काश! सीएम अशोक गहलोत किशनगढ़ एयरपोर्ट से हवाई सेवाओं के लिए भी लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला से बात करते।
2 दिसंबर को राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत कोटा के दौरे पर थे। कोटा के विकास में रुचि दिखाते हुए गहलोत ने फोन पर कोटा के सांसद और लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला से फोन पर बात की। गहलोत ने बिरला से कहा कि वे अपने प्रभाव का इस्तेमाल करते हुए कोटा में हवाई अड्डे का निर्माण करवाएं। राज्य सरकार ने हवाई अड्डे के लिए भूमि भी आवंटित कर दी है। गहलोत का बिरला से फोन पर बात करना यह बताता है कि उन्हें कोटा में हवाई अड्डे को लेकर चिंता है। गहलोत के एक वर्ष के कार्यकाल में कोटा में हवाई अड्डे का निर्माण शुरू होगा या नहीं, यह तो ओम बिरला ही जाने, लेकिन अच्छा होता कि अशोक गहलोत अजमेर के किशनगढ़ एयरपोर्ट पर हवाई सेवाओं के लिए भी लोकसभा अध्यक्ष बिरला से बात करते। किशनगढ़ में तो हवाई अड्डा बना हुआ है, लेकिन सूरत और इंदौर को छोड़ कर किसी भी शहर के लिए हवाई सेवा नहीं है। पूर्व में इस हवाई अड्डे से दिल्ली, मुंबई, हैदराबाद, अहमदाबाद आदि के लिए नियमित हवाई सेवा थीं, लेकिन केंद्र सरकार की वायबिलिटी गैप फंड (बीजीएफ) बंद हो जाने से अधिकांश हवाई सेवाएं भी बंद हो गई। ऐसा नहीं कि किशनगढ़ एयरपोर्ट पर यात्री भार नहीं था। सभी उड़ाने फुल थीं, लेकिन फिर भी लालची कंपनियों ने उड़ानों को बंद कर दिया। ऐेसे लालची कंपनियां यात्रियों से भी कमा रही थी और केंद्र की बीजीएफ स्कीम का भी फायदा ले रही थी। केंद्र सरकार हवाई अड्डे के शुरुआती दौर में बीजीएफ का लाभ देती है, लेकिन जब यात्रियों की संख्या बढ़ जाती है, तब इस फंड को बंद कर दिया जाता है। यानी अजमेर में हवाई अड्डा तो हैं, लेकिन हवाई सेवाएं नहीं है। यदि कोचिंग सेंटरों के कारण कोटा में हवाई अड्डा जरूरी है तो अजमेर में भी पुष्कर तीर्थ और ख्वाजा साहब की दरगाह की वजह से हजारों जायरीन और श्रद्धालु रोजाना आते हैं। अशोक गहलोत भले ही कोटा में हवाई अड्डा बनवाए, लेकिन हवाई अड्डों के साथ साथ हवाई सेवाएं होना भी जरूरी है। सिर्फ हवाई अड्डा होने से कुछ नहीं होता। अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर हवाई अड्डा तो किशनगढ़ में भी बना हुआ है, लेकिन हवाई सेवाएं नहीं होने के कारण यह हवाई अड्डा बंद होने के कगार पर है। हवाई सेवाएं शुरू करने के लिए अजमेर के सांसद भागीरथ चौधरी ने हवाई सेवाओं के लिए केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया को कई पत्र लिखे हैं, लेकिन चौधरी के पत्रों गंभीरता से नहीं लिया गया है।
S.P.MITTAL BLOGGER (03-12-2022)
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