गणेश प्रतिमा देखकर ही खुश है मूक-बधिर विद्यार्थी।
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गणेश प्रतिमा देखकर ही खुश है मूक-बधिर विद्यार्थी।
इन दिनों देशभर में गणेश उत्सव की धूम ही जगह-जगह लम्बोदर प्रतिमा स्थापित कर धार्मिक आयोजन हो रहे है। ऐसी ही एक गणेश प्रतिमा अजमेर के वैशालीनगर स्थित मूक बधिर विद्यालय में स्थापित की गई। प्रतिदिन होने वाली गणेश आरती में 10 सितम्बर को मुझे भी आमंत्रित होने का अवसर मिला। परिसर में भगवान गणेश के भजन बजाए जा रहे है। परिसर में 100 से ज्यादा मूक बधिर छात्र-छात्राएं उपस्थ्ज्ञित थी। जब धार्मिक भजन किसी के भी कानों में सुनाई देते है तो आंनद की अनुभूति होती है, लेकिन इसे ईश्वर की बेरहमी ही कहा जाएगा कि सुंदर-सुंदर चेहरे वाले लड़के-लड़कियां भगवान गणेश के भजन सुन नहीं पा रहे थे। मैंने देखा कि 100 से अधिक विद्यार्थियों की मौजूदगी के बाद परिसर में कोई शोरगुल नहीं हो रहा था, क्योंकि ईश्वर ने इन बच्चों को जुबान भी नहीं दी। मेरे साथ विद्यालय के प्राचार्य एस के सिंह भी बैठे हुए थे। प्राचार्य का कहना था कि भले ही ये बच्चे गूंगे-बहरे हो, लेकिन योग्यता दिखने में कभी भी पीछे नहीं रहते है। हाथ और होठ के इशारे से ही एक-दूसरे के संवाद को समझ लेते है। मैंने देखा कि भगवान गणेश के प्रति जो श्रद्धा सामान्य बच्चों में होती है उससे कई ज्यादा इन मूक-बधिर बच्चों में थी। आरती के समय जिस प्रकार बच्चे हाथ जोड़ कर खड़े थे उसे देखते हुए यह लगा ही नहीं कि यह बच्चे गूंगे-बहरे है। मैंने सच्चे मन से भगवान गणेश से यह प्रार्थना की कोई चमत्कार क्या इन बच्चों को सुनने और बोलने की शक्ति प्रदान कर दी जाए। आखिर यह बच्चें भी तो रोजाना लम्बोदर की आरती कर रहे है। यदि लम्बोदर को अपनी आरती सुनानी है तो इन बच्चों को कान देने ही पड़ेंगे और यदि इन बच्चों से आरती बुलानी है तो आवाज भी देनी पड़ेगी। प्राचार्य सिंह ने बताया कि इस विद्यालय का सालाना खर्च करीब 40 लाख रुपए के है, लेकिन सरकार की ओर से मात्र 20 लाख रुपए का ही सहयोग मिलता है। ऐसे में जन सहयोग से ही काम चलाया जाता है। अजमेर का मशहूर औद्योगिक तोषनीवाल परिवार की भूमिका सबसे महत्वपूर्ण है। श्रीमती पुष्पा तोषनीवाल इन बच्चों के लिए हमेशा चिंतित रहती है।
लायंस क्लब उमंग की प्रमुख श्रीमती आभा गांधी और उनके समाजसेवी राजेन्द्र गांधी की ओर से प्रतियोगिता में विजेता बच्चों को पारितोषिक दिए गए। जिन बच्चों ने उपहार प्राप्त किए उनकी खुशी का कोई ठिकाना नहीं थी। मूक-बधिर विद्यार्थियों की विभिन्न प्रतियोगिताए आयोजित करने वाले कमल गर्ग भी इस बात से उत्साहित थे कि मूक बधिर विद्यार्थी भी इस बार गणेश उत्सव मना रहे है। गर्ग स्वयं भी मूक-बधिर है, लेकिन मूक बधिर बच्चों की समस्याओं के समाधान के लिए गर्ग हमेशा आगे रहते है। पत्रकार विजय शर्मा ने भी विद्यार्थियों के प्रति शुभकामनाएं प्रकट की।
(एस.पी. मित्तल) (11-09-2016)
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