भारत ही है जहां 224 ईसाई और 72 मुस्लिम फिरको के लोग रहते हैं।

भारत ही है जहां 224 ईसाई और 72 मुस्लिम फिरको के लोग रहते हैं।
सीएए का विरोध करने वालों को मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के प्रमुख इंदे्रश कुमार की फटकार।
अजमेर में हुई सूफियों की कॉन्फ्रेंस। 

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23 फरवरी को अजमेर के जवाहर रंगमंच पर राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से जुड़े मुस्लिम राष्ट्रीय मंच की ओर से सूफी कॉन्फ्रेंस हुई। इस कॉन्फ्रेंस में देश की विभिन्न दरगाहों से जुड़े प्रतिनिधियों ने भाग लिया। इस कॉन्फ्रेंस में भाग लेने आए मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के प्रमुख और संघ की राष्ट्रीय कार्यसमिति के सदस्य इन्द्रेश कुमार ने कहा कि दुनिया में भारत एक मात्र ऐसा देश है, जिसमें ईसाई के 224 और मुसलमानों के 72 फिरकों को मानने वाले लोग रहते हैं। चूंकि भारत में किसी भी धर्म का व्यक्ति अपने धर्म अनुरूप रह सकता है, इसलिए सभी धर्मों के लोग भारत में स्वयं को सुरक्षित समझते हैं। ऐसे अनेक मुस्लिम और ईसाई राष्ट्र हैं, जहां उनके फिरकों के सभी लोग आपस में भाई चारे के साथ नहीं रह सकते है, जबकि भारत में तो हिन्दू सिक्ख, ईसाई, मुसलमान सभी भाईचारे के साथ रहते आए हैं। हम सभी को इस परंपरा का निर्वाह करना चाहिए। भारत को विश्व गुरु इसलिए माना जाता है कि भारत भाईचारे का संदेश देता है। कोई मजहब कट्टरता की शिक्षा नहीं देता। हम चाहे किसी भी मजहब के मानने वाले हो, लेकिन हम सबसे पहले हिन्दुस्तानी हैं। इन्द्रेश कुमार ने संशोधित नागरिकता कानून का विरोध करने वालों को फटकार लगाते हुए कहा कि एक तरफ पाकिस्तान में हिन्दू, सिक्ख, ईसाई, जैन बौध, आदि अल्पसंख्यकों पर अत्याचार किया जा रहा है, तो दूसरी ओर जब ऐसे प्रताडि़त लोगों को भारत में नागरिकता दी जा रही है तो कुछ लोग सड़कों पर विरोध कर रहे हैं। यह तरीका पूरी तरह गलत है। इन्द्रेश कुमार ने सवाल उठाया कि क्या हिन्दू समुदाय को पाकिस्तान में मरने के लिए छोड़ दिया जाए? जब यह बात साफ हो गई है कि पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों के साथ अत्याचार हो रहे हैं तो भारत के लोगों को पाकिस्तान के खिलाफ शर्म शर्म करों के नारे लगाने चाहिए। लेकिन अफसोसजनक बात ये है कि सीएए के विरोध प्रदर्शन में पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे लगाए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि जब सीएए से किसी भी भारतीय की नागरिकता नहीं छिन रही है तब सीएए का विरोध बेमानी है। उन्होंने कहा कि मौजूदा सरकार ने सीएए कानून ला कर बरसों से प्रताडि़त लोगों को राहत दी है। यह कानून देशहित में है।
(एस.पी.मित्तल) (23-02-2020)
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