कश्मीर के श्रीनगर के एनआईटी कैम्पस में गत 1 अप्रैल को गैर कश्मीरी छात्रों ने तिरंगा फहराने की हिमाकत की, उसका खामियाजा इन छात्रों को उठाना पड़ा है। श्रीनगर और एनआईटी कैम्पस के हालातों को देखते हुए गैर कश्मीरी छात्रों को आखिर बाहर आना ही पड़ा। इस ताजा घटना से कश्मीर और श्रीनगर की घटनाओं का अंदाजा लगाया जा सकता है। श्रीनगर में आए दिन आतंकी संगठन आईएस और पाकिस्तान के झंडे फराहए जाते हैं। कश्मीरी पुलिस ने आज तक भी उन व्यक्तियों के विरुद्ध कोई कार्यवाही नहीं की जो देश विरोधी गतिविधियों में भाग ले रहे हैं। वहीं जिन छात्रों ने देश भक्ति दिखाते हुए तिरंगा फहराया, उल्टे उन्हें ही श्रीनगर छोडऩा पड़ा है। दिल्ली लौटने के बाद एनआईटी के छात्रों ने मीडिया को बताया कि कश्मीर की पुलिस पूरी तरह कश्मीर के लोगों के ही साथ है। एक अप्रैल को जब तिरंगा फहराया गया, तब पुलिस ने बेरहमी से पिटाई की। पुलिस के सामने ही कश्मीरी लोगों ने छात्राओं को जान से मारने की धमकी दी। ऐसे दहशत भरे माहौल में श्रीनगर में रहा नहीं जा सकता। श्रीनगर में हालात इतने खराब है कि हम लोग कैम्पस से बाहर नहीं निकल सकते। हालांकि कैम्पस पर सीआरपीएफ को भी तैनात किया गया, लेकिन कश्मीर के हालातों पर फिर भी कोई नियंत्रण नहीं है। विद्यार्थियों ने कहा कि एनआईटी कैम्पस को श्रीनगर से जम्मू में शिफ्ट किया जाए। 12 अप्रैल को एनआईटी कैम्पस के छात्रों ने दिल्ली में तिरंगे झंडे लहराए।
पूरा देश जानता है कि पूर्व में चार लाख हिन्दुओं को पीट-पीटकर कश्मीर से भगा दिया। पहले कश्मीर को हिन्दू विहीन बनाया गया और अब केन्द्रीय शिक्षण संस्थाओं में भी गैर कश्मीरी छात्रों को पढऩे नहीं दिया जा रहा है। भाजपा जब विपक्ष में थी तो भगाए गए हिन्दुओं को पुन:बसाने को लेकर हंगामा करती थी, लेकिन अब जब भाजपा अपने दम पर केन्द्र में सरकार चला रही है और कश्मीर में गठबंधन की सरकार भी शामिल है, तो श्रीनगर से गैर कश्मीरी छात्रों को भागना पड़ रहा है। सवाल राजनीतिक का भी नहीं है। सवाल कश्मीर को अखंड भारत में बनाए रखने का है। जब गैर कश्मीरी छात्र श्रीनगर में पढ़ भी नहीं सकते, तो फिर कश्मीर की स्थिति के बारे में क्या कहा जा सकता है? गंभीर बात तो यह है कि कश्मीर की पुलिस उनतत्वों के साथ मिली हुई है जो आईएस और पाकिस्तान के झंडे लहराते हैं। जो लोग देश में असहिष्णुता की बात को लेकर अवार्ड लौटा रहे थे, उन्हें अब ये बताना चाहिए कि गैर कश्मीरी छात्र श्रीनगर में क्यों नहीं पढ़ पा रहे? क्या इस मुद्दे पर कोई अपना अवार्ड लौटाएगा?
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(एस.पी. मित्तल) (12-04-2016)
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