राजस्थान में भजनलाल शर्मा का कुछ भी दांव पर नहीं। सीएस के पद पर पंत रहे या श्रीनिवास, या फिर सीएमओ में शिखर रहें या अखिल, कोई फर्क नहीं पड़ता। वसुंधरा की तरह रुतबे और अशोक गहलोत की तरह सरकार बचाने की चिंता नहीं।
पहले 17 नवंबर को जब वी श्रीनिवास ने राजस्थान के मुख्य सचिव का पद संभाला और अब 21 नवंबर को जब 48 आईएएस की तबादला सूची जारी हुई तो मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा को लेकर अनेक चर्चाएं हो रही है। कहा जा रहा है कि न तो मुख्य सचिव (सीएस) के चयन में और न ही 48 आईएएस की तबादला सूची में सीएम शर्मा की चली। प्रशासनिक तंत्र में जो कुछ भी हो रहा है, वह सब डबल इंजन की सरकार के दिल्ली वाले इंजन के इशारे पर हो रहा है। राजनीतिक और प्रशासनिक क्षेत्रों में कुछ भी चर्चा हो, लेकिन यह हकीकत है कि भजनलाल शर्मा का कुछ भी दांव पर नहीं है। मुख्य सचिव के पद पर सुधांश पंत रहे या फिर वी. श्रीनिवास। इसी प्रकार सीएमओ में शिखर अग्रवाल रहे या अखिल अरोड़ा। इसमें मुख्यमंत्री शर्मा पर कोई फर्क नहीं पड़ता है। कोई कुछ भी कहें, लेकिन भजन लाल शर्मा पूरे पांच वर्ष राजस्थान के मुख्यमंत्री रहेंगे। जब उन्हें मुख्यमंत्री के पद से कोई नहीं हटा सकता तो वे मुख्य सचिव या फिर अपने प्रधान सचिव की नियुक्ति के मामले में उलझेंगे। पूर्व में वसुंधरा राजे जब भाजपा सरकार की मुख्यमंत्री रही, तब उन्हीं की सहमति से मुख्य सचिव नियुक्त होते थे। राजस्थान के किसी भी आईएएस में इतनी हिम्मत नहीं कि वह दिल्ली जाकर कोई एप्रोच कर ले। सीएमओ में भी वो ही आईएएस नियुक्त रहे जो वसुंधरा राजे की पसंद के थे। वसुंधरा ने कभी भी अपने रुतबे पर कोई आंच नहीं आने दी। अनेक आईएएस तो वसुंधरा के सामने आने से भी डरते थे। इसी प्रकार अशोक गहलोत ने उन्हीं आईएएस को मुख्य सचिव या फिर सीएमओ में नियुक्त किया जो उनकी सरकार को बचा सके। राजस्थान की अफसरशाही ने पिछले 25 वर्षों में वसुंधरा राजे और अशोक गहलोत का शासन देखा है। दिसंबर 2023 के बाद अफसरशाही को बहुत बदलाव देखने को मिल रहा है। दिसंबर 2023 में भजनलाल शर्मा के मुख्यमंत्री बनने के बाद जब सुधांश पंत को मुख्य सचिव बनाया गया, तब यही कहा गया कि प्रशासनिक तंत्र में सुधांश पंत की ही चलेगी, लेकिन इसी माह जब सुधांश पंत की जगह वी. श्रीनिवास को मुख्य सचिव बनाया गया तो कहा गया कि सीएमओ के साथ टकराव के चलते यह बदलाव हुआ है। अब जब 21 नवंबर को शिखर अग्रवाल को भी सीएमओ से बाहर कर दिया गया, जब एक बार फिर अनेक चर्चाएं हो रही हैं। लेकिन इन चर्चाओं से भजनलाल शर्मा को कोई फर्क नहीं पड़ता। शर्मा को न तो वसुंधरा राजे की तरह अपना रुतबा प्रदर्शित करने की जरूरत है और न ही अशोक गहलोत की तरह सरकार बचाने की चिंता। यही वजह है कि जब शिखर अग्रवाल को हटा कर अखिल अरोड़ा को सीएमओ में तैनात किया गया तो सीएम शर्मा ने अपनी प्रतिष्ठा का सवाल नहीं उठाया। राजस्थान में जो आईएएस स्वयं को बड़ा निशानेबाज समझते हैं, उन्हें 21 नवंबर को 48 आईएएस की तबादला सूची से सबक ले लेना चाहिए। जहां तक नए मुख्य सचिव वी.श्रीनिवास का सवाल है तो उनका भी कोई स्वार्थ नहीं है। श्रीनिवास मात्र 10 माह बाद ही सेवानिवृत्त हो रहे है। श्रीनिवास को भी पता है कि छह माह का सेवा विस्तार या फिर अन्य कोई लाभ का पद दिल्ली वाले इंजन के इशारे पर ही मिलेगा। मुख्यमंत्री शर्मा भी बेफ्रिक है, क्योंकि 2028 तक उन्हें चुनौती देने वाला कोई नहीं है। केंद्र और राज्य सरकार की योजनाओं की क्रियान्विति करने की जिम्मेदारी मुख्य सचिव की है। मुख्यमंत्री शर्मा को अपने मंत्रिमंडल विस्तार का भी कोई टेंशन नहीं है। मंत्रिमंडल विस्तार की चर्चाएं पिछले दो वर्ष से हो रही है, लेकिन अभी तक भी विस्तार नहीं हो पाया है। नियमों के मुताबिक 6 और मंत्री बनाए जा सकते हैं। मालूम हो कि 21 नवंबर को जो 48 आईएएस की तबादला सूची जारी हुई है, उसमें पीएचडी के अतिरिक्त मुख्य सचिव अखिल अरोड़ा को सीएमओ में नियुक्त किया गया है। जबकि शिखर अग्रवाल को सीएमओ से हटाकर उद्योग विभाग में नियुक्त किया गया है।
S.P.MITTAL BLOGGER (22-11-2025)Website- www.spmittal.inFacebook Page- www.facebook.com/SPMittalblogFollow me on Twitter- https://twitter.com/spmittalblogger?s=11Blog- spmittal.blogspot.comTo Add in WhatsApp Group- 9166157932To Contact- 9829071511

