शादी का कार्ड 25 रुपए में छप सकता है, लेकिन धनाढ्य लोग हजारों रुपया खर्च करते हैं।

शादी का कार्ड 25 रुपए में छप सकता है, लेकिन धनाढ्य लोग हजारों रुपया खर्च करते हैं। ऐसी शादियों का बहिष्कार कर सकते हैं राजस्थान के गांधीवादी मुख्यमंत्री अशोक गहलोत। पूर्व में आरके मार्बल परिवार के विवाह समारोह में भी नहीं गए थे गहलोत। 

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6 दिसम्बर को जयपुर में होमगार्ड के स्थापना दिवस समारोह के दौरान मीडिया से संवाद करते हुए राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि शादी का कार्ड 25 रुपए में छप सकता है, लेकिन धनाढ्य लोग शादी के कार्ड पर हजारों रुपया खर्च करते हैं। ऐसी फिजूल खर्ची पर खर्च करते हैं। ऐसी फिजूल खर्ची पर रोक लगनी चाहिए। कांग्रेस की राजनीति में गहलोत की गांधीवादी छवि मानी जाती है। समर्थक गहलोत को राजस्थान का गांधी कहते हैं। गहलोत भी स्वयं को महात्मा गांधी का अनुयायी बताते हैं। महात्मा गांधी तो इतने कंजूस थे कि दो कागजों में फंसी लाल पिन को भी निकल कर सुरक्षित रख लेते थे। यानि महात्मा गांधी फिजूल खर्ची के सख्त खिलाफ थे। स्वयं को महात्मा गांधी का अनुयायी मनाते हुए ही गहलोत ने शादी के कार्ड का उदाहरण दिया है। इसमें कोई दो राय नहीं कि शादियों पर लाखों करोड़ों रुपए खर्च होने लगे हैं। एक ओर देश में आर्थिक मंदी का दौर बताया जा रहा है तो दूसरी ओर हजारों रुपए की कीमत का शादी का कार्ड छपवाया जाता है। सीएम गहलोत ने शादी के कार्ड का उदाहरण देकर एक अच्छी पहल की है। अच्छा हो कि सीएम गहलोत ऐसी महंगी शादियों में न जाए। यदि महंगे कार्ड वाली शादियों का सीएम बहिष्कार करेंगे तो समाज में अच्छा संदेश जाएगा। अशोक गहलोत राजनीति के जिस मुकाम पर खड़े हैं उसमें उनके लिए ऐसा कदम उठाना जोखिम भरा नहीं होगा। मुझे याद है कि कुछ वर्ष पहले जब किशनगढ़ के सुप्रसिद्ध आरके मार्बल के प्रमुख अशोक पाटनी के परिवार में विवाह हुआ था, तब चांदी के कार्ड बांटे गए थे। तब अशोक गहलोत कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव थे। तब मैंने ऐसी महंगी शादी में न जाने के लिए गहलोत से आग्रह किया था। मेरे आलेख को पढऩे के बाद तब गहलोत ने मुझे पत्र भी लिखा और आरके मार्बल की शादी में भी नहीं गए। यानि अशोक गहलोत चाहे तो अभी भी ऐसा कर सकते हैं। इसके लिए गहलोत को सबसे पहले अपने मंत्रिमंडल के सदस्यों को भी समझाना होगा। गहलोत के मंत्री न केवल महंगे कार्ड छपवा रहे हैं, बल्कि शादी समारोह में भी काफी पैसा खर्च कर रहे हैं। 5 दिसम्बर को ही गहलोत ने केबिनेट मंत्री प्रमोद जैन की पुत्री के विवाह समारोह में भाग लिया। समारोह को देखकर ही गहलोत को खर्च का अंदाजा लग गया होगा। शायद 5 दिसम्बर को प्रमोद जैन के विवाह के समारोह का प्रभाव गहलोत पर रहा, इसलिए 6 दिसम्बर को महंगी शादियों की बात कही। गहलोत ने 4 दिसम्बर को कांग्रेस सरकार को समर्थन देने वाले निर्दलीय विधायक बाबूलाल नागर के पुत्र के विवाह समारोह में भी भाग लिया। इससे पहले स्कूली शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा के पुत्र की सगाई समारोह में भी गहलोत ने भाग लिया। नागर और डोटासरा ने भी खर्च में कोई कसर नहीं छोड़ी। अशोक गहलोत बड़े कारोबारियों के शादी समारोह का तो बहष्कार कर सकते हैं, लेकिन मंत्रियों के समारोह से परहेज नहीं कर सकते हैं, लेकिन अपने मंत्रियों को समझाया तो जा ही सकता है। यदि गहलोत महंगी शादियों का बहिष्कार करेंगे तो अन्य राजनेताओं पर भी असर होगा।
एस.पी.मित्तल) (06-12-19)
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