मंदिर के मलबे से बनी इमारत मस्जिद कैसे हो सकती है? ऐसी इमारत में नमाज भी नहीं पढ़ी जा सकती है। क्या बनारस की ज्ञानवापी मस्जिद का सच सामने आ पाएगा? अब आगरा के ताजमहल परिसर में बंद पड़े 22 कमरों को खुलवाने का मामला उठा।
सब जानते हैं कि भारत की सनातन संस्कृति में बनारस की पहचान बाबा विश्वनाथ के मंदिर से रही है। इतिहास गवाह है कि तानाशाह मुगल शासक औरंगजेब ने अपने हिन्दू विरोधी रुख के कारण ही बाबा विश्वनाथ के मंदिर को तोड़ा था। तभी मंदिर परिसर में एक मस्जिद भी बनाई गई। आमतौर पर मस्जिदों के नाम इस्लाम धर्म के अनुरूप ही होते हैं, लेकिन बनारस की मस्जिद को आज भी ज्ञानवापी मस्जिद के तौर पर जाना जाता है। इतिहास के जानकारों के अनुसार चूंकि मस्जिद की इमारत बाबा विश्वनाथ मंदिर परिसर में ही बनी, इसलिए मस्जिद का नाम हिन्दू धर्म से जुड़ गया। इतिहासकारों के अनुसार 1664 में जब औरंगजेब ने बनारस में मंदिर को तोड़ा, तभी उसके मलबे से इस्लाम धर्म की प्रतीक वाली इमारत बनवाई। बाद इसी इमारत में नमाज पढ़ी जाने लगी। सवाल उठता है कि जो इमारत मंदिर के मलबे से बनी हो, उसे क्या मस्जिद माना जा सकता है? क्या ऐसी मस्जिद में नमाज भी पढ़ी जा सकती है? इस्लाम के जानकारों का स्पष्ट कहना है कि यदि मस्जिद की इमारत में किसी पूजा स्थल की सामग्री काम में आई है तो वह इमारत मस्जिद नहीं हो सकती है। ऐसी मस्जिद में नमाज भी नहीं पढ़ी जा सकती है। असल में बनारस की ज्ञानवापी मस्जिद का मामला अब इसलिए उठा है कि अदालत ने मस्जिद परिसर का सर्वे करने के आदेश दिए है। इसके लिए अदालत ने अपना कमिश्नर भी नियुक्त किया है। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि मस्जिद की इमारत में आज भी हिन्दू देवी देवताओं के चिन्ह हैं तथा मस्जिद के नीचे भगवान शिव का प्रतीक ज्योर्तिलिंग है। याचिकाकर्ताओं के दावे में कितनी सच्चाई है, वह तो सर्वे की रिपोर्ट के बाद ही पता चलेगा, लेकिन फिलहाल ज्ञानवापी मस्जिद की इंतजामिया कमेटी संपूर्ण मस्जिद परिसर के सर्वे का विरोध कर रही है। यहां तक कि अदालत द्वारा नियुक्त कमिश्नर पर भी भेदभाव का आरोप लगाए हैं। मस्जिद से जुड़े कुछ लोग नहीं चाहते कि सच सामने आएं, क्योंकि यदि मस्जिद की इमारत में हिन्दू धर्म के प्रतीक चिन्ह मिलते हैं तो इस्लाम धर्म के मुताबिक मस्जिद के दावे को अपने आप छोड़ना पड़ेगा। कोई भी मुसलमान उस मस्जिद में नमाज पढ़ने नहीं जाएगा, जिसकी इमारत किसी मंदिर की सामग्री से बनी है।
ताजमहल के 22 कमरे:
विश्व के सात अजूबों में शामिल आगरा के ताजमहल के बंद पड़े 22 कमरों को खुलवाने के लिए भी अब अदालत में याचिका लगाई गई है। याचिका में कहा गया है कि इन कमरों में हिन्दू देवी देवताओं की ऐतिहासिक प्रतिमाएं हैं। ताजमहल के निर्माण के समय ऐसी प्रतिमाएं इसी स्थल पर स्थापित थीं। तब प्रतिमाओं को कमरों में रख दिया। अब ऐसी प्रतिमाओं को कमरों से बाहर निकालने की मांग की जा रही है। मालूम हो कि पांचवें मुगल शासक शाहजहां ने 1631 में अपनी बेगम मुमताज के लिए ताजमहल का निर्माण करवाया था। यह बात अलग है कि बाद में शाहजहां को खुद कैद में रहना पड़ा।
S.P.MITTAL BLOGGER (09-05-2022)Website- www.spmittal.inFacebook Page- www.facebook.com/SPMittalblogFollow me on Twitter- https://twitter.com/spmittalblogger?s=11Blog- spmittal.blogspot.comTo Add in WhatsApp Group- 9929383123To Contact- 9829071511