अब नवाब मलिक ने लगाए महाराष्ट्र के पूर्व सीएम देवेंद्र फडणवीस पर अंडरवल्र्उ के साथ संबंध के आरोप। क्या सत्ता का चेहरा इतना काला होता है? लोकतंत्र की दुहाई देकर कैसे कैसे लोग सरकार चला रहे हैं। क्या अब भारत में लोकतंत्र की जरूरत है?
10 नवंबर को महाराष्ट्र के कैबिनेट मंत्री नवाब मलिक ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की। इसमें भाजपा के वरिष्ठ नेता और महाराष्ट्र के पूर्व सीएम देवेंद्र फडणवीस पर अंडरवल्र्ड के लोगों से संबंध होने का आरोप लगाया। मलिक ने कहा कि नोटबंदी के बाद जब पूरे देश में जाली नोट पकड़े जा रहे थे, तब महाराष्ट्र में जाली नोट का एक भी प्रकरण सामने नहीं आया। 8 अक्टूबर 2017 को पुणे में 14 करोड़ 56 लाख रुपए के जाली नोट पकड़े गए। इसमें इमरान आलम शेख और रियाज शेख को गिरफ्तार भी किया गया। लेकिन तब फडणवीस ने मुख्यमंत्री पद का दुरुपयोग कर मात्र 8 लाख 80 हजार रुपए के जाली नोट का ही मामला बनवाया। आरोपियों को भी जल्द ही जमानत मिल गई। हद तो तब हो गई जब जाली नोट के आरोपी इमरान आलम शेख के भाई को महाराष्ट्र कंस्ट्रक्शन बोर्ड का अध्यक्ष बना दिया गया। सब जानते हैं कि भारत के जाली नोट पाकिस्तान में तैयार होते हैं। मलिक ने आरोप लगाया कि जाली नोट के कारोबार से जुड़े लोगों से फडणवीस के संबंध हैं। गत 29 अक्टूबर को रियाज को मुंबई एयरपोर्ट पर जाली पासपोर्ट के साथ पकड़ा गया। रियाज दो दिन बाद ही छूट गया। रियाज अक्सर फडणवीस के साथ नजर आता है। फडणवीस को बताना चाहिए कि रियाज किस भाजपा नेता की सिफारिश से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिला। मलिक ने यह भी आरोप लगाया कि हैद आजम नाम के व्यक्ति पर मुंबई में बांग्लादेशियों को बसाने के आरोप हैं। हैदर की दूसरी पत्नी भी बांग्लादेश की है। लेकिन इसके बावजूद भी हैदर आलम को फडणवीस ने मुख्यमंत्री रहते हुए महाराष्ट्र के मौलाना आजाद कारपोरेशन का चेयरमैन बना दिया। इतना ही नहीं पुणे के गुंड मुन्ना यादव को कंस्ट्रक्शन वर्कर बोर्ड का अध्यक्ष बनाया। नवाब मलिक ने ये सब आरोप तब लगाए हैं, जब एक दिन पहले 9 नवंबर को फडणवीस ने आरोप लगाया था कि नवाब मलिक के बेटे के मालिकाना हक वाली कंपनी ने मुंबई के कुर्ला क्षेत्र में शाह अली खान से दो एकड़ जमीन मात्र 20 लाख रुपए में खरीदी। जबकि शाह अली खान को अदालत ने मुंबई बम ब्लास्ट का मुल्जिम माना। फडणवीस ने सवाल उठाया कि मुंबई के गुनाहगारों से मलिक के परिवार ने सस्ती जमीन क्यों खरीदी? हो सकता है कि अब फडणवीस भी नवाब मलिक के आरोपों का जवाब दें। लेकिन दोनों ने एक दूसरे पर गंभीर आरोप लगाए हैं। इन आरोपों को देखते हुए सवाल उठता है कि क्या सत्ता का चेहरा इतना काला होता है? यदि अंडरवर्ल्ड से संबंध रखने वाले लोग सत्ता में इस तरह भागीदारी निभाएंगे तो फिर देश की सुरक्षा का क्या होगा? फडणवीस हों या फिर नवाब मलिक, दोनों ही लोकतंत्र के नाम पर सत्ता हथियाते हैं। जब लोकतंत्र के जरिए ऐसे ऐसे नेता चुने जाएंगे तो फिर देश का क्या होगा? एक और हमारे सैनिक सीमा पर देश की खातिर अपनी जान न्योछावर करने को तैयार रहते हैं तो वहीं देश के राजनेता दुश्मनों से दोस्ताना दिखा रहे हैं। यदि नवाब मलिक ने पाकिस्तान में बैठे दाऊद इब्राहिम के साथी और मुंबई बम धमाकों को अंजाम देने वाले शाह अली खान से कौड़ियों के भाव जमीन खरीदी है तो फिर महाराष्ट्र की मौजूदा सरकार की स्थिति का अंदाजा लगाया जा सकता है। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या भारत में अब लोकतंत्र की जरूरत है? इसे लोकतंत्र की मजबूरी ही कहा जाएगा कि बाला साहब ठाकरे ने जिन ताकतों के साथ संघर्ष किया उन्हीं ताकतों के समर्थन से उनके पुत्र उद्धव ठाकरे शिवसेना की सरकार चला रहे हैं। S.P.MITTAL BLOGGER (10-11-2021)Website- www.spmittal.inFacebook Page- www.facebook.com/SPMittalblogFollow me on Twitter- https://twitter.com/spmittalblogger?s=11Blog- spmittal.blogspot.comTo Add in WhatsApp Group- 9799123137To Contact- 9829071511