ऑक्सीजन कंसंट्रेटर घटिया होने के कारण किशनगढ़ के विधायक सुरेश टाक ने तो वापस कर दिए। पुष्कर के विधायक सुरेश रावत ने गुणवत्ता और मूल्य के अंतर की जांच कराने की मांग की। 30 हजार की कीमत वाला घटिया कंसंट्रेटर सरकार ने 83 हजार रुपए में खरीदा-विधायक अनिता भदेल। पांच लीटर की क्षमता वाला कंसंट्रेटर भारतीय जैन संगठना ने 50 हजार तथा एंटरप्रेन्योर ऑर्गेनाइजेशन ने 66 हजार रुपए में खरीदा। सरकार के लिए कीमत नहीं, लोगों की जान बचाना पहली प्राथमिकता-डॉ. केके सोनी।
ऐसा प्रतीत होता है कि लोगों की मजबूरी का फायदा उठाकर ऑक्सीजन कंसंट्रेटर सप्लाई करने वाली फर्मों ने जमकर लूट मचाई है। ऐसी फर्मों ने राजस्थान सरकार को भी नहीं छोड़ा है। जिले के जिस चिकित्सा अधिकारी ने जितनी जल्दी दिखाई, उसे उतना ही महंगा और घटिया कंसंट्रेटर सप्लाई कर दिया। प्रदेश के अधिकांश विधायकों ने अपने अपने निर्वाचन क्षेत्रों के सरकारी अस्पतालों के लिए ऑक्सीजन कंसंट्रेटर खरीदने के लिए विधायक कोष से 50 लाख रुपए तक की राशि स्वीकृत की है। राज्य सरकार ने ऑक्सीजन कंसंट्रेटर और अन्य जरूरी सामान खरीदने की छूट जिले के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी को दे दी है। यही वजह है कि अब ऑक्सीजन कंसंट्रेटर जैसी महंगी सामग्री भी जिला स्तर पर ही खरीदी जा रही है। हालांकि अब संक्रमित मरीजों की संख्या कम हो गई है और लॉकडाउन भी समाप्ति की ओर है। लेकिन पूर्व में स्वीकृत कंसंट्रेटर अब भी अस्पतालों में सप्लाई किए जा रहे हैं। अजमेर जिले के किशनगढ़ के निर्दलीय विधायक सुरेश टाक ने भी ऑक्सीजन कंसंट्रेटर खरीदने के लिए 28 लाख रुपए विधायक कोष से अजमेर के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी को स्वीकृत किए थे। विभाग ने जब कंसंट्रेटर खरीद कर दिए तो विधायक टाक ने सुपुर्दगी लेने से साफ मना कर दिया। जिला कलेक्टर प्रकाश राजपुरोहित को लिखे पत्र में विधायक टाक ने बताया कि खरीदे गए 40 कंसंट्रेटरों की जांच जब किशनगढ़ के यज्ञनारायण अस्पताल में चिकित्सकों की मौजूदगी में की गई तब, कंसंट्रेटर घटिया और अनुपयोगी साबित हुए। अस्पताल में भर्ती 90 सैचुरेशन ऑक्सीजन वाले मरीज के लिए कंसंट्रेटर का इस्तेमाल किया गया तो उसकी उपयोगी शून्य रही। यानी कंसंट्रेटर से ऑक्सीजन दिए जाने के बाद भी मरीज के ऑक्सीजन का सैचुरेशन लेवल 90 ही रहा। अन्य मरीजों के भी जब कंसंट्रेटर लगाए गए तो किसी का भी ऑक्सीजन लेवल नहीं बढ़ा। टाक ने कलेक्टर को बताया कि यह होम केयर कंसंट्रेटर हैं, जिनका उपयोग अस्पताल में कोविड मरीजों के लिए नहीं हो सकता है। टाक ने कलेक्टर से आग्रह किया कि पूर्व में 40 कंसंट्रेटरों के लिए जो 28 लाख रुपए की राशि स्वीकृत है उसे वापस विधायक कोष में जमा करवाया जाए। ताकि विधायक कोष की राशि का सदुपयोग हो सके। विधायक सुरेश टाक का यह पत्र जाहिर करता है कि संबंधित फर्म ने घटिया और महंगे कंसंट्रेटर सप्लाई किए हैं।पुष्कर के कंसंट्रेटरों की भी जांच कराई जाए:पुष्कर के विधायक सुरेश रावत ने बताया कि कंसंट्रेटर खरीदने के लिए विधायक कोष से राशि स्वीकृत की गई थी। ऐसे कंसंट्रेटर उनके विधानसभा क्षेत्र के सरकारी अस्पतालों में दे दिए गए हैं। लेकिन अब जिस तरह से कंसंट्रेटर के घटिया होने की बात सामने आ रही है उसे देखते हुए मेरी जिला कलेक्टर से मांग है कि कंसंट्रेटरों की उपयोगिता की जांच करवाई जाए। यदि ऐसे कंसंटे्रटर मरीज का ऑक्सीजन लेवल नहीं बढ़ा रहे हैं, तो उन्हें संबंधित फर्म को वापस कर स्वीकृत राशि को विधायक कोष में जमा करवाया जाए। विधायक रावत ने कहा कि यह बेहद ही शर्मनाक बात है कि संक्रमित मरीजों के काम आने वाले मेडिकल उपकरण भी घटिया सप्लाई हो रहे हैं।