दिल्ली की जामा मस्जिद पर अहमद बुखारी का अवैध कब्जा। मुगल बादशाह बहादुर शाह जफर के प्रपौत्र प्रिंस याकूब हबीबुद्दीन तुसी ने कहा। अब ख्वाजा साहब की शरण में।
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4 अक्टूबर की रात को मेरी मुलाकात मुगल बादशाह रहे बहादुर शाह जफर के प्रपौत्र प्रिंस याकूब हबीबुद्दीन तुसी से हुई। दिल्ली की जामा मस्जिद का मालिकाना हक लेने के लिए प्रिंस तुसी अब अजमेर स्थित सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की शरण में आए हैं। प्रिंस तुसी यहां दरगाह के प्रमुख खादिम सैय्यद अब्दुल गनी गुर्देजी और उनके पुत्र जकरिया गुर्देजी, यासिर गुर्देजी के मेहमान हैं। गुर्देजी परिवार के ख्वाजा महल होटल में हुई। इस मुलाकात में प्रिंस तुसी ने बताया कि सबूतों के साथ 11 अक्टूबर को दिल्ली हाईकोर्ट में जामा मस्जिद को लेने के लिए जो वाद दायर किया जाएगा उसकी फाइल ख्वाजा साहब की मजार पर पेश की गई है। प्रिंस तुसी का मानना है कि यदि ख्वाजा साहब का करम हुआ तो जामा मस्जिद से शाही इमाम अहमद बुखारी बेदखल होंगे और मैं मुतव्व्ली के तौर पर बैठ जाऊंगा। प्रिंस तुसी के खादिम गनी गुर्देजी ने भी दुआ की प्रिंस तुसी को उनका अधिकार मिले।
प्रिंस तुसी ने बताया कि अंतिम मुगल बादशाह बहादुर शाह जफर का प्रपौत्र मनाते हुए ही महाराष्ट्र की सरकार ने औरंगजेब की मजार का मुतवल्ली नियुक्त कर रखा है। डीएनए टेस्ट में भी यह बात साबित हो गई है कि मैं ही बहादुर शाह जफर के परिवार से हंू। मेरे पूर्वज मुगल बादशाह शाहजहां ने ही अपने शासन काल में दिल्ली में जामा मस्जिद का निर्माण करवाया था। बुखारी परिवार के पूर्वजों को सिर्फ नमाज करवाने के लिए रखा गया था। किसी भी मस्जिद का मौलवी उसका मालिक नहीं हो सकता है। ऐसे में अहमद बुखारी का जामा मस्जिद पर कब्जा पूरी तरह अवैध है। अहमद बुखारी से कब्जा लेने के लिए मैंने सेंट्रल वक्फ कौंसिल के समक्ष अपना दावा प्रस्तुत किया। इस पर कौंसिल ने दिल्ली वक्फ बोर्ड को कब्जा दिलाने के निर्देश दिए हैं। लेकिन अहमद बुखारी की ताकत के आगे दिल्ली वक्फ बोर्ड असहाय है। इसलिए अब दिल्ली हाईकोर्ट में एक याचिका 11 अक्टूबर को दायर की जा रही है। इस याचिका में अहमद बुखारी को जामा मस्जिद से बेदखल करने की मांग की जाएगी।
गिरफ्तारी के आठ वारंट है अहमद बुखारी के खिलाफ:
प्रिंस तुसी ने बताया कि देश की विभिन्न अदालतों ने अहमद बुखारी के खिलाफ आठ गिरफ्तारी वारंट जारी कर रखे हैं।लेकिन किसी भी राज्य और दिल्ली पुलिस की इतनी हिम्मत नहीं है कि अहमद बुखारी को अदालत के आदेश पर गिरफ्तार कर सके। प्रिंस तुसी ने इस बात पर भी अफसोस जताया कि केन्द्र सरकार ने अहमद बुखारी को जैड प्लस की सुरक्षा दे रखी है। उन्होंने सवाल उठाया कि जब देश के कानून की नजर में बुखारी अपराधी हैं तो फिर इतनी सुरक्षा क्यों दी जा रही है? प्रिंस तुसी ने कहा कि जबसे उन्होंने जामा मस्जिद पर अपना हक जताया है, तब से उन्हें धमकियां मिल रही है। लेकिन वे किसी भी धमकी से डरने वाले नहीं है। जामा मस्जिद उनके पूर्वजों की है, जिसे वे लेकर ही रहेंगे। प्रिंस तुसी ने कहा कि उनके बारे में कोई भी व्यक्ति वेब लिंक https://m.facebook.com/Prince-of-Moghals-788326144533504/ पर जानकारी ले सकता है।
1637 से 1658 के बीच हुआ जामा मस्जिद का निर्माण
इतिहासकारों के अनुसार मुगल बादशाह शहाजहां ने ने अपने शासनकाल में 1637 से 1658 के बीच ही जामा मस्जिद का निर्माण करवाया। उसी समय मस्जिद पर नमाज पढऩे के लिए भी सैय्यद मौलवी को बुखारा से ही बुलवाया गया। सैय्यद मौलवी को इसलिए नियुक्त किया गया, क्योंकि मुगल बादशाह उसके पीछे खड़े होकर नमाज अदा करते थे।
(एस.पी. मित्तल) (5-10-2016)
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