बैंक और फाइनेंस कंपनियों में कर्ज की किश्त तथा सरकार में जमा होने वाली राशि में भी छूट मिले।
कोरोना वायरस के प्रकोप के चलते सरकारी तालाबंदी से आय के सभी रास्ते बंद।
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कोरोना वायरस के प्रकोप के चलते देश भर में धारा 144 लागू कर दी गई है। कफ्र्यू जैसे हालात के मद्देनजर ट्रेन, हवाई जहाज, बस आदि परिवहन के साधन बंद हो रहे हैं। मंदिरों और अन्य धार्मिक स्थलों में प्रवेश रोक दिया गया है। सिनेमा घर, मॉल आदि बंद कर दिए गए हैं। ऐसी स्थिति में उन व्यक्तियों अथवा व्यापारिक संस्थाओं के पास आय का कोई जरिया नहीं बचा है, जिन्होंने बैंक और प्राइवेट फाइनेंस कंपनियों से लोन ले रखा है। ऐसे में संबंधित कर्जदारों को कर्ज की किश्त चुकाना मुश्किल हो रहा है। निमयों के मुताबिक जब कोई कर्जदार प्रतिमाह किश्त नहीं चुकाता है तो उसे डिफाल्टर घोषित कर दिया जाता है। जब सरकार ने ही अपने अधिकारों का उपयोग करते हुए देशभर में तालाबंदी कर दी है, तब सवाल उठता है कि प्रतिमाह कर्ज की किश्त कैसे जमा करवाई जाएगी। सरकार को चाहिए कि अपने विशेषाधिकारों का उपयोग करते हुए प्रतिमाह जमा होने वाली किश्त को स्थगित किया जाए, इतना ही नहीं जिन व्यक्तियों और संस्थानों को चालू वित्तीय वर्ष के अंतिम दिन 31 मार्च तक सरकारी खजाने में जो राशि जमा करवानी है उसे भी आगे बढ़ाया जाए। एक ओर जब सरकार स्वास्थ्य कारणों से तालाबंदी कर रही है तब सरकार का दायित्व परेशान लोगों को राहत देने का भी होना चाहिए। यदि केन्द्र और राज्य सरकारें परेशान लोगों को राहत देती है तो एक सराहनीय कदम होगा। सरकार में बैठे लोगों को यह समझना चाहिए कि बाजार में व्यापार पूरी तरह बंद हो गया है। बड़े शोरूम मालिक दिनभर का खर्चा भी नहीं निकाल पा रहे हैं। वहीं छोटा दुकानदार भी परेशान है। ऐसे में यदि कर्ज की वसूली जबरन की जाती है तो समाज में इसके घातक परिणाम सामने आएंगे।
(एस.पी.मित्तल) (19-03-2020)
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