फिर भी अजमेर के जेएलएन अस्पताल में 90 संक्रमित मरीज प्रतिदिन भर्ती हो रहे हैं। यदि कोई अव्यवस्था हो रही है तो उसे सुधारा जाएगा-प्रिंसिपल डॉ. वीर बहादुर सिंह। 79 कंसंट्रेटर पर भी इलाज शुरू। ऑक्सीजन और रेमडेसिवीर इंजेक्शन भी पर्याप्त मात्रा में।
कोरोना काल में अजमेर के जेएलएन अस्पताल के बाहर मरीज भर्ती होने के लिए परेशान हो रहे हो, लेकिन इसी अस्पताल में प्रतिदिन 90 मरीज भर्ती भी हो रहे हैं। इनमें ऑक्सीजन की आवश्यकता वाले मरीजों के साथ साथ बाइपेप और वेंटिलेटर की जरूरत वाले मरीज भी शामिल हैं। मीडिया में आ रही खबरों के बीच 15 मई को जेएलएन मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के प्रिंसिपल डॉ वीर बहादुर सिंह ने बताया कि अस्पताल में प्रतिदिन 90 संक्रमित मरीजों को भर्ती किया जा रहा है। अस्पताल आने वाले किसी भी संक्रमित व्यक्ति को भर्ती करने या चिकित्सीय परामर्श देने से इनकार नहीं किया जा रहा। यदि किसी मरीज को ऑक्सीजन की जरूरत है तो उसे भी भर्ती किया जाता है, कई बार जानकारी के अभाव में मरीज को लगता है कि उसे भर्ती नहीं किया जा रहा। डॉ सिंह ने बताया कि जो संक्रमित मरीज क्रिटिकल नहीं है, उसे शहर के पंचशील सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र और आदर्श नगर स्थित सैटेलाइट अस्पताल में भर्ती किया जा रहा है, उन्होंने मरीजों के परिजन से अपील की है कि वे पहले मरीज को दोनों अस्पतालों में से किसी भी अस्पताल में ले जाएं यदि मरीज की स्थिति सामान्य हो तो उसे वहीं भर्ती कर लिया जाएगा, यदि क्रिटिकल होगी तो मरीज को जेएलएन अस्पताल के लिए रेफर कर दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि कई बार सामान्य श्रेणी के मरीज भी जेएलएन अस्पताल आ जाते हैं, ऐसे में उन्हें पंचशील और आदर्श नगर के अस्पतालों में जाने की सलाह दी जाती है, तब शायद उन्हें लगता होगा कि भर्ती नहीं किया जा रहा। अस्पताल प्रबंधन के सामने सबसे पहले क्रिटिकल मरीज की जान बचाना होता है। आज भी जेएलएन अस्पताल में 650 संक्रमित मरीजों का इलाज चल रहा है, इनमें से कई मरीज वेंटिलेटर और बाइपेप उपकरणों पर हैं। इतनी बड़ी संख्या में कोरोना संक्रमित मरीजों को संभालना बेहद कठिन काम है, जब संक्रमित मरीजों के परिजन दूर हैं, तब अस्पताल के चिकित्सक और स्वास्थ्य कर्मचारी रात दिन मेहनत कर इलाज कर रहे हैं। डॉक्टर सिंह ने कहा कि जेएलएन अस्पताल में भर्ती मरीजो को रेमडेसिवीर इंजेक्शन जैसी जरूरी दवाइयां भी आवश्यकता अनुसार उपलब्ध कराई जा रही है। अब से 79 कंसंट्रेटरों से भी मरीजों को ऑक्सीजन दी जा रही है फिर भी यदि कोई अव्यवस्था है तो उसे सुधारा जाएगा। डॉ सिंह ने कहा कि वे स्वयं मेडिकल कॉलेज की बिल्डिंग में अपने कक्ष में उपलब्ध रहते हैं। अस्पताल के अधीक्षक डॉ अनिल जैन और अतिरिक्त अधीक्षक भी अधिकांश समय अस्पताल में ही रहते हैं। यदि किसी मरीज को परेशानी है तो उसके परिजन हम सब से मिल सकते हैं। डॉ सिंह ने माना कि दूसरी लहर का कोरोना संक्रमण खतरनाक है, अच्छे इलाज के बाद भी मरीजों का निधन हो रहा है नेगेटिव होने के बाद भी कार्डियक अरेस्ट हो रहा है, मरीजों की संख्या के सामने चिकित्सीय साधन कम पड़ रहे हैं, अच्छा हो कि लोग कोरोना की चपेट में आने से बचें इसके लिए जरूरी है कि लोग अपने घरों पर ही रहे। लॉकडाउन में अपने घर पर लॉक रहने से ही कोरोना संक्रमण को हराया जा सकता है।
S.P.MITTAL BLOGGER (15-05-2021)Website- www.spmittal.inFacebook Page- www.facebook.com/SPMittalblogFollow me on Twitter- https://twitter.com/spmittalblogger?s=11Blog- spmittal.blogspot.comTo Add in WhatsApp Group- 9602016852To Contact- 9829071511