मौलाना फजल उर रहमान के आजादी मार्च के साथ -साथ सैनिक शासन की ओर बढ़ रहा है पाकिस्तान।
मौलाना फजल उर रहमान के आजादी मार्च के साथ -साथ सैनिक शासन की ओर बढ़ रहा है पाकिस्तान। मौलाना और सेनाध्यक्ष बाजवा के बीच हो चुकी है गुफ्तगू।
पाकिस्तान के मुसलमानों में जबर्दस्त पैठ रखने वाले जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम के प्रमुख मौलाना फजल उर रहमान का आजादी मार्च 30 अक्टूबर को लाहौर होते हुए 31 अक्टूबर को पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद पहुंच जाएगा। मौलाना के साथ लाखों मुसलमान है जो लगातार इस्लामाबाद की ओर बढ़ रहे हैं। इस्लामाबाद में मौलाना और उनके समर्थकों का तब तक डेरा रहेगा, तब तक इमरान खान पाकिस्तान के प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा नहीं दे देते। मौलाना का कहना है कि इमरान ने मुल्क को बर्बाद कर दिया है, इसलिए अब इमरान को और बर्दास्त नहीं किया जा सकता है। एक ओर मौलाना का आजादी मार्च इस्लामाबाद की तरफ बढ़ रहा है तो दूसरी ओर पाकिस्तान में भी सैनिक शासन की ओर बढ़ रहा है। 27 अक्टूबर को शुरू हुए मार्च से पहले ही पाकिस्तान की सेना के अध्यक्ष कमर जावेद बाजवा ने मौलाना से मुलाकात की थी। मुलाकात के बाद बाजवा का तो कोई बयान नहीं आया, लेकिन मौलाना ने कहा कि अब मार्च किसी भी स्थिति में रुकेगा नहीं। जानकारों की माने तो इस मुलाकात के बाद मौलाना फजल उर रहमान ज्यादा उत्साहित है। मौलाना भी सेनाध्यक्ष की ताकत को जानते हैं। यदि बाजवा मार्च को रोकने की बात कहते तो मौलाना को थोड़ा विचार तो करना ही पड़ता। लेकिन मौलाना का उत्साह बताता है कि दोनों के बीच गुफ्तगू बहुत महत्वपूर्ण रही है। यदि लाखों मुसलमान इस्लामाबाद में डेरा जमाते हैं तो इमरान खान की विदाई तय है और जब इमरान खान रुखसत होंगे तो फिर पाकिस्तान में सैनिक शासन की कायम होगा। भारत अपने पड़ौसी मुल्क के हालातों पर नजर बनाए हुए हैं। 31 अक्टूबर के बाद पाकिस्तान में सैनिक शासन कायम होता है तो भारत को भी सीमा पर सुरक्षा के कड़े इंतजाम करने होंगे। पाकिस्तान की सेना का प्रयास होगा कि हमारे कश्मीर के हालात बिगड़े।
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