सिद्धारमैया ने अशोक गहलोत का जूठा पानी पिया है, इसलिए डीके शिवकुमार को कर्नाटक का मुख्यमंत्री नहीं बनने देंगे। राजस्थान में भी सचिन पायलट नहीं बन सके मुख्यमंत्री। गांधी परिवार ने दबाव डाला तो अशोक गहलोत की तरह बगावत करेंगे सिद्धारमैया।
कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खडग़े और राहुल गांधी के निर्देशों के बाद 29 नवंबर को कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने नाश्ते पर डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार को आमंत्रित कर लिया। इस नाश्ता बैठक में दोनों के बीच क्या बातें हुई यह तो वह ही जाने, लेकिन हकीकत यह है कि डीके चाहे जितनी कोशिश कर ले, लेकिन सिद्धारमैया के रहते हुए वे कर्नाटक के मुख्यमंत्री नहीं बन सकते हैं। क्योंकि सिद्धारमैया ने राजस्थान के तीन बार मुख्यमंत्री नहीं बन सकते हैं। क्योंकि सिद्धारमैया ने राजस्थान के तीन बार मुख्यमंत्री रहे अशोक गहलोत का जूठा पानी पी रखा है। कर्नाटक में भी राजस्थान जैसे हालात है। राजस्थान में 2018 के विधानसभा चुनाव से पहले सचिन पायलट कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष थे और तब हर कांग्रेसी मानता था कि बहुमत मिलने पर पायलट की मुख्यमंत्री बनेंगे लेकिन राजनीति के माहिर खिलाड़ी अशोक गहलोत मुख्यमंत्री बनने में सफल हो गए। सरकार बनने पर पायलट को डिप्टी सीएम बनाया गया। यानी उस समय डीके शिवकुमार की तरह सचिन पायलट भी प्रदेशाध्यक्ष होने के साथ साथ डिप्टी सीएम बने थे, लेकिन अशोक गहलोत ने मुख्यमंत्री रहते हुए सचिन पायलट को न तो प्रदेश अध्यक्ष और न डिप्टी सीएम का काम करने दिया। करीब दो साल बाद ही पायलट ने 18 विधायकों को साथ लेकर दिल्ली में विस्फोट कर दिया। चूंकि डीके शिव कुमार के सामने सचिन पायलट का हश्र है, इसलिए वे दिल्ली में अपने समर्थक विधायकों का कोई शक्ति प्रदर्शन नहीं करवा रहे। लेकिन वे चाहते हैं कि ढाई ढाई वर्ष के फार्मूले के आधार पर सिद्धारमैया मुख्यमंत्री का पद उन्हें सौंप दें। अशोक गहलोत की तरह सिद्धारमैया पहले भी कर्नाटक के मुख्यमंत्री रह चुके हैं। उन्हें वे तौर तरीके आते हैं, जिनसे सत्ता पर काबिज रहा जाता है। राजनीति में ऐसा कोई नेता नहीं जो ढाई वर्ष बाद चुपचाप सीएम का पद छोड़ दे और फिर सिद्धारमैया ने तो अशोक गहलोत का जूठा पानी पिया है। ऐसे में वे कभी भी मुख्यमंत्री का पद नहीं छोड़ेंगे। यदि गांधी परिवार ने ज्यादा दबाव डाला तो सिद्धारमैया भी गहलोत की तरह खुली बगावत करेंगे। सब जानते हैं कि राजस्थान में भी अशोक गहलोत के स्थान पर सचिन पायलट को मुख्यमंत्री बनाने के लिए तत्कालीन राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनियागांधी ने 25 सितंबर 2022 को जयपुर में कांग्रेस विधायक दल की बेठक बुलाई थी। इस बेठक के लिए तब मल्लिकार्जुन खडग़े और अजय माकन को पर्यवेक्षक नियुक्त किया था। तब ये दोनों पर्यवेक्षक जयपुर में सीएम हाऊस पर विधायकों का इंतजार करते रहे और अधिकांश विधायक गहलोत के समर्थन में मंत्री शांति धारीवाल के घर पर एकत्रित हो गए। इतना ही नहीं कोई 70 विधायकों ने गहलोत के समर्थन में अपने इस्तीफे विधानसभा अध्यक्ष को सौंप दिए। राजस्थान में गहलोत की बगावत को देखते हुए गांधी परिवार कर्नाटक में ऐसा कोई जोखिम लेना नहीं चाहता। गांधी परिवार सिद्धारमैया की ताकत को जानता है। इसलिए राहुल गांधी का प्रयास है कि सिद्धारमैया और डीके शिवकुमार का मामला बेंगलुरु में ही निपट जाए। जानकारों की मानें तो 29 नवंबर को नाश्ते की बैठक में सिद्धारमैया ने डीके शिवकुमार को उन कांग्रेसी विधायकों के नाम बताएं जो सरकार के साथ खड़े हैं। सिद्धारमैया ने बता दिया कि अधिकांश विधायक उनके साथ हैं। ऐसे में यदि विधायक दल की बैठक होती है तो डीके शिवकुमार को मतदान में हार का सामना करना पड़ेगा। नाश्ते की बैठक में सिद्धारमैया ने जो जमीनी हकीकत दिखाई उसी का परिणाम रहा कि डीके शिव कुमार ने मीडिया से कहा कि हम दोनों के बीच कोई विवाद नहीं है और कांग्रेस हाईकमान जो फैसला करेगा, उसे स्वीकार किया जाएगा। यानी सिद्धारमैया ही कर्नाटक के मुख्यमंत्री बने रहेंगे।
S.P.MITTAL BLOGGER (30-11-2025)Website- www.spmittal.inFacebook Page- www.facebook.com/SPMittalblogFollow me on Twitter- https://twitter.com/spmittalblogger?s=11Blog- spmittal.blogspot.comTo Add in WhatsApp Group- 9166157932To Contact- 9829071511

