तो क्या कांग्रेस के मौजूदा संकट के लिए राहुल गांधी जिम्मेदार हैं?
तो क्या कांग्रेस के मौजूदा संकट के लिए राहुल गांधी जिम्मेदार हैं?
मध्यप्रदेश में कमलनाथ की सरकार जा रही है, इसलिए तो कांग्रेस के विधायकों को भोपाल से जयपुर भेजा है।
11 मार्च को सोशल मीडिया के माध्यम से राहुल गांधी ने कांग्रेस के मौजूदा संकट के लिए प्रधानमंत्री कार्यालय को जिम्मेदार ठहराया है। लेकिन सब जानते हैं कि राहुल गांधी की रवैए की वजह से ही कांग्रेस में संकट आया है। मध्यप्रदेश में ज्योतिरादित्य हो या फिर राजस्थान में सचिन पायलट। मुम्बई में संजय निरुपम व मिलिंद देवड़ा हो या हरियाणा में अशोक तंवर। कांग्रेस का राष्ट्रीय अध्यक्ष रहते हुए राहुल गांधी ने हर प्रदेश में युवाओं को कमान सौंपी। लेकिन लोकसभा चुनाव में करारी हार के बाद राहुल ने केवल अध्यक्ष पद छोड़ दिया, बल्कि प्रदेश के युवा नेताओं से बात करना भी बंद कर दिया है। एक समय था तब ज्योतिरादित्य, सचिन पायलट, भंवर जीतेन्द्र सिंह, जतिन प्रसाद, मिलिंद देवड़ा जैसे नेता राहुल गांधी के मित्रों में माने जाते थे, लेकिन अब यदि ऐसे मित्रों को राहुल से मुलाकात के लिए महीनों इंतजार करना पड़े तो फिर मध्यप्रदेश की तरह बगावत तो देखने को मिलेगी ही। यह बात सही है कि गांधी परिवार के बगैर कांगे्रस का कोई भविष्य नहीं है, इसलिए तो राहुल गांधी के बाद फिर से श्रीमती सोनिया गांधी को राष्ट्रीय अध्यक्ष बना दिया गया। अब यदि राहुल गांधी दोबारा से तैयार नहीं होते हैं तो प्रियंका गांधी कांग्रेस की कमान संभालने के लिए तैयार हैं। जब राहुल गांधी इस सच्चाई को जानते हैं कि गांधी परिवार के बगैर कांग्रेस का कोई भविष्य नहीं है तो फिर लोकसभा चुनाव के बाद संगठन की दृष्टि से निष्क्रिय क्यों हुए? यदि राहुल गांधी अपने मित्रों को संभाल कर रखते तो ज्योतिरादित्य इस तरह बगावत नहीं करते। जब राहुल गांधी ही संगठन से दूर भाग रहे हैं, तो फिर युवा नेता इधर-उधर जाएंगे ही। राहुल गांधी यदि यह समझते हों कि महात्मा गांधी की तरह बगैर किसी पद पर रहे देश का नेतृत्व कर लेंगे तो यह उनकी गलतफहमी है। सिर्फ राहुल गांधी बनकर कांग्रेस का नेतृत्व करना संभव नहीं है। यदि ऐसा होता तो उन्हें अमेठी से लोकसभा चुनाव हारना नहीं पड़ता। राहुल गांधी अपनी काबिलियत दिखाएंगे तभी संगठन में भी महत्व होगा।
… इसीलिए तो कांग्रेस के विधायकों को जयपुर लाया गया:
11 मार्च को मध्यप्रदेश के 80 से भी ज्यादा कांग्रेसी विधायक राजस्थान के जयपुर में ब्यूना विस्टा रिसोर्ट में पहुंच गए हैं। यह वही रिसोर्ट है, जहां पिछले दिनों ही महाराष्ट्र के 44 कांग्रेसी विधायक को सुरक्षित रखा गया था। राजस्थान में अशोक गहलोत के नेतृत्व में कांग्रेस की सरकार है, इसलिए जयपुर को सुरक्षित माना गया। सवाल उठता है कि कांग्रेस के विधायकों को मध्यप्रदेश के भोपाल में ही क्यों नहीं रखा गया? जबकि मध्यप्रदेश में भी कमलनाथ के नेतृत्व में फिलहाल कांग्रेस की सरकार ही है? क्या कांग्रेस ने यह मान लिया है कि कुछ दिनों में कमलनाथ की सरकार जाएगी? ज्योतिरादित्य की 22 विधायकों की बगावत के बाद भी कांग्रेस के नेता दावा कर रहे हैं कि 16 मार्च को शुरू होने वाले विधानसभा सत्र में कमलनाथ सरकार अपना बहुमत सिद्ध कर देगी। यदि इन दावों में दम होता तो कांग्रेस के विधायकों को भोपाल से जयपुर नहीं भेजा जाता। असल में कांग्रेस को 22 से भी ज्यादा विधायकों के भागने का डर है और अब जब मध्यप्रदेश में कमलनाथ की सरकार जा रही है, इसलिए शेष विधायकों को जयपुर भेजा गया है।
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