जब राजनीतिक नजरिए से सदस्यों की नियुक्तियां होगी तो राजस्थान लोक सेवा आयोग की निष्पक्षता पर ऐसे ही सवाल उठंगे। मुख्य सचिव निरंजन आर्य से लेकर सुप्रसिद्ध कवि कुमार विश्वास तक की पत्नियों ने आरएएस सेलेक्ट किए हैं। गहलोत सरकार ने अध्यक्ष सहित जो चार सदस्य नियुक्ति किए हैं उनके बारे में जानना जरूरी है।
आरएएस यानी राजस्थान प्रशासनिक सेवा। इस सेवा में जिस युवक का एक बार चयन हो जाए फिर वह पीछे मुड़कर नहीं देखता है। ऐसी प्रतिष्ठित सेवा की भर्ती के लिए जब विगत दिनों राजस्थान लोक सेवा आयोग के अजमेर स्थित मुख्यालय पर इंटरव्यू हो रहे थे, तभी आयोग के एक अकाउंटेंट सज्जन सिंह गुर्जर को 23 लाख रुपए की रिश्वत लेते एसीबी ने गिरफ्तार कर लिया। यह रिश्वत आयोग की सदस्य राजकुमारी गुर्जर से इंटरव्यू में अच्छे अंक दिलवाने के लिए ली गई। अब परिणाम जारी होने के बाद प्रभावशाली नेताओं के रिश्तेदारों के चयन पर सवाल उठाए जा रहे हैं। इसमें सबसे ज्यादा मुद्दा सत्तारूढ़ कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष और राज्य के स्कूली शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा के पुत्र के साले गौरव और साली प्रभा के चयन को लेकर सवाल उठाए जा रहे हैं। डोटासरा के इन रिश्तेदारों को इंटरव्यू में 100 में से 80-80 अंक मिले हैं, जबकि आरएएस की लिखित परीक्षा में इन दोनों को करीब पचास प्रतिशत अंक ही मिले। आरोप है कि इन भाई-बहनन के चयन में प्रभाव काम में आया है। जबकि डोटासरा का कहना है कि मेरे दोनों रिश्तेदार काबिल हैं, इसलिए सलेक्शन हुआ है। आरोपों में कितनी सच्चाई है इसका पता तो जांच से ही लगेगा, लेकिन देश और राजस्थान की जनता को यह जानना चाहिए कि राजस्थान लोक सेवा आयोग में बैठकर कैसे कैसे लोग आरएएस, इंजीनियर, डॉक्टर, कॉलेज लेक्चर आदि का चयन करते हैं। आयोग में सदस्यों की नियुक्ति हर सरकार अपने राजनीतिक नजरिए से करती है। मौजूदा समय में आयोग के तीन सदस्य डॉ. शिवसिंग राठौड़, रामूराम रायका और राजकुमारी गुर्जर की नियुक्ति भाजपा सरकार की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने की थी। श्रीमती गुर्जर की कार्यशैली के बारे में अब एसीबी ज्यादा अच्छे तरीके से बता सकती है, मौजूदा कांग्रेस सरकार के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अध्यक्ष सहित जिन चार सदस्यों की नियुक्ति की, उनके बारे में भी लोगों को जानकारी होनी चाहिए। भूपेन्द्र यादव को आयोग का अध्यक्ष गत वर्ष अक्टूबर में तब बनाया गया, जब यादव राज्य के पुलिस महानिदेशक थे। यादव से डीजीपी के पद से इस्तीफा करवाया और उन्हें आयोग का अध्यक्ष बना दिया। इतनी जल्दबाजी क्यों की गई, इसका जवाब सीएम अशोक गहलोत ही दे सकते हैं। सब जानते हैं कि तीन चार आईपएस की वरिष्ठता को लांघ कर एमएल लाठर को डीजीपी बनाया गया। गहलोत का यह बदलाव राजनीतिक नजरिए से ही हुआ। यादव को डीजपी के पद से हटने पर इसलिए कोई एतराज नहीं हुआ, क्योंकि आयोग का अध्यक्ष बनने के बाद उन्हें डेढ़ दो वर्ष अधिक समय तक सरकारी सेवा में रहने का अवसर मिल गया। यह माना कि यादव की छवि साफ सुथरी है, लेकिन यादव पर गहलोत सरकार की मेहरबानी तो नजर आती ही है। गहलोत उस दल की सरकार ला रहे है जिसके मुखिया गोविंद सिंह डोटासरा हैं। गहलोत ने प्रदेश के मुख्य सचिव निरंजन आर्य की पत्नी श्रीमती संगीता आर्य को भी आयोग का सदस्य बनाया है। सब जानते हैं कि 6-7 आईएएस की वरिष्ठता को लांघ कर आर्य को मुख्य सचिव बनाया है। क्या यह सरकार और कांग्रेस पार्टी की आर्य के परिवार पर मेहरबानी नहीं है? इसी प्रकार सुप्रसिद्ध कवि कुमार विश्वास की पत्नी श्रीमती मंजू शर्मा को भी आयोग का सदस्य बनाया गया है। संगीता आर्य और मंजू शर्मा को किस मापदंड पर आयोग का सदस्य बनाया गया, इसका जवाब सीएम गहलोत और प्रदेशाध्यक्ष डोटासरा ही दे सकते है। लेकिन इतना जरूर है कि अशोक गहलोत की मेहरबानी के बाद कुमार विश्वास ने अपनी कविताओं और संबोधन में गांधी परिवार और कांग्रेस का मजाक उड़ाना बंद कर दिया है। गहलोत ने तीसरे सदस्य के तौर पर स्वतंत्र पत्रकार जसवंत राठी को आयोग का सदस्य नियुक्ति किया है। कैंसर रोग को मात देने के बाद राठी ने एक पुस्तक लिखी थी। इस पुस्तक का शीर्षक है, मेरा युद्ध कैंसर के विरुद्ध। इस पुस्तक से प्रभावित होकर ही गहलोत ने राठी को आयोग में नियुक्ति दे दी। चौथी नियुक्ति बाबूलाल कटारा के तौर पर है। कटारा डूंगरपुर स्थित माणिक्यलाल वर्मा आदिम जाति शोध संस्थान के निदेशक रहे हैं। इस नियुक्ति के पीछे शायद आदिवासी क्षेत्रों के युवाओं के हितों का ध्यान रखना होगा। आदिवासी क्षेत्रों के युवाओं का कितना ध्यान रखा है इसका पता आरएस के परिणाम से लग सकता है। यहां यह उल्लेखनीय है कि आरएएस के 1051 पदों के लिए इंटरव्यू में दो हजार से ज्यादा अभ्यर्थियों को आमंत्रित किया गया था। इन दो हजार अभ्यर्थियों के इंटरव्यू लेने के लिए प्रतिदिन चार चार बोर्ड बनाए गए। परंपरा के अनुसार बोर्ड का चेयरमैन आयोग के सदस्य को ही बनाया जाता है। यानी संगीत आर्य से लेकर मंजू शर्मा तक ने आरएएस के चयन का काम किया। उम्मीद है कि सभी सदस्यों ने पूर्ण ईमानदारी और निष्पक्षता के साथ इंटरव्यू में अभ्यर्थियों को अंक दिए होंगे। S.P.MITTAL BLOGGER (22-07-2021)Website- www.spmittal.inFacebook Page- www.facebook.com/SPMittalblogFollow me on Twitter- https://twitter.com/spmittalblogger?s=11Blog- spmittal.blogspot.comTo Add in WhatsApp Group- 9799123137To Contact- 9829071511