भाजपा के संदर्भ में कुत्ता शब्द का इस्तेमाल करने के बाद भी मल्लिकार्जुन खड़गे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ लंच कर रहे है। लेकिन फिर भी राहुल गांधी को देश में नफरत और डर का माहौल लगता है। खडके का बयान स्वतंत्रता सेनानियों का अपमान भी हैं।
19 दिसम्बर को राजस्थान के अलवर मे एक जनसभा को सम्बोधित करते हुए कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने केन्द्र की सत्तारूढ़ भाजपा के संदर्भ में कुत्ता शब्द का इस्तेमाल किया। खडगे ने कहा कि कांग्रेस के नेतृत्व में भारत को आजादी मिली और बाद में देश के खातिर श्रीमति इंदिरा गांधी और राजीव गांधी ने बलिदान दिया, जबकि भाजपा का कुत्ता भी नहीं मरा। खड़गे कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष के साथ साथ राज्य सभा में कांग्रेस संसदीय दल के नेता भी हैं। उनसे उम्मीद की जाती है कि भाषा का संयम बरतें, लेकिन ऐसा लगता है कि गांधी परिवार को खुश करने के लिए खड़गे भाषा की मर्यादा भी तोड़ रहे है। खडगे ने जिस सभा में भाजपा के संदर्भ में कुत्ता शब्द का इस्तेमाल किया, उसमें राहुल गांधी भी उपस्थित थे। इसी सभा में राहुल गांधी ने भाजपा और प्रधानमंत्री मोदी पर देश में नफरत और डर का माहौल बनाने का आरोप लगाया। लेकिन राहुल के इस बयान के अगले ही दिन संसद भवन में खड़गे ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ बैठ कर दोपहर का लंच किया। मोदी के साथ खड़गे वे हर प्रसन्न मुद्रा में नजर आए। यदि राहुल के अनुरूप नफरत और डर का माहौल होता तो मल्लिकार्जुन खड़गे पीएम मोदी के साथ लंच करते नजर नहीं आते। क्या यह देश में अभिव्यक्ति की आजादी का उदाहरण नहीं है कि जिस नेता ने कुत्ता शब्द का इस्तेमाल किया, वही नेता अगले दिन प्रधानमंत्री के साथ लंच कर रहा हैं। राहुल गांधी माने या नहीं, लेकिन लोकतांत्रिक व्यवस्था में नफरत और डर का कोई माहौल नहीं हैं। उल्टे खड़गे ने देश के स्वतंत्रता सेनानियों का अपमान किया है। खड़गे ने आजादी का श्रेय पूरी तरह कांग्रेस को दिया, जबकि इतिहास गवाह है कि कांग्रेस की स्थापना से पहले ही संथाल आदिवासियों ने अंग्रेजों के खिलाफ आंदोलन शुरू कर दिया था। इतना ही नहीं अंग्रेजों भारत छोड़ो का नारा भी पहली बार संथाल आदिवासियों ने ही लगाया था। चूंकि आजादी के बाद इतिहास को कांग्रेस और वामपंथी विचारधारा के लेखकों ने लिखा, इसलिए कांग्रेस की स्थापना से पूर्व स्वतंत्रता आंदोलन का उल्लेख नही किया। जहां तक मल्लिकार्जुन खड़गे का सवाल हैं तो उनकी गांधी परिवार की मिजाज पोशी ही हैं सब जानते है कि गांधी परिवार की मेहरबानी से ही खड़गे अभी तक राज्यसभा में कांग्रेस संसदीय दल के नेता बने हुए हैं। इस नाते उन्हें प्रतिपक्ष के नेता का पद भी मिला हुआ है। यानी एक व्यक्ति एक पद का सिद्धांत खड़गे पर लागू नहीं किया जा रहा। जबकि कांग्रेस का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने पर खड़गे को प्रतिपक्ष के नेता का पद छोडना चाहिए था। लेकिन इसे गांधी परिवार की मिजाजपोशी करना ही कहा जाएगा कि खड़गे के पास दोनों पद है। सब जानते हैं कि खड़गे 2014 से 2019 तक लोकसभा में भी कांग्रेस संसदीय दल के नेता थे। लेकिन खड़गे 2019 में लोकसभा का चुनाव हार गए। गांधी परिवार की पसंद होने के कारण खड़गे को राज्यसभा का सांसद बनाया गया था और गुलाम नबी आजाद जैसे वरिष्ठ कांग्रेसी नेता को हटा कर खड़गे को राज्यसभा में भी कांग्रेस संसदीय दल का नेता बनाया गया। यहां पर उल्लेखनीय है कि लोकसभा और राज्यसभा में प्रतिपक्ष के नेता को कैबिनेट मंत्री की सुविधाएं मिलती हैं।