गांधी परिवार को निकाल दिया जाएगा तो कांग्रेस का वजूद ही खत्म हो जाएगा। राहुल गांधी ही है कांग्रेस के असली अध्यक्ष। राजस्थान के उदयपुर में कांग्रेस का तीन दिवसीय चिंतन शिविर। गांधी परिवार को राजस्थान के मुख्यमंत्री गहलोत करवा रहे हैं सुखद अहसास।
देश भर में लगातार चुनाव हार रही कांग्रेस का राष्ट्रीय चिंतन शिविर 13 मई से राजस्थान के उदयपुर में शुरू हो गया। 15 मई तक चलने वाले शिविर में कांग्रेस की चिंताजनक स्थिति से लेकर केंद्र की मोदी सरकार की नीतियों पर मंथन होगा। शिविर को लेकर मीडिया में बार बार कहा जा रहा है कि राहुल गांधी को फिर से अध्यक्ष बना दिया जाएगा। मीडिया के कयास अपनी जगह है, लेकिन देखा जाए तो राहुल गांधी ही कांग्रेस के असली अध्यक्ष हैं। मौजूदा समय में राहुल गांधी की माताजी सोनिया गांधी ही पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं। यानी अध्यक्ष का पद गांधी परिवार के पास ही है। यदि सोनिया गांधी ही अध्यक्ष रहती हें, तब भी पार्टी के महत्वपूर्ण निर्णय राहुल गांधी ही लेते हैं। ऐसे में अध्यक्ष पद को लेकर कांग्रेस के संचालन में कोई फर्क नहीं पड़ता है। गांधी परिवार के अलावा किसी अन्य को अध्यक्ष बनाने का मुद्दा चिंतन शिविर में है ही नहीं। कांग्रेस के कार्यकर्ताओं के लिए भी अध्यक्ष पद का मुद्दा कोई मायने नहीं रखता है। लेकिन यदि गांधी परिवार को बाहर कर दिया जाएगा तो कांग्रेस का वजूद ही खत्म हो जाएगा। मौजूदा समय में देश में सिर्फ दो राज्य राजस्थान और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार हैं। उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्य में कांग्रेस के मात्र दो विधायक हैं, जबकि पश्चिम बंगाल में एक भी विधायक नहीं है। लोकसभा में 545 में से मात्र 52 सांसद हैं। यह स्थिति तब है, जब कांग्रेस का नेतृत्व गांधी परिवार कर रहा है। यदि गांधी परिवार बाहर निकल जाए तो कांग्रेस की यह स्थिति भी नहीं रहेगी। असल में कांग्रेस के वोट क्षेत्रीय दलों ने हड़प लिए हैं और राष्ट्रीय स्तर पर कांग्रेस अपनी पहचान खोती जा रही है। कांग्रेस भले ही कितना भी मंथन कर लें, लेकिन जब तक अपनी तुष्टीकरण की नीति नहीं बदलेगी, तब फायदा नहीं होगा। कांग्रेस की तुष्टीकरण की नीति का फायदा चुनावों में क्षेत्रीय दल उठा कर ले जाते हैं और कांग्रेस देखती रह जाती है। गुजरात में इसी वर्ष विधानसभा के चुनाव होने हैं। यदि कांग्रेस की यही नीति रही तो आम आदमी पार्टी ही कांग्रेस को पीछे धकेल देगी। आप ने हाल में पंजाब में कांग्रेस से सत्ता छीनी है। कांग्रेस को इस बात पर मंथन करना चाहिए कि क्षेत्रीय दलों से कैसे मुकाबला किया जाए। कांग्रेस को भाजपा से ज्यादा बंगाल में टीएमसी, उत्तर प्रदेश में सपा, पंजाब में आम आदमी पार्टी तेलंगाना में टीआरएस, आंध्र में जगनमोहन रेड्डी, उड़ीसा में नवीन पटनायक, कर्नाटक में कुमार स्वामी, बिहार में लालू प्रसाद यादव से खतरा है। इन राज्यों में कांग्रेस को वोट इन्हीं पार्टियों और नेताओं ने हड़पा है। यदि कांग्रेस अभी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और भाजपा को कोसने का काम करती रही तो अगले वर्ष राजस्थान और छत्तीसगढ़ भी हाथ से निकल जाएंगे। तब 2024 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस का और बुरा हाल होगा। कांग्रेस को राष्ट्रीय स्तर पर मंथन करने के बजाए क्षेत्रीय स्तर पर मंथन करना चाहिए। कांग्रेस जब राज्यों में मजबूत होगी, तभी भाजपा से मुकाबला कर सकती हैं। गंभीर बात तो यह है कि क्षेत्रीय पार्टियां ही विपक्ष का नेतृत्व कांग्रेस को देने तैयार नहीं है। उदयपुर के चिंतन शिविर में मोदी सरकार की आलोचना करने से कांग्रेस को कोई फायदा होने वाला नहीं है। कांग्रेस ऐसी आलोचना 2014 से करती आ रही है।
गांधी परिवार को सुखद अनुभूति:
कांग्रेस पार्टी की स्थिति चाहे कितनी भी खराब हो, लेकिन राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत उदयपुर में गांधी परिवार सुखद अहसास करवा रहे हैं। गांधी परिवार और कांग्रेस के राष्ट्रीय नेताओं को शानदार होटलों में ठहराया गया है। गांधी परिवार की चाकरी में गहलोत की पूरी सरकार लगी हुई है। चिंतन शिविर की तैयारियों में सीनियर आईएएस और आईपीएस लगे हुए हैं। शिविर के पहले दिन के स्वागत सत्कार से ही गांधी परिवार और कांग्रेस के नेता गदगद हैं। शिविर से दो तीन दिन पहले हुई कांग्रेस की वर्किंग कमेटी की बैठक में सोनिया गांधी ने कहा था कि यह समय पार्टी का कर्ज उतारने वाला है। इसमें कोई दो राय नहीं कि अशोक गहलोत वाकई कर्ज उतार रहे हैं। जब कांग्रेस अपने सबसे बुरे दौर से गुजर रही है, तब झीलों की नगरी उदयपुर में गांधी परिवार की शानदार आवभगत हो रही है। इस आवभगत से नि:संदेह गांधी परिवार को थोड़ा सुकून मिलेगा। अशोक गहलोत सार्वजनिक तौर पर स्वीकार भी करते हैं कि गांधी परिवार के आशीर्वाद से ही वे तीसरी बार राजस्थान के मुख्यमंत्री बने हैं। राजस्थान में मुख्यमंत्री पद पर दावा चाहे किसी का भी हो, लेकिन गांधी परिवार अशोक गहलोत को ही प्राथमिकता दी है। गांधी परिवार के प्रति सेवा भाव का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि 13 मई को सुबह जब राहुल गांधी ट्रेन से पहुंचे तो गहलोत ने रेलवे स्टेशन पर ही स्वागत किया। गहलोत राहुल गांधी के साथ बस में भी सवार रहे। इसी प्रकार दोपहर को सोनिया गांधी के स्वागत के लिए गहलोत डबोक एयरपोर्ट पर भी उपस्थित रहे। एयरपोर्ट से होटल तक गहलोत सोनिया गांधी के साथ ही रहे।
S.P.MITTAL BLOGGER (13-05-2022)
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