भारत की नागरिकता लेने से पहले ही सोनिया गांधी मतदाता बन गई। काश! राहुल गांधी इस फर्जीवाड़े पर भी लोकसभा में बोलते। आखिर राहुल गांधी ने अंग्रेजी में संबोधन क्यों किया?
9 दिसंबर को देश में चुनाव सुधार विषय पर लोकसभा में राहुल गांधी ने अपने विचार रखे। राहुल गांधी ने विचारों का इसलिए भी महत्व रहा कि वह लोकसभा में प्रतिपक्ष के नेता है, लेकिन राहुल गांधी के संबोधन से पहले 9 दिसंबर को ही दिल्ली की एक अदालत ने उनकी माताजी श्रीमती सोनिया गांधी को नोटिस जारी किया। यह नोटिस सोनिया गांधी के भारत की नागरिकता लेने से पहले मतदाता बन जाने के संबंध में जारी किया गया। सब जानते हैं कि सोनिया गांधी इटली की रहने वाली है, लेकिन राजीव गांधी के साथ विवाह करने के कारण सोनिया गांधी भारत में आ गई। सोनिया गांधी ने भारत की नागरिकता 1983 में ली, लेकिन सोनिया गांधी ने 1980 में ही भारत की मतदाता बन गई। 80 से 83 के बीच सोनिया गांधी ने अपने मताधिकार का उपयोग भी किया। यानी विदेशी नागरिक होते हुए भी सोनिया गांधी ने भारत में मतदाता की भूमिका निभाई। 9 दिसंबर को राहुल गांधी ने लोकसभा में चुनाव सुधार पर अपने विचार रखते हुए केंद्र की मोदी सरकार पर जमकर हमले किए। राहुल गांधी ने कहा कि पहले चुनाव आयुक्त की चयन समिति में देश के मुख्य न्यायाधीश भी शामिल थे, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मुख्य न्यायाधीश के प्रावधान को हटवा दिया। ऐसा इसलिए किया ताकि मोदी सरकार अपने पसंद का चुनाव आयुक्त नियुक्त कर सके। राहुल गांधी ने यह भी आरोप लगाया कि आज देश के अधिकांश विश्वविद्यालयों के कुलपति राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की विचारधारा वाले है। मोदी सरकार ने संवैधानिक संस्थाओं को अपने नियंत्रण में कर रखा है। राहुल गांधी ने जो आरोप लगाए उसका जवाब तो भाजपा के सांसद निशिकांत दुबे ने हाथों हाथ दे दिया। निशिकांत ने वो पूरी सूची प्रस्तुत की जो कांग्रेस सरकार में नियुक्त चुनाव आयुक्तों से संबंधित थी। यह भी बताया गया कि इंदिरा गांधी ने प्रधानमंत्री रहते हुए किस प्रकार तीन जजों की वरिष्ठता को लांघकर चौथे नंबर के जज को सुप्रीम कोर्ट का मुख्य न्यायाधीश बना दिया। आरोप प्रत्यारोप अपनी जगह है, लेकिन अच्छा होता कि राहुल गांधी 9 दिसंबर को अपनी माताजी श्रीमती सोनिया गांधी के मतदाता बनने के फर्जीवाड़े पर भी अपने विचार रखते। मजे की बात यह है कि कांग्रेस की ओर से 14 दिसंबर को दिल्ली में वोट चोरी के मुद्दे पर रैली की जा रही है। जबकि वोट चोरी की शुरुआत तो गांधी परिवार के घर से ही हो रखी है। विदेशी नागरिक रहते हुए भारत का मतदाता बन जाने से अंदाजा लगाया जा सकता है कि गांधी परिवार ने सत्ता का कितना दुरुपयोग किया है।
अंग्रेजी में संबोधन:
राहुल गांधी, नरेंद्र मोदी की तरह भारत का प्रधानमंत्री बनना चाहते हैं, लेकिन राहुल गांधी मोदी के गुणों पर अमल नहीं करते। नरेंद्र मोदी हर बार अपना भाषण हिंदी में देते हैं ताकि भारत के अधिकांश लोगों तक अपनी बात को समझाया जा सके, लेकिन राहुल गांधी ने 9 दिसंबर को चुनाव सुधार पर अंग्रेजी में भाषण दिया। जबकि देश की पांच प्रतिशत आबादी भी अंग्रेजी नहीं समझती है। यदि राहुल गांधी हिंदी में बोलते तो उनकी बात ज्यादा लोग समझ पाते।
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