रंधावा में दम हो तो अशोक गहलोत और सचिन पायलट का हाथ जुड़वाएं। कार्यकर्ताओं को उपदेश देने से कुछ नहीं होगा, क्योंकि ऐसे उपदेश तो पहले के प्रभारी अविनाश पांडे और अजय माकन से सुन रखे हैं। मंत्री राजेंद्र गुढ़ा ने पायलट की तुलना महाभारत के अभिमन्यु से की।
राजस्थान में कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा इन दिनों कार्यकर्ताओं को बहुत उपदेश दे रहे हैं। कभी विधायकों की कुंडली बनाने की बात करते हैं तो बयानबाजी पर फटकार लगाते हैं। रंधावा ऐसा प्रदर्शित कर रहे हैं जैसे वे ही कांग्रेस के सर्वेसर्वा है। एक बार प्रदेश प्रभारी के पद पर रहते हुए अजय माकन ने भी स्वयं को हाईकमान बताया था। मकान का क्या हश्र हुआ यह सभी ने देखा है। रंधावा में यदि दम हो तो वे मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट का हाथ जुड़वा कर दिखाएं। जब तक प्रदेश स्तर पर गहलोत और पायलट का हाथ आपस में नहीं जुड़ेगा तब तक हाथ से हाथ जोड़ो यात्राएं भी सफल नहीं होंगी। रंधावा भले ही कितने भी उपदेश दे, लेकिन पायलट और गहलोत के समर्थक कार्यकर्ताओं के हाथ अलग अलग ही रहेंगे। उपदेश तो अविनाश पांडे और अजय माकन के भी सुने गए हैं। लेकिन गहलोत और पायलट में एकजुटता नहीं हुई है। जब राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा के बाद भी गहलोत और पायलट एक नहीं हुए, तब रंधावा के उपदेशों का क्या असर होगा? जयपुर और अजमेर में हुए संभाग स्तरीय सम्मेलनों से भी रंधावा को अपनी राजनीतिक हैसियत का अंदाजा लगा लेना चाहिए। जयपुर संभाग में कांग्रेस के 35 विधायक हैं, लेकिन सम्मेलन में आधे विधायक ही आए। रंधावा जिन विधायकों की कुंडली बनाने की बात कर रहे हैं वे ही विधायक रंधावा को प्रभारी ही नहीं मान रहे। अजमेर संभाग के सम्मेलन में खुद सचिन पायलट और गुजरात के प्रभारी रघु शर्मा भी विधायक की हैसियत से नहीं आए। प्रदेश प्रभारी की क्या हैसियत होती है, यह रघु शर्मा अच्छी तरह जानते हैं। रघु के प्रभारी रहते ही गुजरात में कांग्रेस को 182 में से मात्र 19 सीटें मिलीं। जब रघु शर्मा जैसे विधायक ही रंधावा के सम्मेलनों में नहीं आ रहे हैं, तब रंधावा को अपनी स्थिति का अंदाजा लगा लेना चाहिए। रंधावा को अपने पहले के प्रभारी अविनाश पांडे और अजय माकन के हश्र को भी देख लेना चाहिए। ये दोनों भी गहलोत और पायलट के चक्कर में राजस्थान से आउट हुए हैं। जब तक गहलोत और पायलट में मिलान नहीं होगा, तब तक नीचे के स्तर पर कार्यकर्ता बंटे रहेंगे। जो लोग सत्ता की मलाई चाट रहे हैं वे गहलोत के साथ हैं और जिन्होंने भाजपा के शासन में पांच वर्ष तक संघर्ष किया वे आज पायलट के साथ खड़े हैं।
गुढ़ा का फिर तीखा बयान:
कांग्रेस जब हाथ से हाथ जोड़ो अभियान के अंतर्गत जिला स्तर पर पद यात्रा कर रही है, तब कांग्रेस सरकार के मंत्री राजेंद्र सिंह गुढ़ा का एक और तीखा बयान आया है। सरकार से असंतुष्ट चल रहे पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट की तुलना गुढा ने महाभारत के अभिमन्यु से की है। गुढा ने कहा कि पायलट को भी कांग्रेस में कुछ लोगों ने घेर रखा है। लेकिन पायलट उन बहादुरों में से हैं जो संघर्ष के अंतिम चक्र में भी नहीं हारेंगे। पायलट अंतिम चक्र को तोड़ कर विजेता बनेंगे। इससे पहले गुढा ने कहा था कि सचिन पायलट को मुख्यमंत्री नहीं बनाया गया तो अगले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को 11 सीटें भी नहीं मिलेंगी।
S.P.MITTAL BLOGGER (29-01-2023)
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