तो क्या शिवसेना को एक्सपोज कर अब महाराष्ट्र में भाजपा गठबंधन की सरकार बनाएगी?
4 नवम्बर को दिल्ली में महाराष्ट्र के सीएम देवेन्द्र फडऩवीस और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमितशाह के बीच मुलाकात हुई। इस मुलाकात के बाद फडऩवीस ने कहा कि महाराष्ट्र में जल्द ही नई सरकार बनेगी। महाराष्ट्र के राजनीतिक घटनाक्रम में यह पहला अवसर रहा, जब फडऩवीस ने स्वयं को नई सरकार का मुख्यमंत्री नहीं बताया। इससे पहले फडऩवीस कहते रहे कि वे ही महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बनेंगे। लेकिन 4 नवम्बर को फडऩवीस ने दो टूक शब्दों में कहा कि सरकार बनाने को लेकर भाजपा का कोई भी नेता टिप्पणी नहीं करेगा। फडऩवीस के इस बदले रुख से प्रतीत होता है कि अब भाजपा महाराष्ट्र में फूंक फूंक कर कदम रख रही है। पूर्व में जब फडऩवीस ने स्वयं के मुख्यमंत्री होने का दावा किया था, तब सहयोगी शिवसेना ने तीखी प्रतिक्रिया दी थी। इसके बाद शिवसेना ने कांग्रेस और एनसीपी के साथ मिलकर सरकार बनाने का दावा किया। भाजपा के कुछ नेताओं का मानना है कि जब शिवसेना ने कांग्रेस के साथ सरकार बनाने की बात कही तो शिवसेना राजनीतिक दृष्टि से एक्सपोज हो गई। क्योंकि शिवसेना का जन्म ही कांग्रेस की नीतियों के विरोध में हुआ था। अब यदि वही शिवसेना कांग्रेस के समर्थन से महाराष्ट्र में सरकार बनाती है तो यह शिवसेना के लिए आत्मघाती कदम होगा। चूंकि अब शिवसेना किसी भी स्थिति में मुख्यमंत्री का पद चाहती है, इसलिए भाजपा ने भी अपने रुख में नरमी बरती है। माना जा रहा है कि फडऩवीस से संवाद करने के बाद भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमितशाह अब शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे से भी बात कर सकते हैं। इसके लिए फडऩवीस ही माहौल तैयार करेंगे। यदि अमितशाह और उद्धव ठाकरे के बीच संवाद होता है तो फिर महाराष्ट्र में भाजपा और शिवसेना के गठबंधन की सरकार बनने के आसार हो जाएंगे। बदले हुए माहौल में भाजपा अब शिवसेना की अधिकांश शर्तें मानने को तैयार है। जिस प्रकार कांग्रेस ने भाजपा की सरकार को रोकने के लिए शिवसेना तक को समर्थन देने की बात कह दी, उसी प्रकार अब भाजपा भी महाराष्ट्र में कांगे्रस और एनसीपी के समर्थन से शिवसेना की सरकार को रोकने के लिए कोई भी कीमत चुकाने को तैयार है। ऐसे में शिवसेना को गृह, वित्त, नगरीय विकास जैसे मलाई दार विभाग भी दिए जा सकते हैं। महाराष्ट्र में सरकार बनाने का रास्ता अगले दो तीन दिन में साफ हो जाएगा, क्योंकि मौजूदा विधानसभा की अवधि 8 नवम्बर तक है। यानि 9 नवम्बर तक राज्यपाल के समक्ष सरकार बनाने का दावा प्रस्तुत करना होगा। कुछ नेताओं का मानना है कि शिवसेना के साथ सहमति नहीं होने पर भाजपा सबसे बड़े दल के तौर पर राज्यपाल के समक्ष सरकार बनाने का दावा प्रस्तुत कर सकती है। वर्ष 2014 में भी भाजपा ने ऐसा ही किया था। लेकिन तब भाजपा के पास 122 विधायक थे। जब भाजपा ने विधानसभा में बहुमत साबित कर दिया, तब शिवसेना ने गठबंधन किया था। इस बार भाजपा के विधायकों की संख्या 105 है। भाजपा को बहुमत के लिए 145 विधायक चाहिए। ऐसे में भाजपा को चालीस विधायकों का जुगाड़ करना पड़ेगा। माना जा रहा है कि निर्दलीय और कुछ छोटे दलों के समर्थन से भाजपा ने 120 विधायकों का जुगाड़ कर लिया है और हो सकता है कि बहुमत वाले दिन एनसीपी कांग्रेस और शिवसेना के अनेक विधायक सदन में उपस्थित नहीं रहे। ऐसे में भाजपा को उपस्थित विधायकों की संख्या के अनुरूप बहुमत साबित करने में सुविधा रहेगी।
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