अजमेर के कांग्रेसी शोले फिल्म के किरदार असरानी की तरह व्यवहार न करें। पांच हजार कार्यकर्ताओं से मिलकर कांग्रेस के हालात समझ लिए है। अध्यक्ष के लिए नाम प्रस्तावित करने से पहले सचिन पायलट से भी विमर्श करूंगा-अशोक तंवर। पर्यवेक्षक का किसी नेता के प्रभाव में आना गलत है, यह हाईकमान की भावनाओं के खिलाफ-अशोक गहलोत।

अजमेर में नियुक्त कांग्रेस के केंद्रीय पर्यवेक्षक अशोक तंवर ने कांग्रेसियों को सलाह दी है कि वे शोले फिल्म के मजाकिया किरदार असरानी की तरह व्यवहार न करे। आधे इधर जाए आधे उधर जाए और बाकी मेरे पीछे आए ऐसे हालात नेताओं को नहीं बनाने चाहिए। तंवर ने कहा कि मैं पिछले सप्ताह भर से अजमेर जिले के करीब पांच हजार कार्यकर्ताओं से मिला हंू। मैंने अच्छी तरह कांग्रेस की स्थिति को समझ लिया है। मैं कह सकता हूं कि यदि सभी नेता एकजुट रहे तो अजमेर में कांग्रेस की मजबूत स्थिति है। यदि तालमेल और बेहतर होता तो हम चुनाव भी जीत सकते थे। तंवर ने गत विधानसभा चुनाव में अजमेर उत्तर से प्रत्याशी रहे महेंद्र सिंह रलावता से कहा कि गत नगर निगम के चुनाव में किसने टिकट बांटे और क्या परिणाम रहे, अब गड़े मुर्दे उखाड़ने की जरूरत नहीं है। हमें आगे देखकर कांग्रेस को मजबूत करना है। तंवर ने रामचंदर चौधरी के संबंध में कहा कि उन्होंने अजमेर में डेयरी के क्षेत्र में उल्लेखनीय काम किया है। तंवर ने कहा कि मुझे अध्यक्ष पद के लिए देहात और शहर में छह -छह नाम देने हैं। मेरा प्रयास है कि कार्यकर्ताओं की भावनाओं के अनुरूप अजमेर जिले की रिपोर्ट केंद्र के समक्ष प्रस्तुत की जाए। मैंने अजमेर में जो देखा और महसूस किया उसे ही अपने दस्तावेजों में शामिल करूंगा। तंवर ने कहा कि सर्किट हाउस में मेरी मुलाकात पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट से भी हुई। पायलट साहब ने मुझे कहा कि आप अजमेर में सभी से बात कर ले और फिर मुझसे बात करे। मैं अपनी रिपोर्ट देने से पहले सचिन पायलट से भी बात करूंगा। तंवर ने कहा कि मेरे संबंध सचिन पायलट के पिता राजेश पायलट से भी रहे हैं। मैं सचिन को बचपन से ही जनता हंू। तंवर ने इस बात को स्वीकार किया कि अध्यक्ष के चयन के समय जातिगत समीकरण भी देखे जाते हैं। राजनीति में सभी जातियों का ख्याल रखा जाता है। किसी जिले में एक जाति का अध्यक्ष बना दिया जाए तो दूसरे जिले में उसी जाति का अध्यक्ष बनाना मुश्किल होता है। राजनीति में सभी जातियों को प्रतिनिधित्व देना पड़ता है। अशोक तंवर ने जिस बैठक में यह बात कही उसमें कांग्रेस के सभी गुटों के नेता मौजूद रहे। पायलट गुट के शहर कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष विजय जैन, गत विधानसभा चुनाव में अजमेर शहर से प्रत्याशी रहे महेंद्र सिंह रलावता, हेमंत भाटी के साथ साथ अशोक गहलोत गुट के देहात जिलाध्यक्ष भूपेंद्र राठौड़, डेयरी अध्यक्ष रामचंद्र चौधरी आदि थे। दोनों गुटों के नेताओं की एक साथ उपस्थिति को भी अशोक तंवर ने अपनी उपलब्धि बताया। यहां यह उल्लेखनीय है कि अजमेर शहर जिला कांग्रेस कमेटी ने सर्वसम्मति से एक प्रस्ताव पास किया है, जिसमें अध्यक्ष के चयन का अधिकार सचिन पायलट को दिया गया। यानी पायलट जिस नेता को चाहे उसे शहर जिला कांग्रेस कमेटी का अध्यक्ष बना सकते हैं। 

गहलोत का ऐतराज:
इन दिनों राजस्थान भर में केंद्रीय पर्यवेक्षक जिला स्तर पर संगठन की नब्ज टटोल रहे हैं। पर्यवेक्षकों को जिलाध्यक्ष के लिए 6 नाम प्रस्तावित करने हैं, लेकिन केंद्रीय पर्यवेक्षक संगठन सृजन अभियान के अंतर्गत जिला स्तर पर जो गतिविधियां कर रहे हैं, उससे पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत नाराज हैं। गहलोत ने कहा कि कई स्थानों पर जिलाध्यक्ष बनाने के लिए किसी वरिष्ठ नेता को अधिकृत करने के प्रस्ताव पास हो रहे है। यह तरीका पूरी तरह गलत है। पर्यवेक्षकों को किसी नेता के प्रभाव में आने की जरूरत नहीं है। गहलोत ने अजमेर सहित कई जिलों में शक्ति प्रदर्शन पर भी ऐतराज जताया। 

S.P.MITTAL BLOGGER (14-10-2025)
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