मोदी दुख जता रहे हो, उस घटना पर चिकित्सा मंत्री खींवसर ने गंभीरता क्यों नहीं दिखाई। क्या चिकित्सा मंत्री की नजर में सरकारी अस्पताल में आठ लोगों की मौत का मामला गंभीर नहीं है?
निजी अस्पताल होता तो:
एसएमएस अस्पताल वाली घटना यदि किसी निजी अस्पताल में होती तो घटना के तुरंत बाद अस्पताल के मालिक और डॉक्टरों को गिरफ्तार कर लिया जाता। लेकिन एसएमएस की घटना के 12 घंटे बाद भी किसी भी कार्मिक के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं की गई है। सरकार की ओर से यही कहना है कि जांच रिपोर्ट के बाद कोई कार्रवाई की जाएगी।
इसलिए पांच पांच वर्ष का शासन:
5 अक्टूबर को एसएमएस अस्पताल में हुई घटना पूर्व में कांग्रेस के शासन में भी होती रही हैं। कांग्रेस के शासन में भी सरकारी अस्पतालों में ऐसी अव्यवस्थाएं होती रही। उम्मीद की गई थी कि भाजपा के शासन में रोक लगेगे। लेकिन राजस्थान में भाजपा और कांग्रेस की सरकार में ऐसी घटनाएं होना आम बात हे। असल में सरकार तो बदल जाती है, लेकिन व्यवस्था में कोई बदलाव नहीं होता। यही वजह है कि राजस्थान में गत पांच बार से विधानसभा चुनाव में एक बार भाजपा और एक बार कांग्रेस की जीत हो रही है।
S.P.MITTAL BLOGGER (06-10-2025)Website- www.spmittal.inFacebook Page- www.facebook.com/SPMittalblogFollow me on Twitter- https://twitter.com/spmittalblogger?s=11Blog- spmittal.blogspot.comTo Add in WhatsApp Group- 9166157932To Contact- 9829071511