किसान आंदोलन की आड़ में अपनी वजूद को बचाने में जुटे राजनीतिक दल। अरविंद केजरीवाल से लेकर कांग्रेस तक ने मंडी व्यवस्था को समाप्त करने की मांग की थी। केन्द्रीय कानून मंत्री रवि शंकर प्रसाद ने विपक्षी दलों पर दोहरा चरित्र अपनाने का आरोप लगाया।
दिल्ली की सीमाओं पर पिछले 12 दिनों से चल रहे किसानों के धरना प्रदर्शन और 8 दिसम्बर को भारत बंद के आव्हान को लेकर 7 दिसम्बर को केन्द्रीय कानून मंत्री रवि शंकार प्रसाद ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की। उन्होंने आरोप लगाया कि कुछ राजनीतिक दल अपना वजूद बचाने के लिए किसानों की आड़ ले रहे हैं। रवि शंकर प्रसाद ने एक एक विपक्षी दलों के नेताओं के नाम लेकर बताया कि किसने कब क्या कहा। उन्होंने बताया कि 7 दिसम्बर को दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल किसानों के प्रति अपना समर्थन जताने के लिए दिल्ली की सीमा पर पहुंच गए। जबकि केजरीवाल की सरकार ने गत 27 नवम्बर को ही तीना कृषि कानूनों को अपने प्रदेश में नोटीफाइड कर दिया। एक ओर केजरीवाल अपने प्रदेश में कानून को स्वीकार कर रहे हैं तो दूसरी ओर किसानों के बीच जाकर केन्द्र सरकार की बुराई कर रहे हैं। उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के लखनऊ में सड़क पर बैठने के संबंध में प्रसाद ने कहा कि उनके पिता लोकसभा की कृषि समिति में जब सदस्य थे, तब उन्होंने किसानों को मंडियों के चंगुल से बाहर निकालने की बात कही थी। संसद की उस रिपोर्ट पर मुलायम सिंह के भी हस्ताक्षर हैं। शिवसेना भी ने भी मंडी व्यवस्था को समाप्त करने का सुझाव दिया था। केन्द्र में जब मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री थे, शरद पवार पत्र लिखकर मंडी व्यवस्था को समाप्त करने की मांग की थी। इतना ही नहीं कांग्रेस ने तो अपने घोषणा पत्र में मंडी व्यवस्था को समाप्त करने का प्रस्ताव रखा। इसको लेकर राहुल गांधी ने पत्र भी लिखा है। रवि शंकर प्रसाद ने कहा कि मुझे नहीं पता कि योगेन्द्र यादव की स्वराज पार्टी का क्या हाल है, लेकिन मैं 2017 का योगेन्द्र यादव का एक ट्वीट बता रहा हंू। नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार के तीन साल पूरे होने पर योगेन्द्र यादव ने ट्वीट किया था कि केन्द्र सरकार मंडी व्यवस्था में सुधार क्यों नहीं करती? रविशंकर प्रसाद ने कहा कि किसान आंदोलन में विपक्षी दलों का दोहरा चरित्र सामने आया है। जो राजनीतिक दल कभी किसानों को दलालों के चंगुल से बाहर निकालने की मांग करते थे आज वो ही आंदोलन का समर्थन कर रहे हैं। किसानों के बीच भी भ्रम फैलाया जा रहा है। नए कृषि कानून में किसान की जमीन के अनुबंध का कोई प्रावधान नहीं है। किसान की जमीन न तो बिकेगी न ही बंधक होगी और न ही लीज पर दी जाएगी। अनुबंध सिर्फ फसल पर होगा। जब जमीन को लेकर कानून में कोई नियम ही नहीं है, तो फिर किसान की जमीन बिक जाने का भ्रम क्यों फैलाया जा रहा है। केन्द्रीय मंत्री प्रसाद ने कहा कि नए कानून के लागू होने के बाद एक करोड़ 68 लाख किसानों ने रजिस्ट्रेशन करवाया है। इसमें छोटे किसानों की संख्या ज्यादा है। इससे प्रतीत होता है कि देश का आम किसान नए कानूनों का समर्थन कर रहा है। आम किसान को पता है कि नया कानून उनके लिए खुशहाली लाएगा।
S.P.MITTAL BLOGGER (07-12-2020)
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