30 हजार वाला 83 हजार में खरीदा:अजमेर दक्षिण क्षेत्र की भाजपा विधायक और पूर्व मंत्री श्रीमती अनिता भदेल ने आरोप लगाया है कि जो ऑक्सीजन कंसंट्रेटर 30 हजार रुपए का है उसे अजमेर के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. केके सोनी ने 83 हजार रुपए में खरीदा है। भदेल ने कहा कि उन्होंने अपने विधायक कोष से 25 लाख रुपए स्वीकृत किए ताकि 10 लीटर की क्षमता वाले 26 कंसंट्रेटर खरीदे जा सके। लेकिन सप्लाई होने के बाद पता चला है कि यह कंसंट्रेटर तो खिलौना नुमा है। उन्होंने जांच पड़ताल की तो पता चला कि ऐसे कंसंट्रेटर घरों में रखे जाते हैं ताकि गर्भवती महिला, बुजुर्ग व्यक्तियों आदि को थेरेपी दी जा सके। यह कंसंट्रेटर अस्पताल में भर्ती कोरोना संक्रमित मरीजों के लिए नहीं है। मेडिकल ग्रेड के ऑक्सीजन कंसंट्रेटर का वजन (10 लीटर) कम से कम 25 किलो का होना चाहिए। लेकिन जो कंसंट्रेटर सप्लाई किए गए हैं उनकी क्षमता 2 लीटर की भी नहीं है। जब इन कंसंट्रेटरों से संक्रमित मरीज का ऑक्सीजन लेवल ही नहीं बढ़ रहा है, तो फिर ये किस काम के हैं। भदेल ने कहा कि ऐसी खरीद प्रदेशभर में हुई है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को चाहिए कि वे खरीदे गए सभी ऑक्सीजन कंसंट्रेटरों की कीमत और गुणवत्ता की जांच कराए। उन्होंने कहा कि यह विधायक कोष का दुरुपयोग है। सभी विधायकों ने अपने क्षेत्र के विकास कार्यों की राशि मेडिकल उपकरण खरीदने के लिए दी है। विधायक कोष की राशि का सदुपयोग होना चाहिए। 50 हजार और 66 हजार में खरीदे कंसंट्रेटर:भारतीय जैन संघटना के अजमेर चैप्टर के अध्यक्ष राकेश बरमेचा ने बताया कि उनकी संस्था ने कोरोना काल में 10 हजार ऑक्सीजन कंसंट्रेटर खरीदे हैं। 10 लीटर की क्षमता वाला एक कंसंट्रेटर 50 हजार रुपए में खरीदा गया है। इसी प्रकार एंटरप्रेन्योर आर्गेनाइजेशन से जुड़े कारोबारी एसपी सहगल ने बताया कि पांच लीटर की क्षमता वाला ऑक्सीजन कंसंट्रेटर 66 हजार रुपए में खरीदा है। संस्था ने 100 कंसंट्रेटर जयपुर स्थित राधा स्वामी सत्संग को दिए हैं।लोगों की जान बचाना पहली प्राथमिकता:अजमेर के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. केके सोनी ने विधायकों के आरोपों के जवाब में कहा कि यह ऑक्सीजन कंसंट्रेटर तब खरीदे गए, जब सरकारी अस्पतालों में भर्ती कोरोना संक्रमित मरीजों को ऑक्सीजन की सख्त जरूरत थी। विधायकों का भी दबाव रहा कि कंसंट्रेटर जल्दी से जल्दी खरीदे जाए। सरकार ने आरटीपीपी के तहत खरीद के लिए जो दिशा निर्देश दिए उसी के अनुरूप टेंडर आमंत्रित किए गए थे, हालांकि बिना टेंडर के भी खरीद की छूट थी, लेकिन उन्होंने सभी पचास कंसंट्रेटर टेंडर के जरिए खरीदे हैं। जिस फर्म की न्यूनतम बोली रही, उसे आदेश जारी किया गया। डॉक्टर सोनी ने कहा कि सरकार के लिए लोगों की जान बचाना पहली प्राथमिकता था। यदि कोई कंसंट्रेटर खराब है तो उसको ठीक करने की जिम्मेदारी सप्लाई करने वाली फर्म की है। फर्म से दो साल की वारंटी पर कंसंट्रेटर खरीदे गए हैं। उन्होंने माना कि कंसंट्रेटरों की कीमत में अंतर हो सकता है। क्योंकि ऐसे कंसंट्रेटर अलग अलग समय पर खरीदे गए हैं। उन्होंने बताया कि कोरोना वायरस की जब शुरुआत हुई थी, तब सर्जिकल मास्क 16 रुपए तक में खरीदा गया था। उन्होंने कहा कि अजमेर में सभी ऑक्सीजन कंसंट्रेटर जिला कलेक्टर की स्वीकृति के बाद खरीदे गए हैं। S.P.MITTAL BLOGGER (01-06-2021)Website- www.spmittal.inFacebook Page- www.facebook.com/SPMittalblogFollow me on Twitter- https://twitter.com/spmittalblogger?s=11Blog- spmittal.blogspot.comTo Add in WhatsApp Group- 9602016852To Conta
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