राजस्थान यूथ कांग्रेस के अध्यक्ष गणेश घोघरा का कहना है कि आदिवासी हिन्दू नहीं है। आदिवासियों का धर्म कोड अलग होना चाहिए। क्या राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, घोघरा के बयान से सहमत हैं? कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष डोटासरा ने भी नहीं दी है प्रतिक्रिया। चम्बल अभ्यारण विकास क्षेत्र का उपवन संरक्षक फुरकान अली 3 लाख रुपए की रिश्वत लेते गिरफ्तार
राजस्थान विधानसभा के चालू बजट सत्र में सत्तारूढ़ कांग्रेस के विधायक और यूथ कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष गणेश घोघरा ने कहा कि हमारा आदिवासी धर्म अलग है। हमारी संस्कृति अलग हैं। हम प्रकृति को पूजते हैं। हमें हिन्दू कहा जाता है, जबकि हिन्दू के नाम पर हमारा भी शोषण हो रहा है। हम हिन्दू नहीं है, हमारा आदिवासी धर्म कोड अलग होना चाहिए। हम पर हिन्दू धर्म थोपना बंद होना चाहिए। गणेश घोघरा का यह बयान अपने आप में महत्वपूर्ण है। अब तक तो आदिवासियों को हिन्दू ही माना जाता रहा है। जंगल में रहने वाले वनवासियों से तो भगवान राम भी जुड़े रहे। राम ने 14 वर्ष इन्हीं वनवासियों के बीच गुजारे। अब वनवासी या आदिवासियों के प्रतिनिधि राजनीतिक कारणों से हिन्दू समाज को विभाजित करने वाले बयान दे तो इसका असर संपूर्ण समाज पर पड़ेगा। चूंकि यह बयान यूथ कांग्रेस के अध्यक्ष गणेश घोघरा ने दिया है, इसलिए राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को अपनी स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए। सचिन पायलट को कांग्रेस के अध्यक्ष पद से हटाने के बाद गहलोत ने ही मुकेश भाकर को यूथ कांग्रेस के अध्यक्ष पद से हटाकर गणेश घोघरा को अध्यक्ष नियुक्त करवाया था। गत वर्ष राजनीतिक संकट के समय गणेश घोघरा ने बीटीपी के दो विधायकों का समर्थन गहलोत को दिलवाया। यानी गणेश घोघरा सीएम गहलोत के भरोसे के हैं। यदि मुख्यमंत्री का विश्वास पात्र विधायक विधानसभा में वनवासियों को हिन्दू मानने से इंकार करे तो यह बड़ी बात है। आदिवासी वर्ग तो हमेशा से ही हिन्दू समाज की ताकत रहा है। देश के अधिकांश वन क्षेत्रों में हिन्दू परंपराओं का पालन होता है। भले ही स्थानीय स्तर पर कुछ रिवाज अलग हो, लेकिन वनवासियों को कभी भी हिन्दू समाज से अलग नहीं माना गया। कुछ वनवासी इधर-उधर चले भी गए तो उन्हें वापस लौटना पड़ा। हो सकता है कि गणेश घोघरा का बयान प्रदेश के आदिवासी क्षेत्र डूंगरपुर, बांसवाड़ा, प्रतापगढ़ आदि में कांग्रेस को तात्कालिक तौर पर राजनीतिक फायदा पहुंचाए, लेकिन इसके दूरगामी परिणाम देश के लिए घातक होंगे। सीएम गहलोत और कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा को बताना चाहिए कि वे आदिवासियों को हिन्दू मानते हैं या नहीं।फुरकान अली गिरफ्तार:गणेश घोघरा भले ही हिन्दू धर्म में आदिवासियों के शोषण का आरोप लगाए, लेकिन शोषण की एक वजह विकास कार्यों में भ्रष्टाचार भी होना है। सरकार जो पैसा स्वीकृत करती है उसका पूरा लाभ आदिवासियों को नहीं मिलता। बड़े अधिकारी लाखों करोड़ों रुपया डकार जाते हैं। इसका ताजा उदाहरण 18 मार्च को सवाई माधोपुर स्थित राष्ट्रीय चम्बल वन्य जीव अभ्यारण के उपवन संरक्षक फुरकान अली खत्री को 3 लाख रुपए की रिश्वत लेते रंगे हाथों पकड़ा जाना है। एसीबी के डीजी बीएल सोनी ने बताया कि वन्य जीवन क्षेत्र में जल संरक्षण एवं अन्य कार्यों को करने वाले एक ठेकेदार से खत्री ने चार लाख रुपए की रिश्वत की मांग की थी। खत्री ने कहा कि रिश्वत देने पर ही ठेकेदार के बिल पास किए जाएंगे। ठेकेदार एक लाख रुपए की राशि पहले दे चुका था। 18 मार्च को एसीबी की योजना के मुताबिक जब ठेकेदार ने 3 लाख रुपए की राशि दी तो खत्री को रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों पकड़ लिया गया। अब खत्री के कोटा स्थित अनंतपुरा और सवाई माधोपुर स्थित सरकारी आवास पर तलाशी चल रही है। खत्री की गिरफ्तार से पता चलता है कि जो धनराशि वन क्षेत्रों के विकास के लिए आती है उसे सरकारी अमला हड़प कर जाता है। राजस्थान में गणेश घोघरा की पार्टी का ही शासन है। यदि उपवन संरक्षक स्तर का अधिकारी चार-चार लाख रुपए की रिश्वत ले रहा है तो आदिवासी क्षेत्रों के अन्य अधिकारियों के भ्रष्टाचार का अंदाजा लगाया जा सकता है। घोघरा को यदि अपने वनवासी भाइयों को शोषण से मुक्ति दिलानी है तो भ्रष्टाचार को समाप्त करवाना होगा। S.P.MITTAL BLOGGER (18-03-2021)Website- www.spmittal.inFacebook Page- www.facebook.com/SPMittalblogFollow me on Twitter- https://twitter.com/spmittalblogger?s=11Blog- spmittal.blogspot.comTo Add in WhatsApp Group- 9602016852To Contact- 9829071511