डिप्टी सीएम सचिन पायलट के बयान के दो दिन बाद ही खान घोटाले के चार आरोपियों ने सरेंडर किया।

डिप्टी सीएम सचिन पायलट के बयान के दो दिन बाद ही खान घोटाले के चार आरोपियों ने सरेंडर किया। कोर्ट ने 17 मार्च तक के लिए जेल भेजा।
क्या अशोक गहलोत सरकार ने यह कार्यवाही पायलट के दबाव में की है?

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कांग्रेस के प्रभारी महासचिव अविनाश पांडे भले ही यह दावा करे कि राजस्थान में अशोक गहलोत के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार और सचिन पायलट के अध्यक्ष वाले कांग्रेस संगठन में बेहतर तालमेल चल रहा है। लेकिन प्रदेश में हो रही गतिविधियों से प्रतीत होता है कि सत्ता और संगठन में जबरदस्त खींचतान हो रही है। 15 फरवरी को जब अशोक गहलोत के प्रभार वाले गृह विभाग के भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) ने परिवहन विभाग में छापामारी कर बड़ा भ्रष्टाचार उजागर किया तो प्रदेश अध्यक्ष पद पर बतौर पायलट की प्रतिक्रिया थी कि सरकार को भाजपा शासन में हुए 45 हजार करोड़ रुपए के खान महाघोटाले के आरोपियों के विरुद्ध भी कार्यवाही करनी चाहिए। पायलट ने यह भी कहा कि प्रदेश में कांग्रेस सरकार को बने एक वर्ष पूरा हो गया है, इसलिए अब कोई बहाने बाजी नहीं चलेगी। पायलट का यह बयान इसलिए भी महत्वपूर्ण रहा कि खान घोटाले के आरोपी लम्बे समय से फरार चल रहे थे, पायलट ने यह तो नहीं कहा कि कांग्रेस सरकार भी खान घोटाले के आरोपियों को बचा रही है, लेकिन परिवहन विभाग के भ्रष्टाचार को खान घोटाले से जोडऩे से पायलट की मंशा का अंदाजा लगाया जा सकता है। पायलट के बयान को अभी दो दिन भी नहीं हुए  कि 19 फरवरी को खान घोटाले के चार आरोपियों ने जयपुर की कोर्ट में सरेंडर कर दिया। कोर्ट में सरेंडर करने वाले खान विभाग के पूर्व निदेशक पंकज गहलोत, श्याम सुंदर सिंघवी, पुष्करराज एमोटा व धीरज सिंह को आगामी 17 मार्च तक के लिए जेल भेज दिया है। चारों आरोपियों के जमानत के प्रार्थना पत्र पर जयपुर कोर्ट में 20 फरवरी को सुनवाई होगी। खान घोटाले के मुख्य आरोपी और भाजपा शासन में खान विभाग के प्रमुख शासन सचिव रहे अशोक सिंघवी और दलाल संजय सेठी अभी भी फार चल रहे है। सवाल उठता है कि जिन चार आरोपियों ने 19 फरवरी को सरेंडर किया क्या यह कार्यवाही सचिन पायलट के बयान के दबाव में की गई है? खान घोटाले के आरोपी तो लम्बे समय से फरार चल रहे थे। अचानक ऐसी कौन सी परिस्थितियां आ गई जिनकी वजह से इन आरोपियों को सरेंडर करना पड़ा? जाहिर है कि राजस्थान में सरकार और संगठन के बीच तालमेल का अभाव है। यदि तालमेल होता तो सचिन पायलट परिवहन विभाग के भ्रष्टाचार को खान घोटाले से नहीं जोड़ते। सब जानते हैं कि परिवहन मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास पायलट गुट के है। पायलट की सिफारिश से ही खाचरियावास को मंत्री बनने का अवसर मिला है। सीएम अशोक गहलोत के प्रभार वाले गृह विभाग ने जब छापामार कार्यवाही की तो परिवहन मंत्री खाचरियावास ने कड़ा ऐतराज किया। खाचरियावास का कहना रहा कि एसीबी ने सिर्फ एक इंस्पेक्टर को दलाल के साथ गिरफ्तार किया है, जबकि शेष छह इंस्पेक्टरों पर बेवजह दबाव बनाया जा रहा है। खाचरियावास ने जिस तरीके से अपने विभाग के अधिकारियों का बचाव किया उससे साफ जाहिर था कि एसीबी की कार्यवाही से खाचरियावास बेहद नाराज है। हालांकि खाचरियावास ने भ्रष्टाचार मिटाने के लिए एसीबी की कार्यवाही का स्वागत किया है, लेकिन खाचरियावास आज भी परिवहन विभाग के आरोपी इंस्पेक्टरों के बचाव में खड़े हुए हैं। यह बात अलग है कि पुख्ता सबूतों के आधार पर 19 फरवरी को भी एसीबी ने जांच के दायरे में आए इंस्पेक्टरों को तलाश करने के लिए कई स्थानों पर छापामार कार्यवाही की है।
(एस.पी.मित्तल) (19-02-2020)
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