उपेंद्र कुशवाहा राज्यसभा सांसद, पत्नी स्नेहलता विधायक और बेटा दीपक प्रकाश भी मंत्री बन गया। अकेले लालू का कुनबा ही परिवारवादी नहीं है, अब बिहार की जनता ही सब सिखाएगी।
बिहार के कुशवाहा जाति के दम पर उपेंद्र कुशवाहा ने राष्ट्रीय लोकतांत्रिक मोर्चा पार्टी बना रखी है। अपनी जाति के वोटों के दम पर ही उपेंद्र कुशवाहा ने बिहार में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली जेडीयू से गठबंधन कर रखा है। इस गठबंधन के कारण ही उपेंद्र कुशवाहा बिहार से राज्यसभा सांसद हैं। हाल ही के विधानसभा चुनाव में समझौते के तहत कुशवाहा की पार्टी को चार सीटें मिली। कुशवाह ने एक सीट पर अपनी पत्नी श्रीमती स्नेहलता को उम्मीदवार बनाया जो विधायक भी बन गई। समझौते के तहत ही कुशवाहा को एक मंत्री पद भी मिला। कुशवाह ने यह मंत्री पद अपने बेटे दीपक प्रकाश को दे दिया। 20 नवंबर को हुए शपथ ग्रहण समारोह में दीपक प्रकाश ने भी कैबिनेट मंत्री की शपथ ली। दीपक ने बताया कि 20 नवंबर को सुबह ही उन्हें मंत्री बनाए जाने की जानकारी मिली थी। उपेंद्र कुशवाहा के परिवार में तीन सदस्य ही है और अब तीनों सदस्य किसी न किसी महत्वपूर्ण पद पर है। सवाल उठता है कि जो नेता अपनी जाति की राजनीति करता है, क्या उसे पार्टी में सिर्फ अपने परिवार के सदस्य ही योग्य नजर आते हैं? पत्नी और पुत्र का राजनीति से कोई सरोकार नहीं, लेकिन फिर भी मंत्री और विधायक का पद कुशवाहा ने अपने घर में ही दिलवाया। गंभीर बात तो यह है कि बेटा दीपक प्रकाश विधायक भी नहीं है। अब दीपक प्रकाश को पहले विधान परिषद का सदस्य मनोनीत किया जाएगा, ताकि पांच वर्ष तक मंत्री पद कायम रहे। यह सही है कि जेडीयू और कुशवाहा की पार्टी का भाजपा से गठबंधन है, लेकिन इसे भाजपा की भी राजनीतिक मजबूरी कहा जाएगा कि उपेंद्र कुशवाहा जैसे परिवार पर कोई रोक नहीं लगाई जा सकती। भाजपा के नेता परिवारवाद के लिए लालू प्रसाद यादव की तो आलोचना करते हैं, लेकिन उपेंद्र कुशवाहा के परिवारवाद पर चुप रहते हैं। अब उपेंद्र कुशवाहा जैसे परिवारवादियों को बिहार की जनता ही सबक सिखाएगा।
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