तो क्या देश के सबसे बड़े उद्योगपति मुकेश अंबानी को ब्लैकमेल करने की योजना थी? मुंबई पुलिस का एनकाउंटर स्पेशलिस्ट सचिन वाजे शिव सैनिक रह चुका है, इसलिए मुख्यमंत्री बनने के बाद उद्धव ठाकरे ने वाजे को बहाल कर दिया। चाहे टीआरपी घोटाला हो या अभिनेत्री कंगना रनौत के बंगले को तोड़ने का मामला सभी में वाजे की अहम भूमिका।
देश के सबसे बड़े उद्योगपति मुकेश अंबानी के मुंबई स्थित घर के बाहर विस्फोटक पदार्थ से भरी स्कॉर्पियो कार मिलने के प्रकरण में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने जो तथ्य जुटाएं हैं, उससे प्रतीत होता है कि अंबानी को ब्लैकमेल करने की योजना थी। कुछ लोग मौत का डर दिखा कर अंबानी से पैसा वसूलना चाहते थे। या फिर अपने इशारे पर काम करने के लिए बाध्य करना चाहते थे। इस पूरी घटना के केन्द्र बिन्दू मुंबई पुलिस की क्राइम ब्रांच के अधिकारी सचिन वाजे हैं। वाजे को अदालत ने 25 मार्च को एनआईए के रिमांड पर सौंप दिया है। वाजे ने पूछताछ में स्वीकार किया है कि अंबानी के घर के बाहर से विस्फोटक पदार्थ से भरी जो स्कॉर्पियो कार बरामद की गई है उसके मालिक मनसुख हिरेन से उसकी मित्रता रही है, लेकिन हिरेन की मौत में उसकी कोई भूमिका नहीं है। हिरेन की मौत में वाजे की भूमिका के बारे में विस्तृत पड़ताल के बाद ही पता चलेगा, लेकिन यह सही है कि स्कॉर्पियो कार की मौजूदगी के समय जो एनोवा कार अंबानी के घर के बाहर आई, वह मुंबई पुलिस के आयुक्त कार्यालय की है और इस इनोवा का इस्तेमाल सचिन वाजे ही करते हैं। सीसीटीवी फुटेज बताते हैं कि स्कॉर्पियो को अंबानी के घर के निकट खड़ा करने के बाद ड्राइवर इसी इनावा कार में बैठ कर रवाना हुआ। इनोवा कार से जो व्यक्ति उतरा उसने पीपीई किट पहन रखा था, ताकि चेहरे की पहचान नहीं हो सके। इसलिए अब एनआईए के अधिकार आरोपी सचिन वाजे को रात के समय पीपीई किट पहना कर मौके पर ले जाएंगे, ताकि घटना वाले दिन पीपीई किट पहने व्यक्ति से मिलान किया जा सके। सचिन वाजे महाराष्ट्र की शिवसेना के नेतृत्व वाली सरकार के कितने भरोसे का है, इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि रिपब्लिक टीवी से जुड़े टीआरपी घोटाले तथा अभिनेत्री कंगना रनौत के बंगले को तोड़ने के प्रकरणों में वाजे का सीधा दखल रहा है। असल में महाराष्ट्र का मुख्यमंत्री बनने के बाद उद्धव ठाकरे ने ही सचिन वाजे को पुलिस सेवा में बहाल किया। वाजे मुंबई पुलिस में एनकाउंटर स्पेशलिस्ट था, लेकिन कथित एनकाउंटर के बाद वर्ष 2004 में वाजे को सस्पेंड कर दिया। निलंबन काल के दौरान ही वाजे शिवसेना में शामिल हो गया। महाराष्ट्र में जब शिवसेना के सहयोग से भाजपा की सरकार चल रही थी, तब तत्कालीन मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के पास भी वाजे की फाइल आई थी, लेकिन वाजे पर लगे गंभीर आरोप को देखते हुए फडणवीस ने बहाली के आदेश नहीं दिए। सचिन वाजे 2016 तक निलंबित रहे, लेकिन उद्धव ठाकरे के मुख्यमंत्री बनने के बाद वर्ष 2020 में बहाल हो गए। अभी यह तो नहीं कहा जा सकता कि वाजे और ठाकरे में मित्रता है, लेकिन इतना जरूर है कि सचिन वाजे और ठाकरे की शिवसेना के मजबूत और वफादार शिव सैनिक हैं। ऐसे में उद्योगपति मुकेश अंबानी को ब्लैकमेल करने की योजना भी बनाई जा सकती है। सब जानते हैं कि जो स्कॉर्पियो अंबानी के घर के निकट से बरामद की गई थी, उसमें अंबानी परिवार के काम आने वाली कारों एवं अन्य वाहनों की नम्बर प्लेटें भी रखी गई थीं। ताकि यह बताया जा सके कि अंबानी के घर की जानकारियां हैं। ऐसी जानकारियां सरकार के सहयोग के बिना संभव नहीं है। इसी स्कॉर्पियो से जिलेटिन की छड़े तथा एक धमकी भरा पत्र मिला था। यदि इस मामले की जांच एनआईए नहीं करती तो सचिन वाजे जैसे मुंबई पुलिस के अधिकारी अपनी योजना में सफल हो जाते। महाराष्ट्र सरकार की ओर से भी यह दर्शाया जाता कि अंबानी परिवार को आतंकवादियों से खतरा है और मुंबई पुलिस ही रक्षा कर सकती है। चूंकि अब ब्लैकमेलिंग का भंडाफोड़ हो रहा है, इसलिए महाराष्ट्र सरकार से जुड़े कई लोग सचिन वाजे के बचाव में आ गए हैं। ऐसे लोगों को एनआईए की जांच पर एतराज है। सवाल उठता है कि क्या मुंबई पुलिस सचिन वाजे के खिलाफ इतने सबूत जुटा पाती? यदि जांच का जिम्मा मुंबई पुलिस के पास ही होता तो सचिन वाजे ही जांच अधिकारी होते।
S.P.MITTAL BLOGGER (15-03-2021)
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