जिन अभिनेताओं और तिकड़ लगाकर अवार्ड प्राप्त करने वालों को भारत में डर लगता है उन्हें 26 अगस्त को काबुल में हुए आत्मघाती धमाकों से सबक लेना चाहिए। आतंकवाद के पाइप में भी आतंकवाद घुसा है। भारत के लिए इन हालातों को समझना जरूरी है।
अफगानिस्तान में कट्टरपंथी समर्थक तालिबान के कब्जे के बाद जो हालात उत्पन्न हो रहे हैं उनका सीधा असर भविष्य में भारत पर पड़ेगा। सब जानते हैं कि पाकिस्तान द्वारा कब्जाए गए कश्मीर की सीमा से अफगानिस्तान की सीमा लगी हुई है। तालिबान के लड़ाकों ने पाकिस्तान और पाक के कब्जे वाले कश्मीर में तालिबानी झंडे लहरा दिए हैं। अब तक जिस तालिबान को ही खूंखार माना जा रहा था उससे आगे अब इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक एंड द लेवैंट खुरासान प्रांत (आईसिल केपी) जैसा आतंकी संगठन निकल आया है। तालिबान को सबक सिखाने के लिए ही आईसिलकेपी ने 26 अगस्त को काबुल में दो आत्मघाती धमाके करवाए। इसमें अमरीकी सेना के 10 कमांडो सहित 60 से भी ज्यादा अफगानी नागरिक मारे गए। सवाल उठता है कि जब अफगानिस्तान पर मुस्लिम संगठन तालिबान का कब्जा हो गया है तो फिर आईसिल-केपी जैसा संगठन बम धमाके क्यों कर रहा है? जानकारों की मानें तो आईसिल-केपी, तालिबान से भी ज्यादा कट्टरपंथी संगठन है। आईसिल-केपी के समर्थकों की संख्या बहुत अधिक है। अफगानिस्तान पर जब तालिबान का कब्जा हुआ तो भारत में भी कुछ संगठनों के प्रतिनिधियों ने तालिबान का खुलकर समर्थन किया। हो सकता है कि आने वाले दिनों में आईसिल-केपी जैसे आतंकी संगठन के समर्थन में भी सामने आ जाए। अफगानिस्तान में अब आतंकी संगठनों में ही कब्जे की होड़ मच गई है। इन हालातों में अफगानिस्तान के आम नागरिक का क्या हाल होगा यह ऊपर वाला ही जानता है। लेकिन काबुल और अफगानिस्तान के ताजा हालातों से भारत में उन लोगों को सबक लेना चाहिए, जिन्हें यहां रहने में डर लगता है। ऐसे डरने वालों में फिल्म अभिनेता और अवार्ड प्राप्त करने वाले बुद्धिजीवी शामिल हैं। ऐसे लोग सामान्य आपराधिक घटनाओं को आगे रखकर भारत का माहौल खराब करते हैं। भारत एक लोकतांत्रिक और धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र हैं। यहाँ सभी धर्मों के लोगों को अपने अपने धर्म के अनुरूप रहने की स्वतंत्रता हे। यदि कोई व्यक्ति अपराध करता है तो उसे सजा देने के लिए कानून बना हुआ है। जो लोग छोटी छोटी घटनाओं को लेकर भारत में डर के माहौल को अनुभव करते हैं। उन्हें अफगानिस्तान के ताजा हालात देखने चाहिए। अफगानिस्तान तो मुस्लिम राष्ट्र है। सवाल उठता है कि आखिर अफगानिस्तान में कौन किसको मार रहा है। आज पाकिस्तान भले ही खुश हो ले, लेकिन जो हाल अभी अफगानिस्तान का है, वही हाल पाकिस्तान का भी होगा। पाकिस्तान में भी तालिबान, अलकायदा, आईसिल-केपी जैसे संगठनों के समर्थकों की भरमार है। लेकिन पाकिस्तान के हालात बिगड़ते हैं तो इसका असर भी भारत पर पड़ेगा। मौजूदा समय में भारत के हालात बहुत अच्छे हैं और अंतर्राष्ट्रीय मंच पर भारत का दबदबा है। भारत के नागरिकों को जो स्वतंत्रता मिली है उसका ख्याल सबको रखना चाहिए। यदि आईसिल-केपी और तालिबान जैसे कट्टरपंथी संगठन भारत में सक्रिय होते हैं तो इसका खामियाजा सभी धर्मों के लोगों को उठाना पड़ेगा। 26 अगस्त को काबुल में जो बम धमाका हुआ उसमें मुस्लिम नागरिकों की संख्या ज्यादा है। भारत में सूफीवाद का भी महत्व है और इस सूफीवाद में हिन्दू समुदाय भी शामिल है। सूफीवाद की परंपरा के अंतर्गत ही दरगाहों में हिन्दू समुदाय के लोग भी जियारत के लिए जाते हैं। कट्टरपंथी सोच में दूसरे धर्मों का कितना सम्मान होता है, इसके बारे में आईसिल केपी और तालिबान जैसे संगठनों के प्रतिनिधियों से ली जा सकती है। S.P.MITTAL BLOGGER (27-08-2021)Website- www.spmittal.inFacebook Page- www.facebook.com/SPMittalblogFollow me on Twitter- https://twitter.com/spmittalblogger?s=11Blog- spmittal.blogspot.comTo Add in WhatsApp Group- 9799123137To Contact- 9829071511