राज्यपाल, मुख्यमंत्री और मंत्रियों के सरकारी आवासों वाले जयपुर के सिविल लाइन में पैंथर घुसा। दो साल के पैंथर ने पूरी सरकार को दहशत में डाला। मंत्री सुरेश रावत के बंगले से भागने में सफल हुआ पैंथर। सौ पैंथर वाले जयपुर में वन विभाग के पास मात्र पांच ट्रेंकुलाइज गन। अनुभव का अभाव भी।
राजस्थान की राजधानी जयपुर में 20 नवंबर को सुबह दस बजे उस समय दहशत का माहौल हो गया, जब राज्यपाल, मुख्यमंत्री और मंत्रियों के सरकारी आवासों वाले सिविल लाइन क्षेत्रों में एक पैंथर घुस गया। इस पैंथर को सबसे पहले कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव और प्रदेश के पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट के सरकारी बंगले में देखा गया। सूचना मिलते ही वन विभाग के अधिकारी मौके पर आ गए। लेकिन यह पैंथर पायलट के बंगले से निकल कर जल संसाधन मंत्री सुरेश रावत के बंगले में घुस गया। यहां वन विभाग के शूटरों ने पैंथर को ट्रेंकुलाइज करने की कोशिश की, लेकिन बंदूक से निकली आवाज से पैंथर घबरा गया और मंत्री रावत के बंगले से निकल कर सिविल लाइन क्षेत्र की एक निजी स्कूल में घुस गया। लेकिन यहां भी शेर गुल के कारण पैंथर मंत्रियों के बंगले में ही घूमता देखा गया। वन विभाग के अधिकारियों का प्रयास है कि पैंथर को बेहोश कर जाल में पकड़ लिया जाए। इसके लिए वन विभाग और प्रशासन के आला अधिकारी मौके पर पहुंच गए हैं। आगे आगे पैंथर दौड़ रहा है और पीछे पीछे पूरी सरकार। क्योंकि सरकार के पूरी सरकार के मंत्रियों के सरकारी आवास सिविल लाइन क्षेत्र में ही है, इसलिए सरकार में भी दहशत का माहौल है। भले ही मंत्री अपने बंगलों में न हो, लेकिन उनके परिवार जन बंगलों में मौजूद हैं। वन अधिकारियों का प्रयास है कि पैंथर को जल्द नियंत्रित कर लिया जाए ताकि किसी की जान को खतरा न हो। 20 नवंबर को जिस तरह जयपुर के सिविल लाइन क्षेत्र में अफरा-तफरी मच उससे वन विभाग के इंतजामों की भी पोल खुल गई है। वन विभाग के पास एक भी ऐसा निशानेबाज नहीं है, जो फुर्ती के साथ पैंथर को ट्रेंकुलाइज (बेहोश) कर सकता। विभाग के शूटर अपनी गन को पैंथर के पीछे इधर-उधर भागते रहे, यदि कोई अनुभवी शूटर होता तो मंत्री सुरेश रावत के बंगले पर ही पैंथर को नियंत्रित कर लिया जाता। जयपुर के वन क्षेत्र के बारे में जानकारी रखने वालों के अनुसार जयपुर के आसपास करीब सौ पैंथर हैं जो आए दिन आबादी क्षेत्रों में घुस आते हैं, लेकिन वन विभाग के आसपास मात्र पांच ट्रेंकुलाइज गने ही है। कई बार पैंथर जयपुर के आबादी क्षेत्रों में लोगों की जान भी ले लेते हैं। 20 नवंबर की घटना बताती है कि वन अधिकारियों के पास पैंथर को पकड़ने का अनुभव भी नहीं है।
S.P.MITTAL BLOGGER (20-11-2025)Website- www.spmittal.inFacebook Page- www.facebook.com/SPMittalblogFollow me on Twitter- https://twitter.com/spmittalblogger?s=11Blog- spmittal.blogspot.comTo Add in WhatsApp Group- 9166157932To Contact- 9829071511

